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ग्रहों को राशिचक्र में उनकी विशेष स्थिति के फलस्वरूप बल प्राप्त होता है। ग्रहों का सही बल सुनिश्चित करने के लिए यह नितान्त आवश्यक है कि राशिचक्र में उनकी स्थिति का पूर्ण रूप से विवेचन किया जाए। बलों के लिए 6 भिन्न-भिन्न स्रोतों से ग्रहों का बल लिया गया है। इन्हीं 6 प्रकार के बलेां को षड्बल कहा जाता है।
षड्बल की गणना द्वारा ग्रहों का षड्बल जन्मपत्री में प्रत्येक ग्रह की क्षमता तथा कमजोरी का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। ग्रहों के षड्बल तथा प्रत्येक भाव के बल की गणना द्वारा यह ज्ञात किया जा सकता है कि लग्न, चंद्र और सूर्य में सर्वाधिक शक्तिशाली कौन है। विंशोत्तरी दशा में किसी महादशा-अंतरदशा के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि महादशा-अन्तरदशा के स्वामियों में से किसका बल ज्यादा है। यदि षड्बल की गणना सही रूप से की जाए, तो भविष्यवाणियां सही ढंग से तथा पूर्ण विश्वास से की जा सकती हैं।