ज्योतिष शास्त्र की हमारे जीवन में भूमिका
By: Future Point | 01-Dec-2020
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ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है, गूढ़ रहस्य है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखने वाली विद्या से है। ज्योतिष शास्त्र को सीखने से पहले इस शास्त्र को समझना आवश्यक है।
सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष यानी वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश में स्थित ग्रह, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्यादि का निश्चय किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां, 12 भाव और 27 नक्षत्र हैं, इन्हीं के आधार पर जन्मकुंडली का फलादेश किया जाता है।
ज्योतिष वास्तव में संभावनाओं का शास्त्र है। सारावली के अनुसार इस शास्त्र का सही ज्ञान मनुष्य के जीवन में तरक्की और धन अर्जित करने में बड़ा सहायक होता है, क्योंकि ज्योतिष जब शुभ समय बताता है तो किसी भी कार्य में हाथ डालने पर सफलता की प्राप्ति होती है, इसके विपरीत स्थिति होने पर व्यक्ति उस कार्य में हाथ नहीं डालता। तो इस प्रकार ज्योतिष प्रत्येक माईने में मनुष्य जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है।
ज्योतिषशास्त्र के आचार्यों ने अपनी अन्वेषणात्मक बुद्धि से ग्रहों के पड़ने वाले प्रभावों को पूर्ण रूप से परखा तथा उसके विषय में समाज को उचित मार्ग-दर्शन प्रदान किया। आज इस बात की आवश्यकता है कि हम इस शास्त्र के ज्ञान को सही सरल और सुबोध बनाकर मानव-समाज के समक्ष प्रस्तुत करें।
शास्त्र वर्णित नियमानुसार यदि फलादेश किया जाए, जो प्रत्यक्ष रूप से घटित हो, तो इस शास्त्र को विज्ञान कहने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। फलादेश की प्रक्रिया: फलित ज्योतिष के विस्तार एवं विधाओं को देखने से ज्ञात होता है कि महर्षियों ने अपनी-अपनी सूझ-बूझ से अन्वेषण किया।
परिणामतः उनके भेद-उपभेद होते चले गये। अतएव इसमें जातक, संहिता, केरल, समुद्रिक, अंक, मुहूर्त, रमल, शकुन, स्वर इत्यादि उपभेदों में भी अनेक सिद्धांतों का प्रचलन हुआ। मात्र जातक को ही लिया जाये, तो उसमें भी अनेक सिद्धांत प्रचलित हुए जिनमें केशव और पराशर को मूर्धन्य माना गया है। ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों की मौलिक प्रकृति, गुणतत्व-दोष कारक तत्व इत्यादि में लगभग सभी का मतैक्य है, परंतु फलकथन की विधि, दृष्टि, योग और दशादि के विचार में सब में मतांतर है।
ज्योतिषशास्त्र में महर्षि पराशर ने ग्रहों के शुभा-शुभत्व के निर्णय का वैज्ञानिक दृष्टि से फलादेश करने की विधियों, राजयोग, सुदर्शन पद्धति, दृष्टि तथा विश्लेषण किया है, उतना ‘अन्यत्र नहीं है। उन्होंने ग्रहों के अधिकाधिक शुभाशुभत्व का अलग से निर्णय किया है। राजयोग के बारे में भी उनका विचार स्वतंत्र तथा सुलझा हुआ है। यद्यपि वराहमिहिर आदि आचार्यों ने भी इस पर अपना प्रभाव कम नहीं डाला है, फिर भी पराशर के विचार की तुलना में इनका विचार गौण है। अतः समीक्षकों ने ‘फलौ पराशरी स्मृति कह दिया है।
''एते ग्रहा बलिष्ठाः प्रसूति काले नृणां स्वमूर्तिसमम्।
कुर्युनेंह नियतं वह्वश्च समागता मिश्रम्॥''
ऊपर लिखे गए श्लोक से पता चलता है कि सभी ग्रहों का प्रकाश और नक्षत्रों का प्रभाव धरती पर रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं और चीजों पर पड़ता है। अलग-अलग जगहों पर ग्रहों की रोशनी का कोण अलग-अलग होने की वजह से प्रकाश की तीव्रता में फर्क आ जाता है। समय के साथ इसका असर भी बदलता जाता है।
जिस माहौल में व्यक्ति रहता है, उसी के अनुरूप उसमें संबंधित तत्व भारी या हल्के होते जाते हैं। हर एक की अपनी विशेषता होती है। जैसे, किसी स्थान विशेष में पैदा होने वाला मनुष्य उस स्थान पर पड़ने वाली ग्रहों के प्रभाव की विशेषताओं के कारण अन्य स्थान पर उसी समय जन्मे व्यक्ति की अपेक्षा अलग स्वभाव और आकार-प्रकार का होता है।
ज्योतिष न केवल हमारे भविष्य के बारे में भविष्यवाणी करता है बल्कि कुछ हद तक मुश्किलों और बुरी किस्मत को दूर करने के लिए उपाय भी बताता है। कभी-कभी जीवन में ऐसी परिस्थिति आती है जहां ज्योतिष हमारी किस्मत और भाग्य को आजमाने के उपाय और समाधान देकर एक प्रमुख भूमिका निभाता है,
ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य का भाग्य फल का आंकलन एवं भविष्य का अनुमान उसके जन्म स्थान, समय, काल को देख कर की जाती है।
ज्योतिष एक मूल्यवान प्रक्रिया है जो जीवन की प्रत्येक समस्या के समाधान में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है। ज्योतिष ऐसा दिलचस्प विज्ञान है, जो जीवन की अनजान राहों में मित्रों और शुभचिन्तकों की श्रृंखला खड़ी कर देता है। इतना ही नहीं इसके अध्ययन से व्यक्ति को धन, यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
इस शास्त्र के अध्ययन से सामान्य व्यक्ति भी परम पूजनीय पद को प्राप्त कर जाता है।
ज्योतिष सूचना व संभावनाओं का शास्त्र है। ज्योतिष गणना के अनुसार अष्टमी व पूर्णिमा को समुद्र में ज्वार-भाटे का समय निश्चित किया जाता है।
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वैज्ञानिक चन्द्र तिथियों व नक्षत्रों का प्रयोग अब कृषि में करने लगे हैं। ज्योतिष शास्त्र भविष्य में होने वाली घटनाओं व कठिनाइयों के प्रति मनुष्य को सावधान कर देता है।
रोग निदान में भी ज्योतिष का बड़ा योगदान है। दैनिक जीवन में हम देखते हैं कि जहां बड़े-बड़े चिकित्सक असफल हो जाते हैं, डॉक्टर थककर बीमारी व मरीज से निराश हो जाते हैं वही मन्त्र-आशीर्वाद, प्रार्थनाएँ, टोटके व अनुष्ठान काम कर जाते हैं।
जन्मकुंडली विश्लेषण द्वारा प्रसिद्ध कुंडली विशेषज्ञ जीवन के भविष्य को समझ सकता है और किसी व्यक्ति को उसके स्टार संकेतों को पूर्णरूप से समझाने में उसकी मदत कर सकता है,
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