Kharmas 2022 - शुरू हो गया है खरमास, जानिये अब कब बजेंगी शादी की शहनाईयां
By: Future Point | 15-Dec-2022
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खरमास को मलमास भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मलमास एक महीने का होता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे कि विवाह, सगाई, गृह प्रवेश या गृह निर्माण आदि का कार्य नहीं किया जाता है। खरमास दिसंबर के महीने में धनु संक्रांति से शुरू होता है और जनवरी के महीने में मकर संक्रांति के दिन इसका समापन होता है। हिंदू धर्म में खरमास का एक अलग महत्व है।
इस साल 16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत हो रही है। इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। जब 14 जनवरी 2023 को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब खरमास समाप्त होगा और शुभ कार्यों का आरंभ होगा।
ज्योतिषियों का कहना है कि खरमास के खत्म होने के बाद 17 जनवरी, 2023 से लेकर 14 मार्च, 2023 तक विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस दौरान विवाह के लिए कुल 28 तारीखें हैं। इसके बाद 15 जनवरी, 2023 को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे और खरमास फिर से शुरू हो जाएगा।
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2022 में कब शुरू हो रहा है खरमास
साल 2022 में 16 दिंसबर को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर खरमास शुरू होगा और फिर अगले साल यानि साल 2023 में 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर खरमास खत्म होगा।
खरमास के उपरांत विवाह के शुभ मुहूर्त
जनवरी 2023 - 17 जनवरी, 18 जनवरी, 19 जनवरी, 25 जनवरी, 26 जनवरी, 27 जनवरी, 30 जनवरी और 31 जनवरी
फरवरी 2023 - 1 फरवरी, 6 फरवरी, 7 फरवरी, 8 फरवरी, 9 फरवरी, 10 फरवरी, 13 फरवरी, 15 फरवरी, 22 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी और 28 फरवरी
मार्च 2023 - 1 मार्च, 5 मार्च, 6 मार्च, 7 मार्च, 8 मार्च, 9 मार्च, 11 मार्च और 14 मार्च
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खरमास में क्यों नहीं होती शादियां
खरमास या मलमास में कोई भी शुभ कार्य करना निषेध है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार खरमास में शादी करने वाली दंपत्ति के बीच हमेशा अनबन रहती है और पति-पत्नी का रिश्ता कमजोर रहता है। इस साल खरमास 16 दिसंबर से शुरू होकर साल 2023 में 14 जनवरी को समाप्त हो रहा है। खरमास के समाप्त होने के बाद से विवाह कार्य पुन: आरंभ हो जाएंगे।
खरमास का महत्व
ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य और भगवान विष्णु जी की खरमास के महीने में आराधना करने से मन को शांति मिलती है और जीवन के सारे कष्टों का निवारण होता है। खरमास के महीने में कई कार्य करने की मनाही है। आगे आप जान सकते हैं कि खरमास के महीने में क्या कार्य करने चाहिए और किन कामों से बचना चाहिए।
सूर्य और धनु दोनों ही अग्नि तत्व हैं। धनु राशि में सूर्य के गोचर से दो उग्र तत्वों का योग बनता है। इससे सर्वत्र अग्नि तत्व की वृद्धि होती है। धनु, गुरु ग्रह की मूल राशि है और जब इस राशि पर सूर्य का संयोग होता है तो इसका प्रभाव सभी पर देखने को मिलता है।
सूर्य संक्रांति
हर महीने सूर्य राशि परिवर्तन करते हें और एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या गोचर करते हैं। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को सूर्य संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेया करते हैं, तब इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। धनु संक्रांति को खरमास संक्रांति भी कहा जाता है।
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खरमास के महीने में क्या करना चाहिए
- इस महीने में सूर्य देव देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इस महीने में सूर्य देव की उपासना का बहुत महत्व है।
- सूर्य देव को जल चढ़सएं और 'ऊं घ्रणी सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें।
- जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हैं, उन्हें इस महीने में अमावस्या के दिन अपने घर पर ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए और उन्हें भोजन एवं वस्त्र अर्पित करने चाहिए।
- इस महीने में सूर्य को अर्घ्य देने का बहुत महत्व है। पवित्र नदी में स्नान करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
खरमास के महीने में क्या ना करें
- ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार खरमास का महीना शुभ समय नहीं माना जाता है। इस समय विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। जो भी खरमास के महीने में विवाह करता है, उस दंपत्ति के बीच प्यार कम रहता है और दोनों के बीच किसी ना किसी वजह से झगड़ा रहता है।
- नया घर खरीदना, गृह प्रवेश, प्रॉपर्टी खरीदनी या नया बिजनेस शुर करना भी खरमास में अशुभ माना जाता है।
- इस महीने में नया वाहन खरीदने से बचना चाहिए।
- खरमास के महीने में लोगों को मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
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खरमास का ज्योतिषीय महत्व
मलमास भी सूर्य की धनु संक्रांति के कारण होता है। धनु और मीन राशि में सूर्य का होना सूर्य के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि गुरु की राशियों में सूर्य कमजोर स्थिति में होता है। सूर्य वर्ष में दो बार गुरु की राशि में गोचर करता है। पहली धनु संक्रांति 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक और दूसरी मीन संक्रांति 14 मार्च से 13 अप्रैल तक है। विवाह, यज्ञोपवीत, कान छिदवाना, गृहप्रवेश, वास्तु आदि कुछ ऐसे कार्य हैं जो इन महीनों में नहीं किए जाते हैं। इस काल में भक्ति गीत गाए जाते हैं।
पौराणिक कथाएं
खरमास को लेकर पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। किवदंती है कि जब सूर्य अपने रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे, तब उनके घोड़े प्यास से तड़पने लगे। अपने अश्वों की स्थिति देखकर सूर्य देव काफी व्यथित होने लगे। हालांकि, वो इसे ठीक करने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते हैं। रास्ते में उन्हें पानी का एक तालाब दिखा जो कि दो गधों यानि खारों के बीच में था।
सूर्य देव को अपने अश्वों की प्यास बुझाने का मार्ग मिल गया। उन्होंने घोड़ों को रथ से निकाला और उनकी जगह दोनों गधों को रथ से बांध दिया। तब ब्रह्मांड का आगे का चक्कर गधो के इस रथ ने लगाया। जब सूर्य देव वापिस तालाब पर पहुंचे तो उन्होंने गधों को खोलकर अपने अश्वों को वापिस बांध दिया। घोड़ों की प्यास शांत हुई। इस कारण से इस महीने को खरमास का महीना कहा जाता है।
इस मरह पौष के महीने में गधों ने धीमी गति से सूर्य के रथ के साथ ब्रह्मांड का चक्कर लगाया। इस मास में सूर्य की तीव्रता बहुत क्षीण हो जाती है, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रभाव पूरे पौष मास में क्षीण हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए आप Future Point के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।