शनि ग्रह से हैं पीड़ित तो करें ये विशेष उपाय, जीवन में मिलेगी सफलता
By: Future Point | 18-Mar-2020
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शनिदेव वैदिक ज्योतिष में कर्मफलदाता के रूप में प्रतिष्ठित हैं, इन्हें कर्म व न्याय का कारक माना गया है| और ऐसा माना जाता है कि शनिदेव सभी भुजीवियों व देवताओं तक के कर्मो का अच्छा और बुरा फल समय आने पर प्रदान करते हैं| शनिदेव यदि कुण्डली में शुभ स्थिति में हों तो शुभ फल प्रदान करते है, कुछ लोग शनि को बहुत अशुभ समझते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि शनि की कृपा से इंसान कहां से कहां पहुंच जाता है। शनि के आशीर्वाद से इंसान के बिगड़े काम बनने लगते हैं और हर क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है| परन्तु यदि कुण्डली में इनकी स्थिति ख़राब हों और व्यक्ति का आचरण भी सही न हो तो उसे शनिदेव के प्रकोप से कोई नहीं बचा सकता, ज्योतिष में शनि ग्रह का सम्बन्ध कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, अनुशासन, दूरदृष्टि, ऑटो मोबाईल बिजनेस, धातु से संबंधित व्यापार, इंजीनियरिंग, अधिक परिश्रम करने वाले कार्य, खनिज तेल, कर्मचारी वर्ग, काली वस्तुएँ, लोहा, कैमिकल प्रॉडक्ट्स, कोयला, प्राचीन वस्तुएँ आदि से है| सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि हमारी आजीविका या करियर शनि द्वारा ही नियंत्रित होता है इसलिए अगर कुंडली में शनि अच्छी और मजबूत स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपने करियर में अच्छी सफलता मिलती है लेकिन अगर कुंडली में शनि कमजोर हो तो करियर में संघर्ष और बार-बार उतार चढाव की स्थिति बनती है। नौकरी करने वाले लोगों के लिए मजबूत शनि उन्हें अच्छी स्तर की नौकरी दिलाता है वहीँ कुंडली में शनि कमजोर हो तो मन मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती और बार बार जॉब छूटने की स्थिति भी बनती रहती है तो कुल मिलाकर हमारे करियर की सफलता में शनि की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
शनि और करियर-
शनि मशीनों और तकनिकी कार्यों का कारक है इसलिए आज के समय में शनि की महत्ता सबसे ज्यादा है क्योंकि हर काम में तकनीक और मशीनों का उपयोग होता है| जिन लोगों की कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में होता है उन्हें इंजीनियरिंग और तकनीकी कार्यों में अच्छी सफलता मिलती है। कुंडली में शनि मजबूत होने पर व्यक्ति हर बात का गहनता से अध्यनन करने वाला और दूर की सोच रखने वाला होता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि स्व या उच्च राशि में होकर केंद्र में होता है उन्हें अपने करियर में उच्च पदों की प्राप्ति होती है। राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी शनि एक बहुत विशेष महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि अगर कुंडली में शनि मजबूत ना हो तो ऐसे में अच्छा जन समर्थन नहीं मिल पाता इसलिए राजनैतिक सफलता के लिए भी शनि का बहुत अधिक महत्त्व है। लोहा, स्टील, गैस, प्लास्टिक, कैमिकल प्रोडक्ट्स और कांच ये सभी शनि के अन्तर्गत आते हैं इसलिए इन वस्तुओं से जुड़े व्यापर में सफलता भी व्यक्ति को तभी मिलती है जब कुंडली में शनि मजबूत हो। जो लोग प्राचीन वस्तुओं या किसी भी प्रचीन विषय को लेकर रिसर्च करते हैं वे भी अच्छे शनि के कारण ही सफल हो पाते हैं। अध्यात्म मार्ग में भी शनि का बड़ा विशेष महत्त्व है अगर कुंडली के नवमे भाव में शनि स्थित हो या नवमे भाव पर शनि का प्रभाव हो तो ऐसे में व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाला होता है।
शनि और रोग विचार-
जीवन में रोग का विचार छठे भाव और छठे भाव के कारक ग्रह शनि से किया जाता है| इसलिए स्वास्थ की दृष्टि से भी शनि की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है अगर कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को पाचन तंत्र और पेट से जुडी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं, शनि कमजोर हो तो व्यक्ति को कम उम्र से ही जॉइंट्स पेन की समस्या शुरू हो जाती है साथ ही दाँतों से जुडी समस्याएं भी उन्ही लोगों को ज्यादा होती हैं जिनकी कुंडली में शनि बहुत पीड़ित या कमजोर हो तो हमारी कुंडली में शनि का अच्छी स्थिति में होना स्वास्थ के नजरिये से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
विशेष सुझाव-
- विकलांग, बुजुर्ग और जरूरतमंद व्यक्तियों की सहायता करें।
- कभी भी अहंकार, घमंड न करें, विनम्र बने रहें।
- सफाइकर्मियों, अंधे, अपंगों, और सेवकों से अच्छा व्यवहार रखें।
- किसी भी देवी, देवता, गुरु आदि का अपमान न करें।
- शराब पीना, जुआ खेलना, ब्याज का धंधा तुरंत बंद कर दें।
शनि शांति के अचूक उपाय-
जिस व्यक्ति कि कुण्डली में शनि की ढैया या साढ़ेसाती चल रही हों या फिर जन्मकुंडली में शनि के अशुभ स्थिति में होने के कारण व्यक्ति रोग से पीड़ित हो तो उसे शनिदेव के उपाय करने चाहिए, जिसके करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
- हनुमान चालीसा का नियमित पाठ शनिदेव के प्रकोप से बचने का रामबाण उपाय है। यदि आप शनिढैया या शनि साढे साती से गुज़र रहे हैं और शनि द्वारा दिए कष्टों से पीड़ित हैं, तो हनुमान चालीसा आपके लिए अचूक औषधि की तरह है|
- शनि अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान या किसी तीर्थ स्थान के दर्शन करने से और पीपल का पूजन करने से शुभ फल प्राप्त होते है।
- यदि सूर्य और चंद्रमा एक राशि में स्थित हों और उसी दिन शनिवार पड़ जाए तो वह शनि अमावस्या कहलाती है। शनि अमावस्या के दिन किए गए दान-पूजन का अन्नत फल शास्त्रों में बताया गया है, और जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष हो तो उन जातकों को भी इस दिन अवश्य शनि देव के लिए उपाय करने चाहिए|
- दशरथ कृत “शनि स्तोत्र” का पाठ करने से जातक को शनि के शुभ फलों की प्राप्ति होती है|
- शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं|
- शनि की अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें, और प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, इससे शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है|
- ताम्रपत्र पर शनि के यंत्र का निर्माण करवाये और पूरे विधि-विधान के साथ इसकी पूजा कर, इसे प्राण प्रतिष्ठित कर ताम्रपत्र को अपने पास रखें, और नित्य शनिदेव की पूजा करें|
- शनि प्रकोप से बचने के लिए घोड़े की नाल से बना छल्ला मध्यमा अंगुली में पहनने से भी शनि का प्रकोप न्यूनतम हो जाता है। इसे एक रात पहले सरसों के तेल में डुबोकर रखें और धारण करने से पहले 108 बार शनि मंत्र का जाप करें|
- शनि के प्रकोप से पीड़ित या शनि की साढ़ेसाती झेल रहे व्यक्ति को नियमित तौर पर शनि का जाप करना चाहिए लेकिन शनि अमावस्या के दिन शनि मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है। एकाक्षरी मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नम: तांत्रिक बीज मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:|
- काले तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, काला छाता, और काला जूता दान देना चाहिए|
- छाया पात्र का दान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
- हर शनिवार की शाम पीपल पर सरसों के तेल का दिया जलायें तथा कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
- अपने घर में साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें, कोई भी कोना गन्दा न रहे|
- बिजली से चलने वाले उपकरण या मशीन ख़राब न रखें तुरंत ठीक कराएं|
- घर के किसी भी कोने में अँधेरा न रखे सभी जगह प्रकाश की उचित व्यवस्था करें|
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