Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा की रात में बरसती हैं माँ लक्ष्मी की कृपा
By: Future Point | 17-Oct-2021
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पूर्णिमा हिंदू धर्म का बहुत ही खास पर्व है। धार्मिक रूप से पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। दरअसल पंचांग में तिथियों का निर्धारण चंद्रमा की चढ़ती उतरती कलाओं के आधार पर किया जाता है जिस तिथि को चंद्रमा अपने पूरे आकार में दिखाई देता है वह तिथि पूर्णिमा कहलाती है।
जिस तिथि को चंद्रमा दिखाई ही नहीं देता वह तिथि अमावस्या / Amavasya कहलाती है। अमावस्या पश्चात पड़ने वाली तिथि को चंद्र दर्शन की तिथि माना जाता है चंद्र दर्शन से पूर्णिमा तक की पूरी अवधि को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। पूर्णिमा (Purnima) का एक महत्व यह भी है कि इस दिन पूर्णिमांत माह की समाप्ति भी होती है।
शरद ऋतु में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा / Sharad Purnima कहते हैं। मान्यता के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा संपूर्ण, सोलह कलाओं से युक्त होता है।
कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा पावन अमृत बरसाता है जिससे धन-धान्य, प्रेम, और अच्छी सेहत सबका वरदान प्राप्त होता है। यह वही दिन है जिस दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। उत्तर और मध्य भारत में शरद पूर्णिमा की रात्रि को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है।
मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से यह कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाती है। इसे कोजागर व्रत माना गया है। ऐसे में जो कोई भी इंसान इस दिन विधिवत तरीके से पूजा-इत्यादि करता है उसे अच्छा स्वास्थ्य, जीवन में प्यार और धन धान्य की प्राप्ति अवश्य होती है।
शरद पूर्णिमा तिथि / Sharad Purnima Date -
28 अक्टूबर 2023 को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से पूर्णिमा आरम्भ
29 अक्टूबर 2021 को रात 1 बजकर 53 मिनट पर पूर्णिमा समाप्त
पूर्णिमा का महत्व / importance of Purnima -
पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में बहुत मायने रखती है। ज्योतिष शास्त्र / Jyotish Shastra के अनुसार भी इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। पूर्णिमा के दिन ही महान आत्माओं के जन्म उत्सव से लेकर बड़े-बड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। यह तिथि हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा मायने रखती है।
वैदिक ज्योतिष / Vedic Jyotish तथा प्राचीन शास्त्रों मत में चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है। इस दिन चूंकि चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है इसलिये जातकों के मन पर चंद्रमा का प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो पूर्णिमा तिथि की अहमियत होती है। इस दिन समुद्रों में ज्वारभाटा आता है। चंद्रमा पानी को आकर्षित करता है। मनुष्य के शरीर में भी 70 फीसदी पानी होता है। इसलिये मनुष्य के स्वभाव में भी इस दिन परिवर्तन आता है।
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शरद पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि / Sharad Purnima Vrat and Worship Vidhi -
शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में विशेष सेवा-पूजा का आयोजन किया जाता है। आइये अब जानते हैं कि घर में इस दिन की पूजा करने की सही विधि क्या है।
इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लें और फिर किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें।
पूजा वाले स्थान को साफ़ करें और वहां आराध्य देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें, इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण इत्यादि पहनाएँ। फिर वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित करें और फिर पूजन करें।
रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाये और फिर इसमें घी और चीनी मिलाकर भोग लगा दें, मध्य रात्रि में इस खीर को चाँद की रोशनी रख दें।
रात को खीर से भरा बर्तन चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें और सबको प्रसाद के रूप में वितरित करें।
पूर्णिमा के दिन व्रत करके कथा अवश्य कहनी या सुननी चाहिए। कथा कहने से पहले एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएँ।
इस दिन भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।
क्या करें और क्या ना करें / do's and don'ts -
सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति के लिए इस तिथि पर सत्यानारण का पाठ करवाना उत्तम रहता है। पूर्णिमा तिथि पर गृह निर्माण, नया वाहन, गहने या कपड़ों की खरीदारी, शिल्प, मांगलिक कार्य, उपनयन संस्कार, सत्यनारायण की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस तिथि पर यात्रा करना भी अच्छा होता है। वहीं दूसरी ओर ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है। इस वजह से पूर्णिमा तिथि पर यह मन में काफी प्रभाव डालता है। यह मन को बैचन करता है और क्रोध, चिड़चिड़ाहट और नकारात्मकता भी ला सकता है। इसलिए बेहतर है कि आप किसी से बहस कतई न करें।
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अच्छे स्वास्थ्य के लिए / For Good Health -
शरद पूर्णिमा का दिन स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अपने और अपने घर वालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए आप इस दिन क्या कुछ कर सकते हैं आइये जानते हैं।
रात के समय गाय के दूध की खीर बनाएँ और इसमें घी मिलाएँ।
भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करें और खीर को भगवान को चढ़ाएं।
मध्य रात्रि में जब चंद्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए तब चंद्र देव की उपासना करें।
इस दिन चंद्रमा के मंत्र ‘‘ॐ सोम सोमाय नमः’’ का जाप करें।
और फिर खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि खीर को आप किसी काँच, मिट्टी, या चाँदी के ही बर्तन में रखें।
प्रातः काल उठें और इस खीर को खुद भी खाएं और घर के अन्य सदस्यों को भी खाने को दें।
सूर्योदय के पूर्व खीर का सेवन ज्यादा फलदायी रहता है। ऐसे में सुबह जितने जल्दी उठ कर आप खीर खा लें उतना अच्छा रहेगा।