स्कंद षष्ठी 2021, इन मंत्रों से करें भगवान कार्तिकेय का पूजन
By: Future Point | 25-Jan-2021
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हर महीने की शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। इस दिन श्रद्धालु लोग उपवास रखते हैं, इस पर्व को ख़ासतौर से दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु एवं केरल में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां लोग कार्तिकेय जी को मुरुगन नाम से पुकारते हैं और उनकी पूजा-अर्जना करते हैं। ज्योतिष के अनुसार भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि के स्वामी और मंगल ग्रह के स्वामी माने जाते हैं तथा दक्षिण दिशा में उनका निवास स्थान है।
इसीलिए जिन जातकों की कुंडली में मंगल कर्क राशि में हो अर्थात् मंगल नीच का हो तो उन्हें मंगल को मजबूत करने तथा मंगल के शुभ फल पाने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत पूजन आदि करना चाहिए, क्योंकि स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को अधिक प्रिय है जिस कारण जातकों को इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए।
इस बार यह व्रत तिथि 18 जनवरी 2021, सोमवार के दिन आ रही है। मुख्य रूप से यह व्रत दक्षिण भारत के राज्यों में लोकप्रिय है। इस दिन शिव-पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिकेय अपने माता-पिता और छोटे भाई श्री गणेश से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर मल्लिकार्जुन (शिव जी के ज्योतिर्लिंग) आ गए थे और कार्तिकेय ने स्कंद षष्ठी को ही दैत्य तारकासुर का वध किया था तथा इसी तिथि को कार्तिकेय देवताओं की सेना के सेनापति भी बने थे।
भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल पसंद होने के कारण ही इस दिन को स्कंद षष्ठी के अलावा चंपा षष्ठी भी कहते हैं। भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है, पुराणों में स्कंद पुराण कार्तिकेय को ही समर्पित है।
स्कंद पुराण में ऋषि विश्वामित्र द्वारा रचित कार्तिकेय के 108 नामों का भी उल्लेख है। स्कन्द षष्ठी के दिन निम्न मंत्र से कार्तिकेय का पूजन करने का विधान है। इस दिन भगवान कार्तिकेय के मंदिर के दर्शन करना बहुत शुभ माना गया है। यह त्योहार दक्षिण भारत, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि में प्रमुखता से मनाया जाता है। कार्तिकेय को स्कंद देव, मुरुगन, सुब्रह्मन्य नामों से भी जाना जाता है।
स्कंद षष्ठी व्रत के नियम -
जो श्रद्धालु स्कंद षष्ठी का उपवास करते हैं उन्हें भगवान मुरुगन का पाठ, कांता षष्ठी कवसम एवं सुब्रमणियम भुजंगम का पाठ अवश्य करना चाहिए।
इस दौरान सुबह भगवान मुरुगन के मंदिर में जाकर उनके समक्ष भी पूजा करने का विधान है।
उपवास के दौरान कुछ भी न खाएँ। हाँ आप एक वक़्त भोजन या फलाहार कर सकते हैं।
छः दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर सभी छः दिनों तक उपवास करना शुभ होता है।
कई लोग इस पर्व पर उपवास नारियल पानी पीकर भी छः दिनों तक करते हैं।
उपवास के दौरान मनुष्य को झूठ बोलने, लड़ने- झगड़ने आदि से परहेज करना चाहिए।
पूजा करने की विधि -
स्कन्द षष्ठी पर कार्तिकेय की स्थापना करके साथ में गणेश, शंकर-पार्वती की पूजा करें। इस दिन स्नान करके पवित्र होने के बाद भगवान के आगे अखंड दीपक जलायें, और स्कंद षष्ठी महात्म्य का पाठ करें। भगवान को स्नान करा कर नए वस्त्र पहनायें फिर पूजन करें। फल, मिष्ठान का भोग लगायें और आरती दिखाएँ। विशेष कार्य की सिद्धि के लिए इस दिन कि गई पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है। इस दिन ब्रह्मचर्य का संयम सहित पालन करें।
विशेष मन्त्र - 'ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात''
या
ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा, देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते''
कार्तिकेय जी के पूजन से होगा रोग, दुःख और दरिद्रता का नाश -
शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय का पूजन मनोकामना सिद्धि को पूर्ण करने में सहायक है। इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुःख और दरिद्रता का निवारण होता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार स्कन्द षष्ठी के दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से जीवन में उच्च योग के लक्षणों की प्राप्ति होती है।
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से यश, वैभव और आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही यह व्रत संतान पर आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि स्कन्द षष्ठी एवं चम्पा षष्ठी के महायोग का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है।
स्कंद षष्ठी का पर्व दक्षिण भारत में मुख्य रूप से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिकेय को भगवान सुब्रह्मण्यम के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन पूजा में चंपा के फूल अर्पित किए जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल बहुत प्रिय हैं, चंपा के पुष्प व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
भगवान विष्णु ने माया मोह में पड़े नारद जी का इसी दिन उद्धार करते हुए लोभ से मुक्ति दिलाई थी, ऐसा पुराणों में वर्णन है। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है। इस दिन ब्राह्मण भोज के साथ स्नान के बाद कंबल, गरम कपड़े दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
'मासानां मार्गषीशरेअहम' अर्थात् महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं, ऐसा कहकर भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस महीने को बहुप्रतिष्ठित कर दिया। क्योंकि मार्गशीर्ष/अगहन मास भगवान श्रीकृष्ण का माह माना गया है।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का रूप है। अत: यह मास पूजा-पाठ की दृष्टि से सर्वोत्तम मास है।
स्कंद षष्ठी तिथि 2021
स्कन्द षष्ठी - 18 जनवरी 2021, सोमवार
स्कन्द षष्ठी - 17 फरवरी 2021, बुधवार
स्कन्द षष्ठी - 19 मार्च 2021, शुक्रवार
स्कन्द षष्ठी - 18 अप्रैल 2021, रविवार
स्कन्द षष्ठी - 17 मई 2021, सोमवार
स्कन्द षष्ठी - 16 जून 2021, बुधवार
स्कन्द षष्ठी - 15 जुलाई 2021, बृहस्पतिवार
स्कन्द षष्ठी - 13 अगस्त 2021, शुक्रवार
स्कन्द षष्ठी - 12 सितम्बर 2021, रविवार
स्कन्द षष्ठी - 11 अक्टूबर 2021, सोमवार
स्कन्द षष्ठी - 09 नवम्बर 2021, मंगलवार
स्कन्द षष्ठी - 09 दिसम्बर 2021, बृहस्पतिवार