स्वास्थ्य को उत्तम रखें - ज्योतिषीय उपायों से
By: Acharya Rekha Kalpdev | 03-May-2024
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पहला सुख निरोगी काया, यह सभी विद्वानों ने माना है। आपके पास सब सुख है, और आप बीमार है तो वो सब सुख किस काम के है। अगर आप स्वस्थ्य ही नहीं है तो आप सुख साधनों को कैसे भोगेंगे। इसलिए अपने आप को स्वस्थ रखना आपका पहला दायित्व है। हर कष्ट को बांटा जा सकता है, सिर्फ शरीर का कष्ट ऐसा है जिसे बांटा नहीं जा सकता है, जिसे व्यक्ति को सहना ही पड़ता है। कई बार आपने आप को स्वस्थ रखना संभव नहीं हो पाता है, हम बहुत प्रयास करते है। इस संसार में बहुत से लोग है जो स्वस्थ शरीर पाने को तरसते है। बहुत प्रयास करने पर भी उन्हें कोई न कोई दुःख लगा ही रहता है। कई बार सही जीवन शैली अपनाने पर भी हमें स्वास्थ्य सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारा स्वास्थ्य हमारे जन्म लग्न, लग्नेश और कारक ग्रह पर बहुत हद तक निर्भर करता है। प्रारब्ध के आधार पर हमें यह शरीर मिला है, यदि कुंडली का पहला भाव, अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो व्यक्ति अधिकतर बीमार ही रहता है। लग्न भाव पर वक्री ग्रहों की स्थिति, लग्नेश का कमजोर होकर वक्री होना भी शरीर को बीमार करता है। ख़राब हेल्थ के लिए कमजोर ग्रह बहुत हद तक जिम्मेदार होते है। शरीर कमजोर हो तो मौसम में बदलाव होते ही, हम बीमार हो जाते है। ज्योतिषीय उपायों से स्वास्थय को ठीक किया जा सकता है। उपाय और अनुष्ठान रोगों को दूर करते है और स्वास्थ्य सुख को बढ़ाते है।
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रत्न चिकित्सा के माध्यम से हम स्वास्थ्य विकारों का उपचार कर सकते है। माणिक्य रत्न सूर्य का रत्न होने के कारण रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास करता है। जीवन शक्ति को बेहतर करता है। जीवन शक्ति में वृद्धि करता है। इसके विपरीत पन्ना रत्न बुध ग्रह का रत्न होने के कारण बौद्धिक योग्यता, बुद्धि क्षमता और स्मरणशक्ति, वाक्शक्ति को बढ़ाता है। बुध ग्रह की विशेषताएं पन्ना रत्न में समाहित होती है, जिसे धारण करने से बुध के गुण व्यक्ति में स्वत: आ जाते है। वाणी में सुधार करने के लिए भी पन्ना रत्न धारण किया जाता है। मानसिक विकारों को दूर करने के लिए पन्ना रत्न पहनाया जाता है। ह्रदय गति को सुचारु करने और हृदय रोगों के विकारों को दूर करने के लिए हीरा रत्न धारण किया जाता है। हीरा रत्न अनामिका अंगुली में धारण किया जाता है, जिसकी वेन हृदय से जुडी होती है। हम बात करें अगर नीलम रत्न की तो नीलम आलस्य का त्याग करा कर, मेहनती बनाता है। शांति प्राप्ति के लिए भी नीलम रत्न को धारण किया जाता है। रत्नों से चिकित्सा बहुत बड़ा और गहरा विज्ञानं है।
रंगों से चिकित्सा
रंग चिकित्सा पद्वति भी विश्व में ख्याति प्राप्त चिकित्सा पद्वति है। रंगों के द्वारा इसमें रोगों का निवारण किया जाता है। इंद्रधनुष के साथ रंगों को इस पद्वति में प्रयोग किया जाता है। हम सब जानते है की इंद्रधनुष में लाल, पीला, हरा, बीला, जामुनी, इंडिगो और नारंगी रंग होते है। ये रंग मनुष्य पर अलग अलग प्रकार से प्रभाव डालते है।
इंद्रधनुष के सात रंग निम्न प्रकार से शारीरिक चिकित्सा में उपयोगी साबित होते है -
लाल रंग - लाल रंग के वस्त्र और लाल रंग की वस्तुएं धारण करने से उत्तेजना, जोश, आवेश बढ़ता है। शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है अनीमिया रोग की संभावनाएं दूर होती है। यह विटामिन बी-१२ भी देता है और आलस्य को दूर कर ऊर्जा का संचरण करता है।
पीला रंग - पीला रंग इच्छा शक्ति को बेहतर करता है। पीला रंग धारण करने से लीवर, त्वचा रोग, गुर्दे, नर्वस सिस्टम और विटामिन ए की कमी को दूर करता है।
हरा रंग - हरा रंग धारण करने से पित रोग में भी कमी होती है।
नीला रंग - स्वभाव को शांत करने के लिए नीला रंग धारण करने से दर्द में कमी होती है।
नारंगी रंग - नारंगी रंग भौतिक सुखों से हटा कर वैराग्य में लेकर जाता है। इसमें लाल और पीले रंग दोनों के गुण पाए जाते है। इस रंग को धरना करने से डिप्रेशन और अकेलापन दूर होता है। यह जीवन में ऊर्जा का संचार बेहतर करता है।
जामुनी रंग - रहस्य और गूढ़ता का प्रतीक है। जामुनी रंग नीले और लाल रंग को मिलाकर बनता है। जामुनी रंग धारण करने से विटामिन डी की कमी पूरी होती है।
इन्डिगो रंग - इंडिगो रंग के वस्त्र धारण करने से व्यक्ति को पेट की शिकायत, माइग्रेन, आँख, नाक और पित्त ग्रंथी के रोगों में सुधार होता है। यह रंग विटामिन भी प्रदान करता है।
सफेद रंग - यह मानसिक शांति प्रदान करता है। मन को शांत रखता है और विचारों को उत्तम रखता है। रक्त प्रवाह को भी यह संतुलित रखता है।
ज्योतिष में मंत्र उपाय चिकित्सा
मन्त्र जाप से भी रोगों का निवारण किया जा सकता है। रोग निवारण की यह पद्वति मंत्र चिकित्सा पद्वति के नाम से जानी जाती है। मन्त्र ऊर्जा और ध्वनि के माध्यम वातावरण को शुद्ध करते है। गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करने से गंभीर से गंभीर रोगों में लाभ मिलता है। मंत्र जाप के परिणाम को बेहतर रूप में प्राप्त करने के लिए मन्त्र यन्त्र के सम्मुख करने चाहिए। सूर्य यन्त्र के सामने गायत्री मंत्र का जाप करने से गायत्री मन्त्र और अच्छा फल देता है। विभिन्न देवी देवताओं और ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
यन्त्र-मंत्र का प्रभाव मन और शरीर पर पॉजिटिव रूप से पड़ता है। जैसे कोई व्यक्ति यदि महामृत्युंजय यंत्र के सामने महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है तो मंत्र की शक्ति कई सौ गुना बढ़ जाती है। ऐसे ही नौग्रहों की शुभता को पाने के लिए नवग्रह यन्त्र के सामने सम्बंधित ग्रह का मंत्र जाप करने से, ग्रह से जुड़े रोगों का निवारण होता है।
सूर्य ग्रह से जुड़े रोगों को ठीक करने के लिए सूर्य यन्त्र के सामने बैठकर सूर्य के मंत्र - ॐ सूर्याय नम: का जाप करने से सूर्य ग्रह जनित रोगों में लाभ मिलता है।
हम सब जानते है की हम सब का जीवन ग्रहों की गति से चलता है। प्रत्येक ग्रह हमारे शरीर के किसी न किसी अंग का प्रतिनिधित्व करता है। कालपुरुष कुंडली के द्वारा शरीर में रोगों की पहचान की जाती है। जीवन के किस भाग में कौन सी समस्या आएगी यह जन्मकुंडली के योग, दशा और गोचर से जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए किसी को हड्डियों में कमजोरी से पीड़ित है तो जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह अशुभ प्रभाव में होगा और पीड़ित होगा।
नवग्रहों में सूर्य हमारे आभामंडल को बताता है। आत्मिक शक्ति से जुड़ा होता है। हृदय, हड्डियों की समस्या और विटामिन डी की समस्या सूर्य ग्रह से जुडी हो सकती है।
चंद्र ग्रह की बात करें तो, चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है। चन्द्रमा पाचन तंत्र, शरीर में तरल पदार्थ, लसिका आदि शामिल है। चन्द्रमा पानी और से जुडी समस्याएं देता है। हार्मोनल और मूड डिसॉर्डर से जुडी समस्याओं को देने वाला ग्रह भी चंद्र है।
बुध ग्रह - बुध ग्रह कुंडली में कमजोर हो तो व्यक्ति को अल्पबुद्धिमता, मानसिक चंचलता, तंत्रिका तंत्र, फेफड़े और श्वसन तंत्र से जुड़े रोग होते है। सांस की समस्या, वाणी दोष भी बुध देता है। शुक्र ग्रह गले, गर्दन और गुर्दे के रोग देने की क्षमता रखता है। शुक्र बाल और नाखूनों से जुडी समस्याएं भी देता है।
मंगल ग्रह कुंडली में कमजोर हो तो व्यक्ति को मांसपेशियां, अधिवृक्क ग्रंथियां और यौन अंग प्रभावित होते है।
गुरु ग्रह/बृहस्पति ग्रह यकृत, पित्ताशय की थैली की समस्याएं, परिसंचरण और उच्च रक्तचाप, पित्ताशय और धमिनी के रोग देता है।
शनि ग्रह रोग निराशा, अवसाद, जोड़ों और दांतों के रोग देता है।
रोग चिकित्सा की पारम्परिक विधियां
घर में जब रोग प्रवेश कर जाए तो घर के एक व्यक्ति के बीमार होने पर परिवार के सारे सदस्य परेशान हो जाते है। रोगों पर खर्च होने वाला धन भी व्यर्थ विषयों पर खर्च होता है। रोग रोगी को तो कष्ट देते ही है साथ ही यह सारे परिवार की चिंता और अशांति की वजह भी बनते है। निम्न बातों का ध्यान रख कर रोगों पर नियंत्रण रखा जा सकता है और स्वस्थ रह सकते है -
1. परिवार में जब किसी व्यक्ति को रोग परेशान करें तो रोगी के लिए चिकित्सक से सलाह लेकर औषधि लें। औषधि रोगी को खिलाने से पहले, औषधि को घर के मंदिर में कुछ देर के लिए रख दें। मंदिर में ईश्वर का आशीर्वाद मिलने से औषधि शीघ्र प्रभाव देती है। इसके बाद औषधि को रोगी को खिलाएं।
2. पूर्णिमा तिथि पर भगवान् शिव की उपासना करें। भगवान् शिव से प्रार्थना करें कि आपका परिवार स्वस्थ रहें, निरोगी रहे। भगवान् शिव से प्रार्थना के बाद मंदिर के बाहर बैठे जरूरतमंदों को फल, प्रसाद और धन का दान करें।
3. परिवार में कोई व्यक्ति रोगी हो तो रोगी को मंगलवार व् शनिवार हनुमान जी की मूर्ति के पैरों का सिन्दूर लेकर रोगी के माथे पर जल्द ही रोगी स्वस्थ होता है।
4. घर में रोग, शोक बढ़ गए हो तो परिवार का मुखिया यह उपाय कराये - रोगी प्रात:काल में उगते सूर्य को ताम्बे के लोटे में जल लेकर अर्घ्य दे। अर्घ्य देते हुए - एँ मंत्र का 21 बार जाप करें। और सूर्य भगवान् से स्वयं के रोगमुक्त होने की कामना करें। यह उपाय लगातार सोमवार से लेकर रविवार तक करने पर रोगमुक्ति होती है।
5. प्रतिदिन खाली पेट अशोक के पेड़ की 3 पत्तियां चबाकर खाने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
6. काफी लम्बे समय से यदि कोई व्यक्ति ठीक न हो रहा हो तो रोगी के सिरहाने के नीचे सहदेई और पीपल के पेड़ जड़ रखने से रोग जल्द पीछा छोड़ते है।
7. रोगी की बहुत गंभीर अवस्था हो, बहुत इलाज कराने से भी लाभ नहीं हो रहा हो तो यह उपाय करें - जौ का आटा, काले तिल सरसों का तेल मिलाकर एक मोटी रोटी बनायें, उसे सात बार एंटीक्लॉक वाइज रोगी के सिर से लेकर पैर तक उतारे और किसी भैंसे को खिलाएं। इससे रोगी जल्द ही स्वस्थ होता है।
8. सूर्य जब मेष राशि में गोचर कर रहा हो तो सूर्योदय के समय नीम की छोटी मुलायम, कोपलें तोड़कर, गुड़ व् मसूर की दाल के साथ पीसकर खाने से रोग साल भर के लिए दूर रहते है। साल में एक बार यह उपाय सभी को करना चाहिए।
9. रोगी के सोने का प्रबंध घर के दक्षिण -पश्चिम कोने में करना चाहिए और रोगी का सिर दक्षिण दिशा की और होना चाहिए। इसके साथ ही रोगी की दवा और पानी घर के ईशान कोण में करना चाहिए। रोगी को दवा और खाना-पीना ईशान कोण में बिठाकर और पूर्व की और मुंह कराके ही खिलाना चाहिए।
10. घर में कोई अधिक बीमार रहता है और बार-बार रोग उसका पीछा ही नहीं छोड़े रहे हैं तो ऐसे व्यक्ति के तकिये के नीचे माणिक्य रखने से वह जल्द स्वस्थ होता है।
11. रोग निवारण के लिए पीपल के पेड़ की सेवा से अद्भुत और अचूक लाभ प्राप्त होते है। पीपल के पेड़ की सेवा शनि देव की पूजा मानी जाती है। शनिवार के दिन रोगी पीपल के पेड़ जी जड़ों में जल अर्पित करें, और पेड़ की जड़ों की मिट्ठी से अपने माथे पर तिलक लगाएं। पुरुष रोगी तिलक लगाने के बाद पेड़ की सात परिक्रमा लगाए और रोग दूर रखने की कामना करें। स्त्री रोगी परिक्रमा न लगाएं। ऐसे ही पीपल के पेड़ से रोग निवारण की प्रार्थना करें।
12. बहुत लम्बे समय से घर में कोई बीमार है तो रोगी का हाथ लगवाकर अपने सामर्थ्यानुसार कुछ दवा और फलों का दान निकट के अस्पताल में जाकर करें। इससे रोगी को रोग में लाभ होगा। ऐसा समय समय पर करते रहना चाहिए, इससे घर के सदस्य निरोगी रहते है।
13. किसी के घर या अस्पताल जब भी किसी रोगी को देखने जाए तो इस बात का ध्यान रखें, कि खाली हाथ न जाएँ, कुछ फूल और फल अवश्य साथ लेकर जाएँ। रोगी को अपने हाथ से यह सब देकर आये। इससे रोग दूर रहते है।
14. रोगी व्यक्ति को स्वस्थ करने के लिए यह उपाय टोटके के रूप में आप प्रयोग कर सकते है। रोगी को पान में गुलाब के फूल की सात पत्ते खिलाने से रोगी की बुरी नजर दूर होती है। जिससे दवा का प्रभाव जल्द होने से रोगी जल्द ठीक होता है।
15. बहुत अधिक आयु हो गई हो और रोगी लम्बे समय से मरणासन्न हो तो मुक्ति के लिए महामृत्युयंजय मंत्र का जाप करना चाहिए और रोगी का हाथ लगवाकर नमक का दान करना चाहिए।
16. रात में सिरहाने एक का सिक्का रख कर सोएं, सुबह उठकर उसे शमशान भूमि में फेंक आये। इससे रोगों से मुक्ति मिलती है।
17. शनिवार के दिन रोगी का जट्टा वाले नारियल से उतारा कर उसे तंदूर या हवन कुंड में जलाने से रोगी जल्द स्वस्थ होता है। यह उपाय करने से रोगी को जल्द स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
18. सात जट्टा वाले नारियल लेकर शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन भगवान् शिव के मंत्र का जाप करते हुए नदी में प्रवाहित करने से रोग से रोग, शोक दूर होते हैं।
19. रोगी को जिस जल से दवा खिलाते है, उस जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर पिलाने से रोगी जल्द ठीक होने लगता है।
20. जो व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार रहता है उस व्यक्ति के पलंग के पाए में चांदी के तार में 1 गोमती चक्र बांध दें। इससे रोगी जल्द ठीक होगा। गोमती चक्र को तार में बांधने से पहले गंगाजल में धोकर कुछ देर के लिए मंदिर में रखें, उसे धूप, दीप और फूल दिखाएँ।
21. देसी पान, गुलाब का फूल,11 बताशे रोगी के सिर से लेकर पैर तक 31 बार उतार कर किसी चौराहे पर रात्रि में रख कर आये और पीछे मुड़ कर न देखें। इससे रोग परिवार से दूर रहते है।
22. बहुत चिकित्सा कराने के बाद भी यदि कोई रोगी ठीक न हो रहा तो पुष्य नक्षत्र के समय में सहदेवी की जड़ रोगी के पास रखने से रोगी स्वस्थ होता है।
स्वास्थ्य और उनके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैदिक यंत्र
यहां कुछ यंत्रों के उदाहरण दिए गए हैं जिन्हें स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए माना जाता है और वे कैसे काम करते हैं:
श्री यंत्र: श्री यंत्र हिंदू धर्म में सबसे सम्मानित यंत्रों में से एक है और माना जाता है कि यह ब्रह्मांड की दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें नौ इंटरलॉकिंग त्रिकोण शामिल हैं और अक्सर आध्यात्मिक और शारीरिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए ध्यान और प्रार्थना में प्रयोग किया जाता है। श्री यंत्र चक्रों को संतुलित करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद करता है।
श्री धनवंतरी यंत्र: श्री धन्वंतरि यंत्र हिंदू भगवान धन्वंतरि से जुड़ा हुआ है, जो चिकित्सा के देवता हैं। माना जाता है कि यह यंत्र अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, और अक्सर इसका उपयोग शारीरिक बीमारियों को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि श्री धन्वंतरि यंत्र धन्वंतरि की उपचारात्मक ऊर्जाओं को पकड़कर और उन्हें शरीर और मन में प्रवाहित करके काम करता है।
महा मृत्युंजय यंत्र: हिंदू भगवान शिव महा मृत्युंजय यंत्र से जुड़े हैं और अक्सर इसका उपयोग दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि यह यंत्र बीमारी और बीमारी को दूर करने में मदद करता है और अक्सर इसका उपयोग ध्यान और प्रार्थना में किया जाता है। महा मृत्युंजय यंत्र शिव की परिवर्तनकारी ऊर्जा में दोहन करके काम करता है।
वास्तु दोष नाशक यंत्र: वास्तु दोष नाशक यंत्र भगवान विष्णु की सकारात्मक शक्ति का उपयोग करता है और इसे पर्यावरण में प्रवाहित करता है। इस यंत्र का उपयोग अक्सर घरों और व्यवसायों में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद के लिए किया जाता है।