वर्तमान में देखें अपनी हस्तरेखा और जाने अपना भविष्यफल | Future Point

वर्तमान में देखें अपनी हस्तरेखा और जाने अपना भविष्यफल

By: Future Point | 19-Apr-2019
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हमारे जीवन और हमारे हाथ की रेखाएं, दोनों एक दूसरे से प्रत्यक्ष रुप से संबंधित है। जीवन में होने वाली घटनाओं और हमारे जीवन को जानने-समझने में हमारे हाथ की रेखाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। भूतकाल, वर्तमान और भविष्य में व्यक्ति का जीवन किस प्रकार का रहेगा, यह हाथ की रेखाओं से जाना जा सकता है। हम सभी जानते है कि हम सभी के हाथों में अनेक रेखाएं होती हैं, जो जीवन के अलग अलग विषयों का प्रतिनिधित्व करती है। जीवन में किसी व्यक्ति के जीवन में कोई घटना कब घटित होगी और कब नहीं घटित होगी, यह हाथ की रेखाओं के अध्ययन से जाना जा सकता है। हाथ की रेखाओं को जीवन की घटनाओं का मानचित्र कहा जा सकता है।

हस्तरेखा शास्त्र में यह माना जाता है कि हथेली में स्थिति पर्वतों का ऊर्जा केंद्र मस्तिष्क के केंद्रों से जुडा होता है। इसलिए व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विषयों को ये ऊर्जा केंद्र नियंत्रित करते है। हाथ की अंगुलियों की ठीक नीचे स्थिति स्थानों को पर्वतों के नाम से जाना जाता है। ये पर्वत व्यक्ति के मस्तिष्क से जुड़े होने के कारण, मस्तिष्क की तरंगे, हथेलियों की रेखाओं और हथेली में स्थित प्रेशर पाईंट्स के प्रभाव के अनुसार परिवर्तित होते रहते है।

हथेली की रेखाओं से जीवन का ग्राफ सहज रुप से समझा जा सकता है।

    • हस्तरेखा शास्त्र यह कहता है कि यदि महिलाओं की अंगुलियां छॊटी हों तो वो सामान्य से अधिक व्यय करने की आदत होती है।
    • यदि दोनों हाथों की अंगुलियों को जोड़े और अंगुलियों के मध्य जगह दिखाई दे रही हो तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति बहुत अधिक व्यय करने वाला है। यह योग यदि महिलाओं के हाथों में बन रहा हो तो ऐसा मानना चाहिए कि उनका जीवन मुश्किलों भरा होगा।
    • कलाई के निकट आड़ी तिरछी रेखाएं मणिबंध के नाम से जानी जाती है। इन रेखाओं का विश्लेषण कर यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति के पास धन की स्थिति कैसी रहेगी, और आने वाले समय में उसका भाग्य कैसा रहेगा। ये रेखाएं व्यक्ति की आयु के विषय में भी बताती है। अलग अलग व्यक्तियों के हाथ की कलाई में बनने वाली रेखाएं अलग अलग प्रकार की होती है।

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    • हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि कलाई में चार मणिबंध रेखाएं हो तो व्यक्ति दीर्घायु वाला होता है, एक अनुमान के अनुसार इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति की आयु १०० वर्ष की होती है। कलाई में यदि ३ मणिबंध रेखाएं हो तो व्यक्ति की आयु १०० वर्ष के कम ७५ वर्ष के आसपास होती है। २ रेखाएं पचास वर्ष की आयु होने की संभावनाएं बनती है। एक मणिबंध रेखा २५ वर्ष की आयु का संकेत देती है।
    • मणिबंध रेखाओं के बारें में यह माना जाता है कि यदि ये रेखाएं गहरी न हों, टूटी फूटी और छिन्न भिन्न हों तो व्यक्ति को धन आगमन में परेशानियां आती है, उन्नति और सफलता बाधित रहती है। मणिबंध पर बहुत सारी जंजीरदार रेखाओं का होना जीवन में अनेक उलझने होने की संभावनाएं देती है। परन्तु जब रेखाएं साफ सुथरी और गहरी होती हैं तो व्यक्ति का जीवन सुखमय-बाधारहित और भाग्यशाली रहता है। यहां पर यव चिन्ह का होना भाग्य में बढ़ोतरी करता है। इसके विपरीत यदि यव की जगह यहां पर द्विप का चिंह हो तो व्यक्ति को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। मणिबंध रेखाओं का छोर पर जाकर मिलना भाग्य में कमी करता है। यह शारीरिक कष्ट की स्थिति का भी संकेत देता है।
    • मस्तिष्क रेखा हथेली में जीवन रेखा के करीब से शुरु होती है। सामान्यत: यह हथेली में आड़े आकार में मध्य में स्थित होती है। मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की बौद्धिक योग्यता की जानकारी देती है। हथेली के एक सिरे से शुरु होकर यह दूसरे सिरे तक जाती है। आईये अब ह्र्दय रेखा के बारे में बात करते हैं। ह्रदय रेखा के निकट से निकलने वाली समानांतर रेखा ह्र्दय रेखा होती है। वास्तव में ह्रदय रेखा छोटी अंगुली के नीचे वाले भाग से शुरु होकर गुरु रेखा के नीचे वाले भाग तक जाती है। यह व्यक्ति के ह्र्दर्य की स्थिति और रोगों की जानकारी देती है। इसके अतिरिक्त इस रेखा से व्यक्ति की आचार-विचार को भी जाना जा सकता है।
  • हाथ की रेखाओं के माध्यम से किसी व्यक्ति को जीवन में मिलने वाले मान-सम्मान और धन की स्थिति देखने के लिए एक से अधिक रेखाओं का विचार किया जाता है। इन्हीं में से एक रेखा सूर्य मणिबंध रेखा है। यह रेखा अनामिका अंगुली के ठीक नीचे के स्थान से शुरु होकर सूर्य पर्वत की ओर जाती है। अनुभव में पाया गया है कि यह रेखा अधिकतर सभी हाथों में नहीं पाई जाती है। यह रेखा व्यक्ति के मान-सम्मान और धन की जानकारी देती है।
  • भाग्य रेखा अपने नाम के अनुरुप फल देती है। यह भाग्य रेखा विशेष रुप से हथेली भाग में रेखांकित होती है। इस रेखा को किस्मत रेखा के नाम से भी जाना जाता है। शनि पर्वत के निकट से शुरु होकर यह हथेली के मध्य क्षेत्र तक जाती है।
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ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

कुंडली विशेषज्ञ और प्रश्न शास्त्री

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है। कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं। आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिका फ्यूचर समाचार में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं। जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋण और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा, विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।