वर्ष 2024 में 12 साल तक के बच्चों को शनि साढ़ेसाती किस प्रकार फल देगी
By: Acharya Rekha Kalpdev | 08-Jan-2024
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कर्मदाता शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं। 12 राशियों में शनि का गोचर काल 30 वर्ष का होता है। इस प्रकार एक सामान्य आयु के व्यक्ति को जीवन में शनि कि साढ़ेसाती का दो बार सामना करना पड़ता है। और यदि किसी कि आयु 100 वर्ष मान ली जाए तो उस व्यक्ति को अपने सारे जीवन में अधिक से अधिक 4 बार शनि कि साढ़ेसाती का सामना करना पड़ सकता है। यदि किसी 12 वर्ष से छोटे जातक को बाल्यकाल में शनि कि साढ़ेसाती का सामना करना पड़ता है तो उस बालक को उस आयु में मिलने वाले फल किस प्रकार के रहेंगे, आईये जाने -
वर्तमान वर्ष 2024 में शनि कुम्भ राशि में गोचर कर रहे हैं। इस समय मकर, कुम्भ और मीन राशि के जातकों पर शनि कि साढ़ेसाती प्रभावी है। वृश्चिक राशि और कर्क राशि वालों पर शनि कि ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है।
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12 वर्ष से छोटे बालकों पर शनि साढ़ेसाती का प्रभाव
बारह साल से छोटे बच्चे को मिलने वाले फल उसके वर्तमान जीवन के कर्मों के अनुसार न होकर प्रारब्ध अनुसार होते हैं। यूं तो सभी को अपने जीवन में जो भी सुख दुःख मिल रहे हैं, वो सभी उन्हें अपने ही किसी पूर्व जन्म के कर्म के अनुसार मिल रहे होते हैं, परन्तु छोटे बालक क्योंकि निश्चल होते है, ईश्वर का साक्षात रूप होते हैं। किसी का भला और बुरा वो नहीं करते हैं। ऐसे में उन्हें जो कुछ भी मिलता है वह सब उनके प्रारब्ध के कारण मिलता है।
12 साल से छोटे बच्चे जो अपनी किशोर अवस्था में होते है, शनि अपनी साढ़ेसाती कि अवधि में उनके कोमल मन पर प्रभाव डालते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शनि साढ़ेसाती में शनि देव कर्मों का फल देते है, परन्तु किशोर अवस्था के बालकों का उस आयु तक का अपना कोई कर्म नहीं होता है, बशर्ते कि वो किसी कुसंगति का शिकार न हुए हो। इस आयु तक बच्चे यदि माता -पिता के संरक्षण में रहते है तो बहुत संभावना बनती है कि वो गलत संगत में नहीं है, और कोई बहुत बड़ा गलत कार्य उनके द्वारा नहीं किया जा रहा है।
शनि साढ़ेसाती फल प्रथम चरण किशोर अवस्था में
इस अवस्था में शनि साढ़ेसाती के प्रथम चरण में किशोर को अपने संयुक्त परिवार से अलग होना पड़ सकता है, क्योंकि इस समय शनि इनकी जन्म राशि से 12वें होते है और शनि की 3री दृष्टि इनके कुटुंब भाव पर होती है। उसकी प्रारम्भिक शिक्षा में व्यवधान आ सकता है। धन या पारिवारिक कारणों से बच्चे कि शुरू कि शिक्षा कुछ दिन बाधित होने के बाद फिर से शुरू होती है। बच्चे को आँख सम्बन्धी किसी समस्या से जूझना इस अवधि में पड़ सकता है।
शनि के इस गोचर में शनि कि 7वीं दृष्टि रोग, शत्रु और मामा- मासी भाव पर होती है, इनसे भी बालक के परिवार के सम्बन्ध खराब होने के योग बनते हैं। किसी कारणवश बालक को अपने ननिहाल में कुछ समय के लिए रहना पड़ सकता है।
शनि साढ़ेसाती के प्रथम चरण अवधि में शनि कि दशम दृष्टि भाग्य भाव, नवम भाव पर रहती है, इसके प्रभाव से बालक को भाग्य का साथ समय पर नहीं मिल पाता हैं। किशोर अवस्था में बालक को पिता का सुख, सहयोग कम ही प्राप्त होता है। परिस्थितिवश बालक के पिता घर से दूर रहते है और बालक को पिता का स्नेह-सुख नहीं मिल पता है।
शनि साढ़ेसाती फल द्वितीय चरण किशोर अवस्था में
12 वर्ष तक के बालक के जीवन में बालक अपने मित्रों से जुड़ता है, उसके मित्रवर्ग का विस्तार होता हैं। अपनी गूढ़ बातों को मित्रों से शेयर करता है। कुछ बातों को गोपनीय रखता है। शारीरिक और मानसिक बदलाव का सामना करता है। यह सही है कि ज्योतिष विद्या में ज्ञान और शिक्षा का कारक ग्रह गुरु है, गुरु से मिलने वाले फल, बालक कि कुंडली में गुरु की स्थिति, युति और योग के अनुसार तय होते है। हम यहाँ शनि साढ़ेसाती में शनि से मिलने वाले फलों का विचार कर रहे हैं। शनि साढ़ेसाती के दूसरे चरण में शनि की प्रथम दृष्टि 3री दृष्टि मित्र भाव पर होती है।
ऐसे में किशोर के अपने मित्रों से मित्रताएं बनती और टूटती है। नए मित्र बनते है, कुछ समय बाद मित्रताओं में स्नेह कि कमी होती है और मित्रताएं समाप्त हो जाती है। इस आयु के बालकों में मित्रों का आना जाना लगा रहता है। स्थिर और लम्बी मित्रताएं शनि साढ़ेसाती के दूसरे चरण की अवधि में बालकों की कम ही हो पाती है।
इस आयु में बालक का कर्म क्षेत्र उसका शिक्षा संस्थान होता है, जहाँ उसे सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। इस काल में बालक की विषयों कि ग्रहण शक्ति कमजोर हो सकती है और विषयों को याद करने के लिए उसे बहुत अधिक प्रयास करना पड़ सकता है। शनि की शिक्षा देने का तरीका अलग होता है। शनि अनुभव आधारित शिक्षा देते हैं। जातक को कष्ट देकर सिखाते हैं। शनि गलती करने का अवसर नहीं देते, बल्कि पूर्व में की गई गलतियों का परिणाम देते हैं। शनि साढ़ेसाती के दूसरे चरण में बालक को आलस्य, सुस्ती, निराशा, देरी से काम करना आदि व्यवहार बालक में विकसित करता है। जिसके कारण बालक पर तनाव रहता है और वह अनमने ढंग से स्कूल से मिले होमवर्क को पूरा करता है।
शनि साढ़ेसाती फल तृतीय चरण किशोर अवस्था में
शनि साढ़ेसाती के इस चरण में शनि बालक कि जन्म राशि से द्वितीय भाव पर गोचर कर रहे होते हैं। यहाँ से शनि कि तीसरी दृष्टि बालक की जन्म राशि के चतुर्थ भाव, सुख भाव, मातृ भाव, जन्म स्थान भाव पर आ रही होती है, शनि कि तीसरी दृष्टि का फल अशुभ कहा गया है। ऐसे में शनि कि तीसरी दृष्टि के फल बालक को अशुभ रूप में प्राप्त होते हैं, बालक को माता से दूर जाना पड़ता है या मातृ भूमि से भी दूरी के योग इस समय में बनते हैं। पिता का स्थानांतरण या अन्य कारणों से बालक को अपने घर-परिवार से दूर जाना पड़ता है, जिसके कारण उसका मन खिन्न रहता है और वह मन से दुखी महसूस करता है।
किस समय शनि कुम्भ राशि में गोचर कर रहे हैं, मीन राशि के बालकों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण प्रभावी है। कुम्भ राशि वालों पर शनि कि साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है और मकर राशि वालों पर शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण प्रभावी है। कर्क और वृश्चिक राशि के बालकों कि शनि साढ़ेसाती न होकर शनि कि ढैय्या प्रभावी है।
वर्ष 2024 में शनि कि साढ़ेसाती किशोर बालकों के जीवन में उतार चढाव वाली साबित होगी। तनाव और आलस्य से बचने के लिए बालक इस समय में निम्न उपाय कर तनाव से मुक्त हो सकते हैं-
- इस काल में बालक अपने माता पिता की सेवा करें, जितनी ज़्यादा हो सके उतनी करें।
- गरीबों की अपने हाथ से सहायता करें।
- घर या स्कूल किसी को परेशान न करें, मज़ाक उड़ा कर किसी को तकलीफ ना दें।
- जानवरों को भी तकलीफ ना दें।
- कुसंगति से बचे और आलस्य का पूर्णता त्याग करें।