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महर्षि जैमिनी ने जैमिनी उपदेश सूत्रों की रचना की। इन सूत्रों में संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से ज्योतिष के गहन विचार निहित हैं। यह सूत्र सूत के गोले के समान हैं। इन्हें जितना खोला जाए उतना ही विस्तृत अर्थ प्रकट होता जाता है। यही इनकी विशेषता है। यद्यपि इनके गहन अर्थ के कारण इन्हें समझना एक अत्यंत जटिल कार्य है। परंतु प्रस्तुत पुस्तक में इस जटिल कार्य को बहुत ही सरलता के साथ लिखा गया है।
आमतौर पर सामान्य ज्योतिषी जैमिनी पद्धति का प्रयोग आयुनिर्णय के लिए करते हैं। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य फलित कथन की बहुविधियों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना है। इस कार्य को श्री महादेव पाठक ने ‘जातक तत्व’ में कुशलता से किया है। अधिकांश ज्योतिष के प्रतिष्ठित ग्रंथों में भविष्य कथन के नकारात्मक पक्ष को उजागर करने का चलन है। आधुनिक ज्योतिषियों को ज्योतिष के द्वारा मनुष्य के सकारात्मक पहलुओं को प्रकट करने का प्रयास करना चाहिए।