Phulera Dooj 2024: फुलेरा दूज 2024 कब? मार्च माह का अबूझ मुहूर्त - फुलेरा दूज
By: Acharya Rekha Kalpdev | 06-Mar-2024
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Phulera Dooj 2024: फाल्गुन माह रंग, प्रकृति और उत्सव का पर्व है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि फुलेरा दूज के नाम से जानी जाती है। फुलेरा दूज हिन्दुओं का एक विशेष पर्व है, जो होली से कुछ दिन पूर्व आता है। फुलेरा दूज को होली आगमन का सन्देश भी कहा जा सकता है। होली पर्व की धूम फुलेरा दूज से सुनी जा सकती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2024 में फुलेरा दूज 12 मार्च, दिन मंगलवार के दिन की रहेगी।
फुलेरा दूज पर किस भगवान का दर्शन पूजन किया जाता है? | Which God is worshiped on Phulera Dooj?
फुलेरा दूज विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी को समर्पित दिवस है, जिसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण जी और राधा जी को होली आगमन के प्रतीक रूप में गुलाल लगाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान कृष्ण और राधा की होली विश्व प्रसिद्द होली है। संसार भर से लोग होली खेलने मधुरा, वृन्दावन आते है।
फुलेरा दूज के दिन लोग भगवान् कृष्ण और राधा जी का दर्शन पूजन करते हैं।। कान्हा जी को उनका मनपसंद भोग लगाते है। और उन्हें गुलाल अर्पित करते है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान् श्रीकृष्ण जी और राधा जी को गुलाल अर्पित करने से भक्तों के जीवन में रंग, उत्साह, उल्लास और खुशियां सारा वर्ष बनी रहती है। निराशा, उदासी और नेगेटिव ऊर्जा उनके जीवन से दूर होती है। इसके साथ ही जीवन सुखमय होकर आनंदायक होता है। भगवान् श्रीकृष्ण जी के आशीर्वाद से भक्तों के सब काम सफल होते हैं।
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फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त का स्थान दिया गया है। यह दिन शुभ कार्य शुरू करने, किसी नए व्यवसायिक प्रतिष्ठान की शुरुआत करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। भारतीय सनातन हिन्दू धर्म में किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले मुहूर्त का विचार करने की परम्परा है। एक शुभ मुहूर्त की तलाश ऐसे में अक्सर रहती है। कोई नया वहां लेना हो, या शुभारम्भ करना हो तो मुहूर्त देखे जाते है।
मुहूर्त के पक्ष से हर साल के कुछ दिन विशेष होते है, जिन्हें अबूझ मुहूर्त का नाम दिया जाता है। इस दिन में विशेष शुभता होती है, इसलिए इस दिन को शुभ कार्यों के लिए प्रयोग करते समय मुहूर्त के अन्य किसी नियम का विचार नहीं किया जाता है। इसलिए इसे अबूझ मुहूर्त का नाम दिया गया है। फुलेरा दूज शुभ मुहूर्तों की श्रेणी में आता है। इसे दोष मुक्त मुहूर्त दिवस भी कहा जा सकता है। किसी भी अच्छी काम की शुरुआत करने के लिए इस दिन का प्रयोग किया जा सकता है। गृहप्रवेश करना हो, या कोई नया समझौता, नए करार के लिए और नए व्यापार का आरम्भ करने के लिए भी फुलेरा दूज, अबूझ मुहूर्त का प्रयोग किया जा सकता है।
फुलेरा दूज पर्व पर मंदिरों में विशेष पूजा, आरतियों का आयोजन किया जाता है। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भगवान् राधाकृष्ण जी का श्रृंगार इस दिन सुन्दर फूलों से किया जाता है। राधा कृष्ण जी का सुन्दर श्रृंगार कर, उन्हें सजाया जाता है, उसके बाद उनका पूजन किया जाता है। सुन्दर-सुन्दर रंगोली बनाई जाती है। इस अवसर पर कृष्ण जी के सभी मंदिरों में पर्व का विशेष आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से यह पर्व मथुरा और वृन्दावन में मनाया जाता है।
बृजभूमि में यह पर्व सबसे अधिक मनाया जाता है। मथुरा, वृन्दावन, बरसाने और ब्रिज की होली विश्वप्रसिद्ध है। यहाँ फूलों की होली, रंगों की होली, लड्डूओं की होली विशेष रूप से खेली जाती है। मंदिरों में भगवान् श्रीकृष्ण के गीत, भजन गाये और सुने जाते है। नाच गाने का आयोजन किया जाता है। फुलेरा दूज को इस मौसम का सबसे शुभ दिन माना जाता है। यह इस मौसम का विवाह हेतु अंतिम मुहूर्त भी होता है। अत: इस दिन विवाह आदि कार्य करने के लिए अन्य विषयों का विचार नहीं किया जाता है।
उत्तर प्रदेश राज्य के अलावा फुलेरा दूज पर्व राजस्थान में भी विशेष रुप से मनाया जाता है। राजस्थान में विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन खास महत्त्व रखता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने दाम्पत्य जीवन की शुभता के लिए व्रत का पालन करती है। अपने जीवनसाथी की लम्बी आयु और सुख वृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है। फुलेरा दूज के दिन स्त्रियां प्रात:काल में व्रत का संकल्प लेकर व्रत की शुरुआत करते है। अपने मायके जाने की परंपरा भी इस पर्व पर है।
फुलेरा दूज पर्व तिथि मुहूर्त - 12 मार्च, 2024, मंगलवार का है। फुलेरा दूज तिथि का आरम्भ 11 मार्च ,2024, समय 10:44 दिन, सोमवार के समय हो रहा है। तिथि की समाप्ति 12 मार्च 2024, मंगलवार की सुबह 07:13 बजे तक हो रही है। 12 मार्च की दिन में सूर्योदय तिथि शामिल होने के कारण फुलेरा दूज पर्व 12 मार्च को मनाया जाएगा।
व्रत के दिन व्रत का पालन करने वाली स्त्रियों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नानादि क्रियाओं से मुक्त होकर। नए वस्त्र धारण कर, घर के मंदिर में भगवान् श्रीकृष्ण और राधाजी का फूलों से श्रृंगार कर, उन्हें गुलाल प्रस्तुत करना चाहिए। उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाना चाहिए। व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सारा दिन अन्न रहित व्रत रखना चाहिए। संध्या काल में पूजन करते हुए, कथा का श्रवण करना चाहिए। फुलेरा दूज को लेकर ऐसे मान्यता है कि इसी दिन से मथुरा में फूलों की होली की शुरुआत हुई थी। इस पर्व की धूम मधुरा में देखी जा सकती है।
जिन लोगों का विवाह किसी वजह से न हो पा रहा हो, उन लोगों को इस दिन व्रत कर फुलेरा दूज व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए। इससे उनका शीघ्र विवाह तय होता है और वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहता है।
फुलेरा दूज व्रत कथा | Phulera Dooj Fast Story
भगवान् श्रीकृष्ण अतिव्यस्तता के कारण राधा जी से नहीं मिल पाए। कृष्ण जी के न मिलने से राधा जी उदास और गुमशुम रहने लगी। उन्होंने हंसना और मुस्कुराना बंद कर दिया। इससे वहां के उपवन मुरझा गए, फूल पत्तियां सूखने लगी। बागों का सौंदर्य जाने लगा। तितलियों ने उड़ना, पक्षियों ने चहचहाना छोड़ दिया। यमुना जी भी बहना भूल गई। चारों और उदासी, निराशा छाने लगी। एक कृष्ण के न मिलने से यही स्थिति गोपियों कि भी थी। गोपियाँ भी राधा जी कि तरह उदास निराश रहने लगी।
राधा जी दिन भर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा में लीन रहती, उन्होंने खाना पीना सब छोड़ दिया। जब भगवान् श्रीकृष्ण जी को इस की खबर लगी, तो कृष्ण जी को बहुत बुरा लगा। राधा जी, गोपियों की यह स्थिति देख कर उन्होंने राधा जी से मिलने जाने का निर्णय लिया। जैसे जैसे वृन्दावन मार्ग से कृष्ण जी राधा जी से मिलने के निकले उपवन में बहार वापस आने लगी।कृष्ण जी मिलने आ रहे है, यह सुनकर राधा जी बहुत प्रफुल्लित हुई। वो बहुत खुश हुई, और प्रसन्न होकर गोपियों संग नाचने लगी। उनके मुख पर मुस्कान वापस आ गई। फूल खिलने लगे। एक बार फिर से पक्षी चहचहाने लगे, चारों और खुशियां बिखर गई।
राधा और गोपियाँ खुश हो गई। श्रीकृष्ण आये और राधा से मिले। राधा जी को खुश देख कर भगवान श्रीकृष्ण ने राधा जी पर फूल फेंके। भगवान् कृष्ण पर राधा जी ने भी फूल फेंके। यह देख कर सब एक दूसरे पर फूल फेकने लगे, और यहाँ से फूलों की होली की शुरुआत हुई। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन यह प्रसंग हुआ, उस दिन फुलेरा दूज होली थी। इसी उपलक्ष्य में फुलेरा दूज पर्व मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को गुलाल अर्पित कर, उन पर फूल बरसाए जाते है।
फुलेरा दूज के पर्व पर उत्तर भारत में इस दिन फूलों की होली खेली जाती है। मंदिरों को सजाया जाता है। राधा कृष्ण के साथ होली खेली जाती है।
इस फुलेरा दूज पर्व पर करें उपाय - होगी हर कामना पूरी
फुलेरा दूज अबूझ मुहर्त होने के साथ-साथ, एक ख़ास दिन हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही कृष्ण जी और राधा जी के साथ होली खेली जाती है। शुभ मुहूर्त के अनुसार इस दिन प्रेम विवाह के लिए, वैवाहिक जीवन को सुखमय रखने के लिए, और जीवन साथी की आयु लम्बी करने के लिए उपाय किये जाते है। फुलेरा दूज के दिन कौन से उपाय कर - इस शुभ दिन का शुभ उपयोग किया जा सकता है। आइये जाने।
प्रेम विवाह करने के लिए उपाय | Remedies for Love Marriage
प्रेमियों के लिए यह दिन बहुत महत्त्व रखता है। जिन प्रेमियों का विवाह होने में अड़चन आ रही हों, वो इस दिन राधा रानी जी और भगवान् श्रीकृष्ण जी को मिलकर फूल अर्पित करें। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी सच्चे स्नेह का सबसे सुन्दर उदाहरण है। प्रेम में सफलता की चाह रखने वाले प्रेमियों को इस दिन दोनों की पूजा पीले फूलों से करनी चाहिए, दोनों को नए वस्त्र भेंट करने चाहिए, और दोनों को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। और राधामाधव से अपने प्रेम की सफलता की कामना करनी चाहिए। इस प्रकार यह उपाय करने से प्रेम सफल होता है और दोनों पर भगवान् मोहन और राधा जी की कृपा बनी रहती है।
सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए | Remedies for Happy Married Life
यदि किसी न किसी वजह से आपके वैवाहिक जीवन में कोई न कोई परेशानी बनी ही रहती है। आपस में स्नेह की जगह विवाद और आवेश ने ले ली है। तो ऐसे में वैवाहिक जीवन कष्टमय बन जाता है। ऐसे दम्पतियों को मिलकर फुलेरा दूज के दिन भगवान् श्रीकृष्ण और राधा जी के युगल विग्रह की पूजा करनी चाहिए। दोनों दम्पति इस दिन यदि अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय रखने की कामना से व्रत भी रखते है तो अतिशुभ रहता है। इस दिन दोनों को कृष्णराधा जी को फूल अर्पित कर, धूप, दीप से पूजन करते हुए, उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। इससे कुछ समय में ही दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और आपस में स्नेह बना रहता है।
अविवाहितों के लिए उपाय | Remedy for Unmarried People
जो अविवाहित लम्बे समय से विवाह की प्रतीक्षा कर रहे है, और बहुत प्रयास करने पर भी कहीं विवाह तय नहीं हो पा रहा हो तो ऐसे अविवाहितों के लिए फुलेरा दूज एक शुभ दिन है। इस दिन विवाह की कामना से भगवान श्री कृष्ण और राधा जी का दर्शन पूजन करें, दोनों को फल, फूल और दीप दान करें। भोग लगाएं और देवी राधा को सोलह श्रृंगार भेंट करें, इस प्रकार राधा जी का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है और राधा जी शीघ्र विवाह का आशीर्वाद देती है।
विवाह बचाने का उपाय | Solution to Save Marriage
जिन दम्पतियों का विवाह तलाक की स्थिति तक पहुँच गया हो। और दोनों में से एक भी पक्ष यदि विवाह बचाना चाहता हो तो फुलेरा दूज के दिन वह यह उपाय करें। फुलेरा दूज पर वह व्यक्ति राधा जी और कृष्ण जी को पीले फूल अर्पित कर, दोनों की विधान से पूजा करें। राधा रानी से अपना विवाह बचाने की प्रार्थना करें। दोनों को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। इस प्रकार दर्शन पूजन करने से रिश्ता बच जाता है।
मनचाहे प्रेम को पाने का उपाय | Way to get the Love you Want
जो लोग किसी को पसंद करते है और किसी कारणवश यदि उसका विवाह नहीं हो तो ऐसे व्यक्ति को फुलेरा दूज पर एक उपाय करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को फुलेरा दूज पर कृष्ण जी और राधा जी दोनों का एक साथ पूजन करना चाहिए। पूजा करने के बाद एक कागज पर अपने प्रिय व्यक्ति का नाम अनार की कलम और केसर की स्याही से लिखें। और अपना कामना मन ही मन बोलते हुए, इस कागज़ को राधा रानी के श्रीचरणों में रख दें। इससे जल्द ही मनचाहे व्यक्ति से रिश्ता तय होने के योग बनते है।