निर्जला एकादशी 2022 - पूरी जानकारी के साथ
By: Future Point | 07-Jun-2022
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हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत की अत्यंत महत्वता है। वर्ष के बारह महीनों को मिलाकर लगभग चौबीस एकादशियाँ होती हैं और जब किसी वर्ष अधिकमास या मलमास आ जाता है तो ये बढ़कर 26 तक पहुँच जाती हैं।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है इस व्रत मे जल का सेवन भी निषेध माना गया है इसिलिये इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी को वर्ष के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है और इसका दूसरा नाम भीमसेनी एकादशी भी है।
ऐसा माना गया है निर्जला एकादशी के व्रत को विधि पूर्वक करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। निर्जला एकादशी कब पड़ रही है और इससे जुडी प्रत्येक जानकारी पाने के लिए आगे पढ़िए।
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एकादशी तिथि आरम्भ व समापन
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 10 जून 2022 को सुबह 7 बजकर 25 मिनट पर प्रारम्भ होगी। एकादशी तिथि का समापन 11 जून 2022 को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर होगा। निर्जला एकादशी व्रत पारण का समय 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट' से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
निर्जला एकादशी व्रत के पारण का महत्व
एकादशी व्रत का पारण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की इसका व्रत व पूजा। ऐसी धारणा है कि यदि एकादशी व्रत का पारण सही विधि विधान से ना किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण शुभ फल प्राप्त नहीं होता है।
एकादशी व्रत का पारण ठीक अगले दिन यानि द्वादशी को किया जाता है। पारण करते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है, जो इस प्रकार है-
निर्जला एकादशी के व्रत का पारण समय - 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट' से 8 बजकर 29 मिनट तक
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निर्जला एकादशी की कथा व इस व्रत से मिलने वाला लाभ
एक बार वेदव्यास जी ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी के बारे में बताते हुए व्रत का संकल्प करवाया तो महाबली भीम ने कहा वे पूरे दिन तो क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकते है।
भीम के इस निवेदन पर पितामह ने भीम की समस्या का निदान करते और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा यदि वे ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत रखेंगे तो उन्हें पूरे वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त हो जायेगा।
इस व्रत के प्रभाव से संसार में सुख, यश और लक्ष्मी प्राप्त होती है और मृत्यु उपरान्त मोक्ष का लाभ होता है।
इतने आश्वासन से भीम ने इस एकादशी का विधिवत व्रत किया और वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का लाभ प्राप्त किया।
इसी कारण से निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। भीम ने व्रत के प्रभाव से स्वर्ग प्राप्त किया। निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है और जीवात्मा को लेने के लिए पुष्पक विमान आता है।
निर्जला एकादशी के व्रत व पूजा से सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु उपरान्त स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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निर्जला एकादशी के दिन इन चीजों का दान करना माना जाता है शुभ
हिन्दू धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन दान करना अत्यंत शुभ फलप्रदायी है। इस दिन गरीबों को भोजन, अनाज, पानी, वस्त्र, चप्पल, जूते, खरबूजा, छाता, पंखा, आम, शरबत, कोई भी फल और गर्मी से राहत देने वाली वस्तुएं इत्यादि का दान करना बहुत शुभ है।
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि इस दिन जो भी व्यक्ति निर्जल रहकर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा मटका प्रदान करता है उसके जीवन में भाग्य व समृद्धि का उदय होता है।
एकादशी व्रत वाले दिन क्या करें ?
- इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान के पश्चात सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए।
- पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान को पीले फूल, पंचामृत व चंदन अर्पण करना चाहिए।
- इस व्रत में जल नहीं लेना चाहिए और जल या जल से भरे पात्र का दान करना चाहिए।
- इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- इस दिन आलस त्याग कर सारे दिन भगवान् के ध्यान करना चाहिए। रात को मंदिर जाकर भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए।
- इस व्रत का पारणा, ब्राह्मणों को दान व दक्षिणा देकर करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत में निषेध है ये काम
- निर्जला एकादशी व्रत के पूरा दिन पानी नहीं पीना चाहिए
- निर्जला एकादशी के दिन चावल नहीं खाते
- इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ते
- निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है नहीं तो यह वैवाहिक जीवन में समस्या खड़ी कर सकता है।
- निर्जला एकादशी के दिन सर्वथा तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए चाहे आप व्रत करें या ना करें।
निर्जला एकादशी व्रत के क्या फायदे है ?
- निर्जला एकादशी व्रत से भगवान् विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- निर्जला एकादशी व्रत का विशेष लाभ है और जो भी इस व्रत का विधि विधान से पालन करता है उसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- इस व्रत का पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- निर्जला एकादशी में भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है। निर्जला एकादशी में जल दान का अत्यंत महत्व है। निर्जला एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा व जल का दान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।