गुरु गोचर 2024, वृषभ राशि - भारत पर कर्ज कम होगा या बढ़ेगा?
By: Acharya Rekha Kalpdev | 16-Apr-2024
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गुरु गोचर 2024: वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह ज्ञान, बुद्धि, आध्यात्मिकता, विकास, विस्तार, सौभाग्य, विशालता और विस्तार कर्म, धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतानों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ ही गुरु को वैदिक ज्योतिष में शिक्षण, शिक्षा, आकाश तत्व का कारक माना गया है। यह हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को एक धन, वित्त, समृद्धि का कारक ग्रह माना जाता है. गुरु ग्रह धार्मिक आस्था, आत्मज्ञान और धार्मिक गतिविधियों, धार्मिक कमर्काण्ड से भी सम्बंधित ग्रह है. कालपुरुष कुंडली में गुरु बारहवें भाव और भाग्य भाव का स्वामी होने के कारण, यह धार्मिक विषयों पर व्यय और धर्म स्थलों से जुड़ा ग्रह है. देव गुरु बृहस्पति देवताओं के गुरु होने के कारण इन्हें गुरु स्थान प्राप्त है. गुरु ग्रह, मार्गदर्शक, सलाहकार, आध्यात्मिक गुरु भी है. संहिता ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह दर्शन शास्त्र, धर्म स्थल और धार्मिक धर्मग्रंथों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
बृहस्पति ग्रह 12 माह में एक बार राशि बदलते है। लगभग 12 माह के बाद गुरु एक बार फिर से 1 मई 2024 को अपराह्न काल में 12:59, बुधवार के दिन, शुक्र की वृष राशि में गोचर करने वाले है। नौ ग्रहों में गुरु ग्रह सबसे शुभ ग्रह माने जाते है। वृषभ राशि में गुरु का गोचर 12 वर्ष के बाद होने वाला है। वृषभ राशि में प्रवेश करने के साथ ही गुरु 6 मई, 23:02 को अस्त भी हो रहे है और 03 जून 2024, 07:01 को गुरु उदय होंगे और इसके साथ ही एक बार फिर से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। हम जानते है कि देव गुरु बृहस्पति के अस्त होने की अवधि में शुभ कार्य करने पर रोक होती है। वृषभ राशि में गुरु मई 1, 2024 से लेकर 14 मई 2025 के मध्य तक रहेंगे, उसके बाद बुध की मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
भारत की कुंडली में गुरु 8वें भाव और 11वें भाव के स्वामी है और छठे भाव पर स्थित है। छठे भाव पर स्थित होकर गुरु 2,10 और 6 वे भाव को दृष्टि सम्बन्ध से जोड़ रहे हैं। इन भावों को अर्थ भाव का नाम भी दिया गया है। अर्थ भावों का आपस में जुड़ना आर्थिक पक्ष से अनुकूल है। परन्तु छठे भाव में गुरु ऋण भी देता है। जैसा की हम आजादी के बाद से देख सकते है। आजादी के बाद से ही भारत पर दूसरों देशों का ऋण बढ़ता ही जा रहा है। 2014 में 55।87 लाख करोड़ का कर्ज आज बढ़कर १५५.31 लाख करोड़ रूपये का हो गया है। शुक्र और गुरु दोनों को गुरु का स्थान प्राप्त है। शुक्र राक्षसों के गुरु है और देव गुरु बृहस्पति देवताओं के गुरु है। विचारणीय बात यह है कि शुक्र के साथ देव गुरु बृहस्पति के सम्बन्ध मित्रवत नहीं है। बृहस्पति ग्रह बड़े ग्रहों की श्रेणी में आते है। गुरु का वृषभ राशि में गोचर करना भारत के लिए विशेष रहेगा। 1 मई, 2024 से गुरु का लग्न भाव, वृषभ राशि पर गोचर में विचरण करना क्या भारत के कर्ज को बढ़ाएगा या कर्ज को कम करने में इस ग्रह गोचर से कोई लाभ मिलने वाला है। वृषभ राशि भारत की लग्न राशि है, लग्न राशि पर बृहस्पति का गोचर भारत के वित्तीय स्थिति के लिए कैसा रहने वाला है- आइये जानें-
आजाद भारत की कुंडली में बृहस्पति देव आयेश है और स्वनक्षत्र विषाखा में स्थित है। आर्थिक पक्ष से यह योग अतिउत्तम है। 1 मई 2024 को गुरु का गोचर जब लग्न भाव पर रहेगा तो उस समय गुरु ग्रह पर कन्या राशि में गोचर कर रहे केतु की दृष्टि का प्रभाव आने वाला है। केतु नवम्बर माह 2023 से कन्या राशि, भारत के पंचम भाव पर गोचर कर रहे है। तभी से राहु भी गोचर में एकादश भाव मीन राशि पर गोचरस्थ है।
एकादश भाव आय और महत्वकांक्षाओं का भाव है, राहु के प्रभाव से भारत विकासशील देशों की सूची से बाहर निकल कर विकसित देशों में शामिल होने की यात्रा शुरू कर चूका है। अपने वर्तमान विकास और वृद्धि से भारत संतुष्ट नहीं है और वह ज्यादा से ज्यादा आगे बढ़ने का प्रयास इस समय कर रहा है। अष्टमेश और एकादशेश गुरु का गोचर में लग्न भाव पर गोचर करने की अवधि भारत के लिए गुरु गोचर का समय आर्थिक लाभ का रहेगा।
लग्न पर स्थित गुरु अपनी पंचम दृष्टि से शिक्षा क्षेत्र, शैक्षिक प्रणाली और शिक्षा संस्थानों में नए नियम लाने और शिक्षा क्षेत्र, परीक्षा प्रणाली में सुधार करने का कार्य कर सकता है. मनोरंजन स्थल, खेल के स्टेडियम आदि की व्यवस्था में भी सुधार के योग इस समय बने हुए है. अभिनय नगरी के लिए कुछ नई सिटी तैयार होने की संभावनाएं भी बनी हुई है. गुरु क्योंकि संतान और जनसंख्या का कारक ग्रह भी है, यहाँ गुरु गोचर में पंचम और नवम दोनों को दृष्टि दे रहे हैं तो ऐसे में गुरु जनसंख्या नियंत्रण पर कोई नया कानून आने के संकेत दे रहा है. शिक्षा, शैक्षिक प्रणाली, शैक्षिक केंद्रों, मनोरंजन स्थलों, स्टेडियम आदि से जुड़े क्षेत्रों के लिए बजट में प्रावधान हो सकता है। गोचर में इस समय भारत के पंचम भाव पर राहु की सप्तम दृष्टि आने से पीपर लिक जैसे मामले इस वर्ष सामान्य से अधिक बढ़ने वाले है। राहु की पंचम दृष्टि तीसरे भाव पर आने से इस वर्ष सोशल मीडिया का दुरूपयोग भी हो सकता है। एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के लिए सोशल मीडया प्लेटफार्म का उपयोग हो सकता है।
लग्न भाव से गुरु की ७ वीं दृष्टि सप्तम भाव पर होने से विदेशी मुद्रा विनियम नियमों को सहज बनाने के योग इस समय बन सकते है. वैश्विक सहयोग से कुछ नई बड़ी योजनों पर कार्य शुरू करने की सहमति इस समय में बन सकती है. वृषभ राशि में गोचर के समय में गुरु पर केतु के अतिरिक्त अन्य किसी बड़े ग्रह का प्रभाव नहीं रहने वाला है। लग्न भाव पर गोचर के समय गुरु की सप्तम दृष्टि सप्तम भाव पर रहेगी, विदेश मुद्रा की आवक बढ़ने से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। विदेश से अप्रत्याशित धन भारत आ सकता है। भारत के पास धन आने से वित्तीय स्थिति में सुधार होगा। बड़े बड़े देशों भारत में इन्वेस्टमेंट कर सकते है। विश्वव्यापी योजनाओं में भारत की सहभागिता बढ़ने वाली है। बड़े नेटवर्क सर्कल और बड़े समूहों के साथ आर्थिक लाभ का रेलगाड़ी तीव्रगति से दौड़ने वाली है। इस दिशा में इस समय में किए गए प्रयास सफलता देंगे। इस वित्तीय लाभ के योग में आठवां भाव भी शामिल है, इसलिए बड़े आर्थिक उतार-चढ़ाव के लिए भी भारत को इस समय तैयार रहना होगा।
इस वर्ष गोचर में वृश्चिक राशि सप्तम भाव पर गुरु, राहु, शनि तीनों की दृष्टि का प्रभाव आने वाला है। वृश्चिक राशि भारत के सप्तम भाव की राशि है, यह समय वैश्विक साझेदारी के लिए विशेष रहेगा। राहु भी इस योग में शामिल है, अत: अविश्वास के चलते वैश्विक साझेदारी टूट भी सकती है। सावधान रहना लाभकारी रहेगा।
लग्न भाव से गुरु-केतु की दोनों की दृष्टि नवम भाव धर्म स्थल, न्याय प्रणाली, न्याय, सर्वोच्च न्यायालय और धर्म स्थलों से सम्बंधित फैसलों का भाव भी है. केतु कि नवम भाव पर दृष्टि विध्वंस के बाद सृजन देता है. जबकि गुरु ग्रह पहले की स्थिति को अपने आशीर्वाद से सुधारता है. इस प्रकार भारत की कुंडली के लिए गुरु और केतु की नवम भाव पर धर्म स्थलों को लेकर न्यायालय में चल रहे कोर्ट केस में फैसलों के बाद पुननिर्माण के योग बना रहा है. भूमिगत निर्माण कार्य शनि का कारक ग्रह शनि है जो भारत कि कुंडली के अनुसार नवमेश है, अत: पुननिर्माण कि पुष्टि का संकेत गोचर में शनि ग्रह की चतुर्थ भाव पर दृष्टि भी दे रही है.
लोकसभा चुनाव के लिए गुरु गोचर कैसा रहेगा?
मई-जून माह २०२४ का समय भारत में लोकसभा चुनाव के परिणाम का भी रहेगा। मई माह में गुरु गोचर में लग्न भाव पर रहेंगे, 14 मई के बाद गुरु को गोचर में सूर्य का साथ भी मिलने वाला है। गुरु और सूर्य की युति गोचर में भारत के लग्न भाव पर,सत्ता पक्ष के लिए शुभ फलदायक है, यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि गुरु के फलों में अष्टमेश का प्रभाव भी युक्त है। इसलिए इस वर्ष भारत को असाध्य, गंभीर और बड़े रोगों पर नियंत्रण के लिए मेडिसन साईस में बड़े आविष्कार पर विशेष ध्यान देना होगा, कुछ असाध्य रोगों की दवाओं का आविष्कार इस समय में होने से कम मूल्य की दवाएं बाजार में आ सकती है।
धर्म भाव के स्वामी शनि इस समय कुम्भ राशि भारत के दशम भाव पर गोचर कर रहे है, शनि ऐतिहासिक इमारतों के कारक ग्रह है। शनि यहाँ नवमेश और दशमेश दोनों होने के कारण न्यायालय में चल रहे विवादित धार्मिक स्थलों से जुड़े मामलों का अंतिम निर्णय आने का समय भी गुरु वृषभ राशि में गोचर का समय रहेगा। गुरु धर्म के कारक ग्रह है, नवम भाव धर्म का भाव है, न्याय का भाव है, न्याय प्रणाली का भाव है, सनातन धर्म के सभी धर्म स्थलों का भाव है, गुरु और केतु का गोचर में नवम भाव को देखना सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास को बढ़ाएगा, लोग पहले की तुलना में मई 1, 2024 से लेकर 14 मई 2025 के मध्य के समय में अधिक धार्मिक होंगे, हिन्दू मंदिरों में भक्तों की अधिक भीड़ इस समय में रहने के योग बन रहे है। धार्मिक क्रियाओं और गतिविधियों के लिए यह समय अतिशुभ रहेगा। धार्मिक स्थलों के महंतों का मान सम्मान, पीठधीश्वरों और शंकराचार्यों की राष्ट्र, विश्व में ख्याति बढ़ेगी। इस वर्ष केतु और गुरु दो धर्म, आध्यात्म से जुड़े ग्रहों का प्रभाव मकर राशि (नवम) पर रहने वाला है। अर्थात इस समय भारत के सनातन धर्म, आध्यात्म का परचम विश्व भर में रहने वाला है।