नवरात्र में अष्टमी तिथि पर इस तरह करें कन्या पूजन
By: Future Point | 17-Oct-2018
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हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है नवरात्रि का पर्व जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। उत्तर भारत के कई राज्यों में इस शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है जबकि पश्चिम बंगाल और इससे सटे राज्यों में इसे दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार बार नवरात्र का पर्व आता है और इनमें से दो नवरात्रि प्रमुख रूप से मनाई जाती हैं जबकि दो नवरात्रि गुप्त मानीं गई हैं। ये दो गुप्त नवरात्रियां तंत्रशास्त्र और अलौकिक शक्तियां पाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
मुख्य हैं दो नवरात्रि
हिंदू धर्म में चार नवरात्रियों में से दो को ही प्रमुख माना गया है और ये है चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस पवित्र अवसर पर मां दुर्गा की उत्पित्त और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा ने असुरों के संहार के लिए नौ रूप धारण किए थे और इसीलिए नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
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कब है शारदीय नवरात्र 2018
इस बार शारदीय नवरात्र का आरंभ 10 अक्टूबर यानि बुधवार के दिन से हो रहा है। इस दिन घटस्थापना की जाएगी। नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
2018 में अष्टमी नवमी कब है
दुर्गा पूजा यानि अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर को बुधवार के दिन पड़ रही है। दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा होती है। वहीं नवमी तिथि 18 अक्टूबर को गुरुवार के दिन है। इस दिन नवरात्रि का पारण होगा। नवमी तिथि का शुभ रंग गुलाबी है।
नवरात्र में दुर्गा अष्टमी पूजन
नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन करने का विधान है। मान्यता है कि महागौरी का पूजन करने से मनवाहे वर एवं जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। अष्टमी पूजन के प्रभाव से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
दुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन
नवरात्र के अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विधान है। इस तिथि पर छोटी कन्याओं को अपने घर बुलाकर भोजन करवाया जाता है और उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा भी दी जाती है। कन्या पूजन करने से मां दुर्गा अपने भक्त के सभी दुखों को दूर करती हैं।
अष्टमी तिथि को 5,7,9 या 11 कन्याओं को घर पर बुलाकर हलवा पूरी खिलाएं। कन्याओं की उम्र 2 से 10 साल के बीच ही होनी चाहिए। कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोएं और फिर उन्हें उचित स्थान पर आसन देकर बैठाएं।
हिंदू पंरपरा के अनुसार कन्या पूजन के दौरान सभी कन्याओं के माथे पर कुमकुम से तिलक करें और इनकी कलाई पर कलावा बांधें। पूजन के बाद कन्याओं को हलवा, पूरी और चना या अपनी इच्छा अनुसार कोई भी सब्जी या मिष्ठान आदि भोजन में दें।
भोजन के बाद सभी कन्याओं को अपने सामर्थ्यानुसार भेंट या दक्षिणा देकर विदा करें। विदा करते समय परिवार के सभी बड़े सदस्य कन्याओं के पैर जरूर छुएं। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है और मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।
दुर्गाष्टमी पूजन में इस बात का रखें ध्यान
अगर आपने नवरात्र में अखंड ज्योत जलाई है तो घर को अकेला छोड़कर ना जाएं। जिस स्थान एवं दिशा में मां की मूर्ति स्थापित की है वहां पर पीठ करके ना बैठें। नवरात्र के दिनों में तामसिक भोजन का सेवन ना करें और अनैतिक कार्यों से दूर रहें। ब्रहृमचर्य का पालन करें।
नवरात्र में ये उपाय देंगें सुख-समृद्धि
नवरात्र के नौ दिनों में रोज माता रानी को शहद और इत्र चढ़ाएं। नवरात्र के बाद जो शहद और इत्र बच जाए उसे रोज माता का स्मरण करते हुए खुद इस्तेमाल करें। इससे मां की कृपा सदा आप पर बनी रहेगी।
संपत्ति एवं धन प्राप्ति के लिए नवरात्र के प्रथम दिन एक लाल रंग के कपड़े में 11 कौडियां और तीन गोमती चक्र रखकर माता के पूजन के साथ उस पर हल्दी से तिलक करें और उसे अपने पूजन स्थल में रख दें। नवमी को हवन करें और कन्याओं का पूजन करने के बाद उसी लाल कपड़े में बांधकर घर की रसोई में ऊंचाई पर बांध दें।
नवरात्र में दो जामुनिया रत्न लें और उसे गंगा के जल में डुबोकर घर के पूजन स्थल में रख दें और हर शनिवार को मां दुर्गा का स्मरण करते हुए उस जल का पूरे घर में छिडकाव करें। इससे पारिवारिक शांति आएगी और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ेगा।
इसके बाद पुन: इन रत्नों को गंगाजल में डुबोकर मंदिर में रख दें। इस उपाय को नवरात्र से आरंभ करना ज्यादा शुभ रहेगा।
मां दुर्गा अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से भी प्रसन्न हो जाती हैं। अगर आप अपने जीवन को सुख और समृद्ध बनाना चाहते हैं तो इस शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना जरूर करें।
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