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ज्योतिष के जनक महर्षि पराशर तथा जैमिनी माने जाते हैं जिन्होंने दो अलग-अलग ज्योतिषीय पद्धतियों का प्रतिपादन किया। इनके उपरांत कुछ महान आचार्य हुए जैसे वाराह मिहिर, मंत्रेश्वर, पृथुयशस आदि जिन्होंने इन सिद्धांतों को अपने तरीके से विश्लेषित किया तथा इसमें कुछ नये आयाम जोड़े। इसी कड़ी में आधुनिक युग में श्री कृष्णमूर्ति का नाम अग्रगण्य है जिन्होंने कुछ नए सिद्धांत इजाद किये तथा काफी शोध के उपरांत उन सिद्धांतों को काफी सटीक पाया। कृष्णमूर्ति ने ग्रहों से अधिक नक्षत्रों को महत्व दिया तथा पाया कि ये ज्यादा सही एवं सटीक परिणाम देते हैं। कृष्णमूर्ति पद्धति के द्वारा किसी भी घटना की एकदम सही तिथि एवं समय तक का निर्धारण किया जा सकता है।