शादी से पहले क्यों जरूरी है कुंडली मिलान करवाना? वैवाहिक जीवन में खुशियां ला सकता है ये विधान
By: Future Point | 03-Dec-2023
Views : 3803
युगल की शादी का निर्णय लेने में जन्मकुंडली अहम भूमिका निभाती है। जिस तरह हम घर के लिए कोई भी चीज लेने से पहले उससे जुड़ी हर चीज के बारे में गहराई से जानने की कोशिश करते हैं, उसी तरह कुंडली मिलान (Kundli Milan) भी करवाया जाता है कि ताकि लड़के और लड़की के विवाह के पश्चात् आपसी तालमेल और वैवाहिक सुख के बारे में जानकारी ली जा सके।
विवाह व्यक्ति के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है। यह एक खूबसूरत रिश्ता है जो दो आत्माओं को जीवन भर के लिए एक साथ लाता है। यह उनके जीवन के एक नए चरण में प्रवेश का प्रतीक है जो नई खुशियों के साथ-साथ नई जिम्मेदारियां भी लाता है। हिंदू विवाह में, कई रस्में होती हैं जो शादी में दो लोगों के वास्तविक मिलन से पहले होती हैं। इसमें सबसे पहला और महत्वपूर्ण कार्य होता है कुंडली मिलान। यह आमतौर पर अरेंज मैरिज में किया जाता है। जब एक परिवार द्वारा दूसरे परिवार को शादी का प्रस्ताव दिया जाता है, तो पहला कदम लड़के और लड़की की जन्म कुंडली मिलाना होता है। कुंडली मैचिंग यह जानने के लिए की जाती है कि लड़के और लड़की, दोनों के नक्षत्र या सितारे संगत में हैं या नहीं।
विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करवाने से लड़के और लड़की के वैवाहिक जीवन की अनेक संभावनाओं और समस्याओं के बारे में पता चल सकता है। इससे मुख्य निम्न पहलुओं के बारे में जाना जा सकता है।
आपसी तालमेल
विवाह तय होने से पहले कुंडली मिलान का मुख्य कारण यह पता लगाना है कि लड़का और लड़की का एक-दूसरे के साथ शादी के बाद कैसा तालमेल रहेगा। ज्योतिष में, कुल 36 गुण होते हैं जिनका मिलान दो लोगों के बीच अनुकूलता और भविष्य में उनका जीवन एक साथ कैसे होगा, इसका आंकलन करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक गुण के अलग-अलग बिंदु होते हैं और प्रत्येक बिंदु जीवन के एक अलग कारक का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली मिलान (Kundali Matching Horoscope) से यह जाना जा सकता है कि दोनों के सितारे और भाग्य एक दूसरे को कैसे प्रभावित करेंगे। कुंडली मिलान यह देखने में भी मदद करता है कि वैवाहिक सद्भाव होगा या नहीं।
आर्थिक संतुलन और करियर
विवाह के बाद कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और प्रभाव में बदलाव आता है। यह ना केवल व्यक्ति के खुद के जीवन बल्कि जीवनसाथी की जिंदगी को भी प्रभावित करता है। यह प्रभाव आठ गुणों में से सातवें भकूट द्वारा इंगित होता है। कुंडली मिलान करते समय लोग वित्तीय स्थिरता और करियर की संभावनाओं जैसी चीजों का भी विश्लेषण करते हैं। इस तरह आप कुंडली मैचिंग से जान सकते हैं कि विवाह के बाद आपका या आपके जीवनसाथी का करियर एवं आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी।
संतान प्राप्ति
कुंडली मैचिंग से यह भी जाना जाता है कि लड़के और लड़की को विवाह के पश्चात् संतान प्राप्ति में कोई समस्या आने की संभावना है या नहीं। इससे संतान प्राप्ति के योग और बच्चों की सेहत के बारे में भी पता चलता है। आठवां गुण नाडि संतान प्राप्ति और गर्भधारण करने या इसमें संभावित किसी समस्या के बारे में बताता है।
दोष
जब कोई बच्चा जन्म लेता है, जब उसके जन्म के समय के हिसाब से सितारों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर बच्चे के भाग्य का निर्धारण होता है। हो सकता है कि किसी एक व्यक्ति की कुंडली में कोई ऐसा दोष हो जो विवाह के पश्चात् उसके जीवनसाथी को भी प्रभावित करे।
जब जन्मकुंडली (Janam Kundali) में कोई ग्रह उचित स्थिति में ना हो या नीच स्थान में बैठा हो तो दोष का निर्माण होता है। मंगल दोष, सर्प दोष श शनि दोष जैसे दोष कुंडली में आते हैं। इन दोषों के कारण विवाह के बाद परेशानियां पैदा हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में ज्योतिषी पूजा या कुछ व्रत, दान आदि की सहायता से दोष के दुष्प्रभाव को कम करने की सलाह देते हैं। हालांकि, अगर दोष बहुत गंभीर है तो लड़के और लड़की के विवाह के लिए मना कर दिया जाता है। कुंडली में नाड़ी दोष (Nadi dosha) को विवाह ना करने के लिए सबसे अधिक प्रभावी और मजबूत माना जाता है।
स्वास्थ्य समस्याएं
कुछ लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जो घातक भी हो सकती हैं। जीवनसाथी की बीमारी और उसके साथ आने वाले वित्तीय और भावनात्मक तनाव के कारण कई शादियां टूट जाती हैं। इसका विवाह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुंडली मिलान की सहायता से यह जाना जा सकता है कि पति और पत्नी को आने वाले समय में किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और उनसे विवाह करने पर साथी की सेहत पर क्या असर पड़ सकता है।
विवाह कब तक चलेगा
कुछ शादियां ज्यादा समय तक नहीं टिक पाती हैं और इसकी संभावना को भी आप विवाह से पूर्व ही जान सकते हैं। कुंडली मैचिंग से ही पता चल जाता है कि वर और वधू का वैवाहिक बंध कितने समय तक चल पाएगा। यदि कुंडली के ग्रह इस ओर इशारा करते हैं कि शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगी, तो विवाह के लिए मना कर दिया जाता है।
जीवनसाथी की आयु
विवाह से पूर्व यह जानना कि आपके जीवनसाथी कि कितनी आयु या दीर्घायु है, बहुत महत्वपूर्ण होता है। जीवनसाथी की असामयिक मृत्यु सदमा दे सकती है। आज भी विधवा होने को एक श्राप माना जाता है। कुंडली मिलाने से यह जाना जा सकता है कि दोनों में किसी भी एक की कुंडली में क्या ऐसा कोई दोष है जो जीवनसाथी की दीर्घायु पर भारी पड़ जाए। उदाहरण के तौर पर, ज्योतिष के अनुसार मांगलिक लड़की को मांगलिक लड़के से ही विवाह करना चाहिए वरना लड़के की आयु कम होने का डर रहता है।
क्या है निवारण
कुंडली का मिलान करने के बाद यदि कोई दोष या समस्या दिखती है तो ज्योतिषी कुछ पूजा करवाने की सलाह देते हैं जिससे वैवाहिक संबंध के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ रीतियों से कुंडली के दोषों का निवारण भी किया जा सकता है। आप Future Point से भी कुंडली मैचिंग करवा सकते हैं और अपनी जन्मकुंडली में दोष या समस्या के निवारण हेतु उपाय जान सकते हैं।