अंबर रत्न पेंडंट
By: Future Point | 01-Jun-2018
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रत्न हमारे जीवन का हिस्सा आज से नहीं हैं, बल्कि प्राचीन काल से रत्नों का उपयोग व्यक्ति सफलता और भाग्यवृद्धि के लिए करता रहा हैं। इसका वर्णन हमारे विभिन्न पुराणॊं में भी मिलता हैं। रत्नों के बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं कि समुद्र मंथन के समय रत्नों की उत्पत्ति हुई थी। तभी से रत्न धारण करने का प्रचलन हैं। कुल 84 प्रकार के रत्न होते हैं। ये सभी रत्न नवग्रहों के रत्न और उपरत्न हैं। शुभ ग्रहों की शुभता प्राप्ति के लिए विभिन्न रत्न पहने जाते हैं।
रत्न न केवल ग्रहों का बल प्राप्त करने के लिए धारण किए जाते हैं अपितु इन्हें चिकित्सा जगत में भी रोग निवारण के लिए प्रयोग किया जाता हैं। विभिन्न रत्न अलग-अलग रोगों से मुक्ति में उपयोगी भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए आरोग्य शक्ति बढ़ाने के लिए सूर्य रत्न धारण करने की सलाह दी जाती हैं। इसी प्रकार अन्य अनेक रत्न भी किसी न किसी रोग को शांत करने का कार्य करते हैं। कौन सा रत्न धारण करना होगा और कौन से रत्न को धारण करने से बचना होगा। इसकी जानकारी एक ज्योतिषी ही सबसे अच्छॆ से बता सकता हैं। ज्योतिषीय परामर्श के बिना कोई भी रत्न पहनने से बचना चाहिए।
गुरु रत्न पुखराज बहुत महंगा रत्न होने के कारण सभी व्यक्ति इस रत्न को धारण नहीं कर सकते हैं। ऐसे में गुरु ग्रह की शुभता प्राप्ति के लिए अंबर रत्न पहना जा सकता हैं। यह गुरु का उपरत्न हैं और बहुत सुंदर रत्नों की श्रेणी में आता हैं। अंबर जेम्स स्टोन सामान्यत: शहद के रंग का होता हैं, इसके अलावा भूरे और पीले रंग में भी यह रत्न पाया जाता हैं। इस रत्न की विशेषता है कि इसमें सुंदर चित्र बने रहते हैं। चित्रों में टुकड़े, पत्ती और कीड़े आदि के कलाकृतियां बनी रहती हैं।
अंबर रत्न पहनने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता हैं। यह रत्न सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों से राहत देता हैं। अंबर रत्न इसके अलावा जोश और उत्तेजना को भी नियंत्रित करता हैं। व्यर्थ के जोश, आवेश और जल्दबाजी में गलतियां करने के स्वभाव में कमी करता हैं। अंबर रत्न धारण करने से धारक का बड़ी-बड़ी दुर्घट्नाओं से बचाव होता हैं। यह रत्न रक्तचाप में भी संतुलन लाने का कार्य करता है।
अंबर जेम्सस्टोन मानसिक अशांति दूर होती है। रक्तचाप से जुड़ी समस्याओं के निवारण में यह रत्न लाभकारी रहता हैं। अंबर रत्न को अंगूठी और पेंडंट दोनों प्रकार से धारण किया जा सकता है। मानसिक उद्वेग भी इससे शांत होते हैं। अंबर रत्न अपनी सुंदरता के लिए विशेष रुप से जाना जाता हैं। अंबर रत्न क्योंकि एकाग्रता और मानसिक तन्मयता को बेहतर करता हैं, इसीलिए इस रत्न को छात्र भी धारण कर सकते हैं। रत्न प्रभाव से मानसि स्थिरता रहने के साथ साथ विचारों में अनिश्चितता भी दूर होती हैं।
जीवन की परिस्थितियों और घट्नाओं के उतार-चढ़ाव के कारण बढ़ने के कारण व्यक्ति पर पड़ने वाले मानसिक दबाव में भी यह रत्न कमी करता हैं। धारक में छुपी हुई शक्तियों को भी बाहर लाने का कार्य यह रत्न करता हैं। अंबर स्टोन के विषय में यह विख्यात हैं कि यह रत्न अपने धारक को सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता हैं और नकारात्मक ऊर्जा में कमी करता हैं। रत्न की शुभता अपने धारक को क्रियाशील बनाए रखता हैं और बल प्रदान करता हैं। अंबर स्टोन के आकर्षक होने की वजह से इसे एक ज्वैलरी के रुप में भी धारण किया जाता है। यह विभिन्न रत्न भंडारों पर एम्बर पेड़ेन्ट उपलबध हैं। वर्तमान में अंबर पेन्डेन्ट को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता हैं।
अंबर रत्न धारण विधि
इस रत्न को भी अन्य सभी रत्नों की तरह अंगूठी, ब्रेसलेट और पेंड़ेट किसी भी प्रकार से धारण किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह देव गुरु बृहस्पति का उपरत्न है। यही कारण है कि इस रत्न को धारण करने के लिए गुरुवार के दिन का चयन किया जाता हैं। अंबर रत्न सोने की धातु में शुक्ल पक्ष के गुरुवार के दिन अंगूठी या पेंड़ेंट आकार में जड़वायें। विशेष शुभता प्राप्ति के लिए शुभ मुहूर्त का भी चयन किया जा सकता हैं।
धारण करने के लिए भी शुक्ल पक्ष के गुरुवार को ही सबसे अनुकूल माना जाता हैं। प्रात:काल में अंबर स्टोन से जड़ित पेंडेंट को गंगा जल और कच्चे दूध से स्नान कराने के बाद गुरु ग्रह के निम्न मंत्र का जाप करने के बाद गले में धारण करें। धारण करते समय कम से कम एक माला का जाप अवश्य करें।
गुरु का मंत्र - ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।