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आज कल हिन्दू समाज में कुण्डली मिलान विवाह का एक आवश्यक अंग बन गया है। ज्योतिष की मुहूत्र्त के ग्रन्थों में कुण्डली मिलान का वर्णन आता है। हमारे रामायण में राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न की शादी का विस्तृत वर्णन मिलता है। परन्तु कुण्डली मिलान का वर्णन नहीं है। इसी प्रकार महाभारत में भी कुण्डली मिलान का वर्णन नहीं है। इसलिए कहा जा सकता है कि कुण्डली मिलान विषय का ज्योतिष में प्रवेश कुछ सैकड़ों वर्षों का ही है। परन्तु इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए समाज ने इसे स्वीकार कर लिया और एक अंग बना डाला।
कुण्डली मिलान के अलग-अलग स्वरूप भारत के अलग-अलग भागों में प्रचलित है। उत्तर भारत में अष्टकूष्ट कुण्डली मिलान का वर्णन है, तो दक्षिण भारत में दसकूट कुण्डली मिलान का। कई अन्य भागों में इससे भी ज्यादा कूट का प्रचलन है। परन्तु ज्यादातर भारत में अष्टकूट कुण्डली मिलान ही प्रचलित है।