श्रीमदभागवत गीता जयंती पर करें इस मंत्र का जाप- समस्याओं से बाहर आएंगे, होंगे चिंतामुक्त
By: Acharya Rekha Kalpdev | 16-Dec-2023
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श्रीमदभगवत गीता ग्रन्थ को एक पुस्तक मानना सही नहीं है, श्रीमद भागवत गीता में क्या नहीं है? इसमें ज्ञान है, दर्शन है, अवसाद से बाहर निकलने के सूत्र है, जीवन मरण की यात्रा का वर्णन है, रिश्ते नातों की वास्तविकता को गीता में बेहतरीन रूप से बताया गया है। मोह, माया, लोभ, दम्भ को समाप्त करने के मार्ग है। मन और जीवन को संतुलित करने के लिए गीता एक उपयोगी ग्रन्थ है।
23 दिसंबर 2023 को गीता जयंती है, धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मागशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान् श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए तभी से मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। सम्पूर्ण संसार में गीता एक मात्र ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता सिर्फ ग्रन्थ नहीं है, हिन्दुओं के लिए वह एक देव समान है, जिसका दर्शन, पूजन भी अतिशुभ कहा गया है।
गीता ग्रन्थ की यह विशेषता है की इस ग्रन्थ को पढ़कर जीवन की प्रत्येक अवस्था से जुडी समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। भगवन श्री कृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को मोटिवेट करते हुए, जो ज्ञानवर्धक चर्चा की, वही गीता ग्रन्थ के रूप में है। उस समय दिया गया गीता का ज्ञान आज के समय में भी प्रासंगिक है। श्रीमदभागवत गीता हर आयुवर्ग के व्यक्ति को जीने की कला सिखाती है। जीवन के कष्टों से बाहर निकलने की कुंजी है।
गीता जयंती के सुअवसर पर, घर में गीता पाठ रखवाएं, या खुद गीता पाठ करें। इसके साथ ही आप गायत्री मंत्र का जाप करें। गीता पाठ करने से पापों का नाश होता है, मुश्किलों का हल निकलता है। अवसाद और निराशा से बाहर आने के लिए गीता पाठ सबसे उत्तम कहा गया है।
गीता जयंती के अवसर पर गीता का पाठ कर, आप भी अपने जीवन को बाधामुक्त बना सकते है। जीवन राहों को सुखद बनाने के लिए प्रतिदिन श्रीमद भागवत गीता का पाठ करें। स्नान करने से काया की शुद्धि होती है। गीता पाठ से आत्मा की शुद्धि होती है। आत्मिक शुद्धि के लिए मन्त्र जाप, गीता पाठ और रामायण पाठ का कहा गया है। अक्सर लोग इस बात में सवाल करते है की गीता का पाठ क्यों करें- जीवन को एक सही आकार देने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन गीता पाठ करना चाहिए।
श्रीमदभागवत गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति सदैव सकारात्मक रहता है। उसका मनोबल सदैव उच्च रहता है। आध्यात्म की गंगा में स्नान कर वह प्रसन्नचित और संतुष्टि का अनुभव करता है। जब जीवन की कोई राह समझ न आ रही हो तो व्यक्ति को श्रीमद भागवत गीता का अध्ययन करना चाहिए। ईश्वर-परम सत्ता को व्यक्ति स्वीकार करने लगता है और स्वयं दृष्टा बन जाता है।
गीता जयंती के सुअवसर पर, घर में गीता पाठ रखवाएं, या खुद गीता पाठ करें। इसके साथ ही आप गायत्री मंत्र का जाप करें। गीता पाठ करने से पापों का नाश होता है, मुश्किलों का हल निकलता है। अवसाद और निराशा से बाहर आने के लिए गीता पाठ सबसे उत्तम कहा गया है। गीता जयंती के अवसर पर गीता का पाठ कर, आप भी अपने जीवन को बाधामुक्त बना सकते है। जीवन राहों को सुखद बनाने के लिए प्रतिदिन श्रीमदभागवत गीता का पाठ करें।
स्नान करने से काया की शुद्धि होती है। गीता पाठ से आत्मा की शुद्धि होती है। आत्मिक शुद्धि के लिए मन्त्र जाप, गीता पाठ और रामायण पाठ का कहा गया है। अक्सर लोग इस बात में सवाल करते है की गीता का पाठ क्यों करें- जीवन को एक सही आकार देने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन गीता पाठ करना चाहिए।