मूंगा रत्न को पहनने के फायदे और नुकशान
By: Future Point | 04-Apr-2020
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मूंगा रत्न जिसे संस्कृत में प्रवाल,अंगारकमणि, रक्तांग, हिंदी में मूंगा और अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है। मूंगा मंगल गृह का प्रतिनिधि रत्न है, मूंगा मुख्यतः लाल रंग का होता है, इसके अतिरिक्त मूंगा सिंदूरी, गेरुआ, तथा सफेद रंग का भी होता है, मूंगा एक जैविक रत्न है, यह समुद्र के गर्भ में लगभग छः सात सौ फिट निचे गहरी चट्टानों पर विशेष प्रकार के कीड़े, जिन्हें आईसिस नोबाइल्स कहा जाता है| इनके द्वारा स्वयं के लिए बनाया गया घर होता है|
उनके इन्हीं घरों को मूंगे की बेल अथवा मूंगे का पौधा भी कहा जाता है| बिना पत्तों का केवल शाखाओं से युक्त यह पौधा एक या दो फिट ऊँचा और एक इंच मोटाई का होता है| कभी-कभी इसकी ऊंचाई इससे अधिक भी हो जाती है| मूंगा दूसरे रत्नों की तरह रसायनिक पदार्थों से मिलकर नहीं बना है बल्कि यह एक वनस्पति है इसलिए इसका अध्ययन वनस्पति विज्ञान में किया जाता है। यह पानी से बाहर आने के बाद हवा के संपर्क में आने से कठोर हो जाता है। परिपक्व हो जाने पर इसे समुद्र से निकाल कर मशीनों से इसकी कटिंग आदि करके मनचाहे आकारों का बनाया जाता है|
मूंगे के विषय में कुछ लोगों की धारणा है कि मूंगे का पेड़ होता है| किन्तु वास्तविकता यह है, कि मूंगे का पेड़ नहीं होता है बल्कि इसकी आकृति पौधे जैसी होने के कारण ही इसे पौधा कहा जाता है| वास्तव में यह जैविक रत्न होता है| मूंगा समुद्र में जितनी गहराई पर प्राप्त होता है, इसका रंग उतना ही हल्का होता है| इसकी अपेक्षा कम गहराई पर प्राप्त मूंगे का रंग गहरा होता है, अपनी रासायनिक संरचना के रूप में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रूप होता है|
मूंगा भूमध्य सागर के तटवर्ती देश अल्जीरिया, सिगली के कोरल सागर, ईरान की खाड़ी, हिन्द महासागर, इटली तथा जापान में प्राप्त होता है| इटली से प्राप्त मूंगे को इटैलियन मूंगा कहा जाता है, यह गहरे लाल सुर्ख रंग का होता है| तथा सर्वोत्तम मूंगा जापान का होता है| सामान्यतः मूंगा नारंगी रंग में पाया जाता है|लाल, गुलाबी, सफेद, तथा धूम्र रंग के मूंगे भी प्राप्त होते हैं, सर्वश्रेष्ठ मूंगे नारंगी अथवा लाल रंग के ही होते हैं|
मूंगा रत्न के अनेक ज्योतिषीय लाभ होते हैं और ये सेहत को भी बहुत फायदा पहुंचाता है। जिन लोगों की कुण्डली में मंगल पापी होकर अशुभ फल दे रहा होता है, उसे नियंत्रित करने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए। मूंगा एक ऐसा रत्न है, जिसे धारण करने से अनेको प्रकार के लाभ प्राप्त होते है। इस रत्न को अगर सही तरह से और सही परिस्थिति में धारण किया जाए तो ये आपका जीवन बदल सकता है।
मूंगा पहनने के लाभ (Munga Stone Benefits)-
मूंगा रत्न को ऊर्जा प्रदान करने और कार्यों को पूर्ण करने के लिए जाना जाता है। मूंगा धारण करने से कई फायदे होते हैं, इस रत्न को सोने, चॉदी या तॉबे में पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का भय खत्म हो जाता है। मूंगा धारण करने से ईर्ष्या दोष समाप्त होता है, साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
- ऐसे लोग जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। मूंगा के प्रभाव से उन्हें धैर्य और साहस मिलता है।
- मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को मूंगा पहनने से अत्यन्त लाभ होता है।
- मूंगा आपके अंदर नेतृत्व क्षमता का विकास करता है और आप जीवन की चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि यदि गर्भवती महिला मूंगा रत्न पहनती हैं तो गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में गर्भपात की संभावना कम हो जाती है।
- मेष, वृश्चिक, सिंह, धनु व मीन राशि वाले लोग मूंगा धारण कर सकते है।
- सूर्य और मंगल आपस में मित्र है। सूर्य का रत्न माणिक्य है, इसलिए मूंगा के साथ माणिक्य पहना जा सकता है।
- मूंगा रत्न पुखराज और मोती के साथ भी पहना जा सकता है।
- लाल मूंगा धारण करने से जीवन में आने वाले मुश्किल हालात का आत्म सम्मान और दृंढ इच्छाशक्ति के साथ सामना करने का बल प्राप्त होता है।
- पुलिस, आर्मी, डाक्टर, प्रापर्टी का काम करने वाले, हथियार निर्माण करने वाले, सर्जन, कम्प्यूटर साप्टवेयर व हार्डवेयर इन्जीनियर आदि लोगों को मूंगा पहनने से विशेष लाभ होता है।
- उदासी व मानसिक अवसाद पर काबू पाने के लिए मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
- कुछ ऐसे बच्चे जो कुपोषण से पीड़ित हैं उनके लिए लाल मूंगा रत्न पहनना लाभकारी होता है।
- मूंगा सांप और बिच्छू के विष के प्रभाव को कम करता है या सर्पदंश और बिच्छू के डंक से रक्षा करता है।
- अगर किसी बच्चे को आलस्य बहुत सता रहा है तो उसे मूंगा पहनाने से उसका आलस्य दूर भाग जाता है।
- जिनके मॉसपशियों में दिक्कत रहती है, उन्हें मूंगा पहनने से फायदा मिलता है।
- यदि किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई दिक्कत है तो उसे मूंगा पहनने से फायदा मिलता है।
- शुगर रोगी अगर मूंगा धारण करेंगे तो उनका शुगर कंट्रोल में बना रहेगा।
- मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए मूंगा पहनना अत्यन्त हितकारी साबित होता है।
- मूंगा रत्न खून, अस्थि मज्जा और सिर से संबंधित बीमारियों से रक्षा करता है। कुछ रोग जैसे- पाइल्स, अल्सर यानि फोड़े आदि होने पर मूंगा रत्न पहना जा सकता है।
मूंगा रत्न की हानियां-
लाल मूंगा रत्न मंगल ग्रह के लिए पहना जाता है। यदि कुंडली में मंगल ग्रह शुभ स्थिति में होकर कमजोर हो तो उसके प्रभाव को और बढ़ाने के लिए अथवा मंगल के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए मूंगा धारण किया जाता है। हालांकि मूंगा को पहनने के कुछ नुकसान भी होते हैं। यदि किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह के बिना यह रत्न पहना जाता है तो, इसके नकारात्मक असर भी हो सकते हैं। इनमें कुछ गलत प्रभाव इस प्रकार हैं:
- बिना सलाह के मूंगा रत्न धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
- इनमें रक्त संबंधी विकार होने की संभावना बनी रहती है।
- वैवाहिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
- लोगों के प्रति व्यवहार में कड़वाहट आती है।
- आपका स्वभाव में क्रोध बढ़ सकता है।
- दुर्घटना आदि की भी सम्भावना रहती है।
- आप अतिआत्मविश्वास के शिकार हो सकते हैं।
कितने रत्ती यानि वज़न का मूंगा रत्न धारण करना चाहिए-
मूंगा रत्न 5 से लेकर 9 कैरेट तक का पहना जा सकता है। मूंगा को सोने या तांबे की अंगूठी में डालकर धारण किया जाना चाहिए। क्योंकि सोना और तांबा मंगल ग्रह से संबंधित धातु हैं। मंगलवार का दिन मंगल ग्रह की उपासना के लिए सबसे शुभ माना जाता है इसलिए मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए। इस रत्न को पहनने के बाद यह दो सप्ताह के अंदर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है| और इसका प्रभाव 5 साल तक रहता है। इसके बाद मूंगा रत्न का प्रभाव खत्म हो जाता है और इसे बदलने की आवश्यकता होती है। बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए जापानी और इटालियन लाल मूंगा धारण करना चाहिए। हालांकि मूंगा रत्न धारण करने से पहले किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें।
मूंगा रत्न पहनने के विधि (How to wear Coral Gemstones)-
लाल मूंगा रत्न को सोने या तांबे की धातु में धारण करना बहुत अच्छा होता है। इस रत्न का वज़न 5 कैरेट से कम नहीं होना चाहिए। मूंगा रत्न को गाय के दूध या गंगाजल में पूरी रात डूबाकर रखें। ऐसा करने से रत्न की सारी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं।
इस रत्न को मंगलवार के दिन मंगल की ही होरा में धारण करें। क्योंकि यह दिन और समय मूंगा धारण करने के लिए सबसे शुभ होता है। लाल रंग के आसन पर बैठें और मूंगा रत्न जड़ित अंगूठी लाल कपड़े पर रखें। इस कपड़े पर कुछ पुष्प भी रखें और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद ''ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:'' मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर इस अंगूठी को दायें हाथ की अनामिका अंगुली में धारण कर लें।
असली मूंगा रत्न की पहचान (Identification of real Munga Ratna)-
मूंगे की प्रमुख विशेषता इसका चित्ताकर्षक सुंदर रंग व आकर है, लाल मूंगा रत्न दिखने में बेहद मनोहर व सुंदर होता है। यह रत्न मानव सुमदाय को समुद्र से प्राप्त होने वाला एक अनुपम उपहार है। इस रत्न की बनावट एक समान और इसकी सतह पर कोई दोष नहीं होता है। असली लाल मूंगा रत्न की पहचान करने के लिए आप ये तरीके अपना सकते हैं।
दूध से भरे आधे ग्लास में मूंगा रत्न को डालें। कुछ देर बाद आप देखेंगे कि दूध का रंग सफेद से लाल दिखाई देने लगेगा। इसकी वजह है रत्न से निकलने वाली विकिरण, जो दूध द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। हालांकि मूंगा निकालने पर दूध का रंग सफेद ही रहेगा।
मूंगा रत्न को हल्दी की गांठ पर रगड़ें। यदि रत्न असली हुआ तो हल्दी का रंग लाल हो जाएगा। वहीं रत्न नकली होने पर हल्दी के रंग में कोई बदलाव नहीं होगा।
मूंगा को शीशे पर रगड़ें। इस दौरान आप अगर तेज आवाज़ को महसूस करते हैं तो समझ लीजिए यह नकली रत्न है। क्योंकि असली मूंगा को शीशे से रगड़ने पर कोई आवाज़ नहीं आती है।
मूंगा रत्न के दोष-
- छिटका अथवा खण्ड युक्त मूंगा धारण करना स्वास्थ्य तथा सामाजिक परिस्थितियों के लिए शुभ नहीं होता, ऐसा मूंगा धारण नहीं करना चाहिए|
- चमक रहित मूंगा भी धारण करना श्रेष्ठ नहीं होता|
- जो मूंगा दोरंगा हो वह धारण करने योग्य नहीं होता|
- काली आभा युक्त मूंगा भी धारण नहीं धारण करना चाहिए|
- टेढ़ा-मेढ़ा मूंगा भी नहीं धारण करना चाहिए|
- जिस मूंगे में चुने के समान धब्बे दिखाई दें वह मूंगा भी धारण करने योग्य नहीं होता|