जानिए नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की महिमा
By: Future Point | 06-Oct-2018
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हिंदू धर्म में मां दुर्गा की भक्ति के लिए नवरात्र के नौ दिन समर्पित किए गए हैं। वैसे तो सालभर में चार बार नवरात्रि चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीने में आते हैं लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्र का महत्व सबसे ज्यादा है। बाकी दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्र 2018
इस बार शारदीय नवरात्र का पर्व 10 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है। 10 से 18 अक्टूबर तक मां दुर्गा की पूजा होगी और फिर 19 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। इन नौ दिनों में मां दर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं मां दुर्गा के इन खास नौ दिनों की अलग-अलग विशेषताओं के बारे में..
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प्रथम दिन – मां शैलपुत्री
नवरात्र के प्रथम दिन पर मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इन्हें पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री का वाहन बैल है और इन्हें सभी जीवों का संरक्षक माना जाता है। समस्त आपदाओं से मुक्ति पाने के लिए मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। इसी रूप में देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया था।
दूसरा दिन – मां ब्रह्माचारिणी
नवरात्र के दूसरे दिन पर मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। इनकी एक भुजा में कमंडल और दूसरी में रुद्राक्ष होता है एवं देवी सफेद रंग की साड़ी धारण किए होती हैं। मां ब्रह्माचारिणी हिमालय की पुत्री थीं और उन्होंने इस रूप में भगवान शिव को पाने के लिए कई सालों तक घोर तप किया था। मां ब्रह्माचारिणी ने शिव को प्रसन्न करने के लिए 1000 सालों तक सिर्फ फल और उसके अगले 3000 सालों तक सूखे पत्तों का सेवन किया था।
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तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का संहारक स्वरूप है। मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटी के आकार का चंद्रमा बना हुआ है। इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनकी आराधना से पाप का नाश होता है। बुरी शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए भी इनकी पूजा की जाती है। नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
चौथा दिन – मां कूष्मांडा
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ही पृथ्वी की रचना हुई थी। जब ब्रह्मांड में हर तरफ केवल अंधकार था तब मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना हुई थी। इनकी उपासना से सभी तरह के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि मिलती है।
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पांचवां दिन – मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता की एक भुजा में कमल और दूसरी भुजा में घंटी और एक में कमंडल और देवी एक भुजा से आशीर्वाद की मुद्रा में बैठी हुई हैं। मां स्कंदमाता की गोद में उनका पुत्र कार्तिकेय भी है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से स्त्रियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
छठा दिन - मां कात्यायनी
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। इनकी सवारी शेर है और इनके हाथ में तलवार और कमल का पुष्प होता है। मां कात्यायनी ने ऋषि कात्यायना के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। जब महिषासुर ने पृथ्वी लोक पर उद्यंड मचा रखा था तब देवी कात्यायनी ने उनका वध किया था। इनकी आराधना से सभी तरह के पापों का नाश होता है।
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सातवां दिन - मां कालरात्रि
मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है मां कालरात्रि। इनके एक हाथ में तलवार होती है और इनकी सवारी गधा है। मां दुर्गा ने कालरात्रि के रूप में राक्षस रक्तबीज का वध किया था। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और ये सदा अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। सप्तमी के दिन तांत्रिक पूजा अधिक होती है।
आठवां दिन – महागौरी
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा नवरात्र के आठवें दिन की जाती है। किवदंती है कि इस स्वरूप में मां दुर्गा ने भगवान शिव के लिए कठोर तप किया था और इस कारण उनका शरीर काला हो गया था। तपस्या पूर्ण होने के बाद मां ने गंगा में स्नान किया था जिसके बाद उनका वर्ण गौर हो गया था और वह गौरी कहलाईं। पति की दीर्घायु की कामना के लिए मां गौरी की आराधना की जाती है।
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नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री
नवरात्र के नौवे और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इन्हें आठ सिद्धियां अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व का ज्ञान है। इन्हीं सिद्धियों की प्राप्ति के कारण भगवान शिव का आधा शरीर स्त्री का है और उन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में पूजा जाता है। मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से सभी भौतिक और आध्यात्मिक कामनाओं की पूर्ति होती है।
अगर आप मां दुर्गा को प्रसन्न कर अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाना चाहते हैं तो इस बार 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा जरूर करें।