राहु ग्रह की शान्ति के उपाय | Future Point

राहु ग्रह की शान्ति के उपाय

By: Future Point | 05-Feb-2019
Views : 34030राहु ग्रह की शान्ति के उपाय

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों को राहु / Rahu और केतु / ketu को ग्रहों की संज्ञा दी गयी है। वैसे तो राहु/केतु का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है। राहु - केतु दोनों को छाया ग्रह का स्थान दिया गया है। नवग्रहों में इन्हें पाप और अशुभ ग्रह कहा गया है।

राहु- केतु का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है। इन्हीं किसी भी ग्रह का स्वामित्व नहीं दिया गया है। राहु केतु जिस ग्रह के साथ होते है या जिस राशि में होते है। उस राशि के अनुसार फल देते है। जैसे कुंडली / kundli में यदि राहु मिथुन राशि में तो बुध की जगह राहु ग्रह के पास मिथुन राशि / mithun Rashi का स्वामित्व होगा।

जन्मपत्री / janam kundli में राहु जिस भी भाव में स्थित हो, या जिस भी ग्रह के साथ स्थित हो, उनसे शुभ फलों की प्राप्ति की आशा कम ही की जाती है। यह माना जाता है की राहु केतु अपनी दशा अन्तर्दशा में सामान्यता कष्टकारी सिद्ध होते है।

कुछ परिस्थितयों को छोड़ कर शेष समय राहु केतु की स्थिति को अशुभ फल दायक कहा गया है। जिन जातकों की कुंडली में राहु सुस्थित होता है उन जातकों को राहु की दशा गोचर शुभ फल देते है, अन्यथा इनसे मिलने वाले फल कष्टकारी साबित होते है। राहु को अचानक से जीवन में बदलाव और अप्रत्याशित लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के बाद जब अमृत कलश की प्राप्ति हुई तो अमृतपान करने के लिए देवताओं और दैत्यों में संघर्ष हो गया। परिस्थिति का लाभ उठाने के लिए राहु अपना रूप बदलकर देवताओं में शामिल हो गया।

जिसकी पहचान चंद्र देव को हो गयी। पहचान के समय राहु अमृत पान करने ही वाले थे। यह देख विष्णु देव ने अपने चक्र से राहु का मस्तक काट दिया। इस प्रकार राहु ने अमृत ग्रहण कर लिया था, इसलिए वह अमर हो गया और गर्दन से नीचे का भाग भी अमर होकर केतु कहलाया।

राहु ग्रह की कृपा पाने के लिए बुक करें राहु ग्रह शांति पूजा

राहु ग्रह शांति उपाय

  • राहु की शुभता के लिए राहु मंत्र का जाप करें - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः। मंत्रों की संख्या 18000 होनी चाहिए।
  • नित्य राहु यंत्र दर्शन पूजन करने से जातक की कुंडली में स्थित कालसर्प योग जैसे- अशुभ योगों की शान्ति होती है।
  • राहु यंत्र की घर में स्थापना से भी, व्यक्ति की पीड़ा कम हो जाती है।
  • शनिवार के व्रत का पालन करने से भी राहु ग्रह की शान्ति होती है।
  • किसी आश्रम में जाकर कोढ़ियों की सेवा करने से राहु दोष शांत होते है।
  • प्रात:काल में कौए के लिए मीठी रोटी किसी बर्तन में टुकड़े करके रखे।
  • किसी जरुरतमंद को चावल का भोजन कराएं।
  • किसी गरीब कन्या की शादी के व्यय में सहयोग करें।
  • रात्रि में सोने से पूर्व अपने सिरहाने जौ रखें और अगले दिन जागने पर इनका दान किसी व्यक्ति को कर दें।
  • राहु केतु यदि जन्मपत्री में सुस्थिर ना हो तो इनकी दशा जातक को हर प्रकार के कष्ट दे सकती है। इन ग्रहों की दशा शुरु होने से पूर्व ही यदि इन ग्रहों के उपाय कर लिए जाए तो व्यक्ति को मिलने वाले फल शुभ हो सकते है। राहु के दोष निवारण के लिए निम्न उपाय करने उपयोगी साबित होते हैं-
  • प्रात:काल में स्नानादि क्रियाओं से मुक्त होने के बाद राहु मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः का नित्य जाप करना चाहिए। मंत्र जाप की कुल संख्या 18000 है।
  • पूजा घर में राहु यंत्र स्थापित कर नित्य दर्शन पूजन करना राहु कष्टों में कमी करता है।
  • राहु शांति के लिए शनि देव और हनुमान जी को प्रसन्न करना भी श्रेष्ठ माना गया है। शनिवार के दिन शनि मंत्रों का जाप करने से शनि देव और राहु ग्रह दोनों प्रसन्न होकर जातक के कष्टों का निवारण करते हैं।
  • लगातार 7 शनिवार शनि देव के व्रत का पालन करने से राहु दोष की शांति होती है।
  • सोमवार के दिन व्रत का पालन करने से भगवान शिव प्रसन्न करते है। इससे राहु ग्रह के दोष शांत होते है।
  • भगवान शिव की आराधना करने, जलाभिषेक करने और भगवान शिव को धूप, दीप और फूल दिखाना चाहिये।
  • दूध और दूध से बने पदार्थों का भोग भगवान शिव को करने से राहु शांति होती है।
  • भगवान शिव की भक्ति मानसिक और शारीरिक प्रत्येक प्रकार के सुख प्रदान करती है। जन्मपत्री में राहु सूर्य या चंद्र दोनों में से किसी के साथ हों, तो जीवन का हर कष्ट दूर होता है।
  • राहु अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने के लिए सफेद चंदन अपने साथ सदैव रखे। इसके स्थान पर सफेद चंदन की माला भी धारण की जा सकती है।
  • प्रात:काल में स्नान ईष्ट देव का पूजन करने के बाद चंदन का टीका लगायें।
  • स्नान के जल में थोड़ा सा जल डालकर नहाना या फिर स्नान जल में चंदन का इत्र मिलाकर नहाना भी शुभप्रदायक कहा गया है।
  • जन्मपत्री में राहु शुभफलप्रदायक होकर स्थित हों, परन्तु किसी कारणवश अपने सभी शुभ पल देने में असमर्थ हो तो व्यक्ति को राहु रत्न गोमेद धारण करना चाहिए।
  • लोहे का छ्ल्ला शनिवार के दिन मध्यमा अंगूली में पहनने से और शनि मंत्र का जाप करने से शनि और राहु दोनों की अशुभता में कमी होती है।