जानिए, कुंडली में किन योगों से होती है लव मैरिज
By: Future Point | 09-Dec-2019
Views : 10401
पहले के समय में शादियां बड़ी आसानी से हो जाया करती थीं। ये शादियां दोनों परिवारों की हैसियत को ध्यान में रखकर की जाती थीं जिनमें बड़ों की अहम भूमिका होती थी।
बच्चों के किशोर होते ही मां बाप उनके लिए वर और वधू की तलाश में जुट जाते थे। लड़के और लड़कियां बड़ों की मर्ज़ी के अनुसार चलते थे। मां-बाप उनके लिए जिसे पसंद करते उनसे शादी कर लिया करते थे।
लेकिन जैसे-जैसे युवा शिक्षित होता गया शादी को लेकर उसकी अपेक्षाएं बढ़ती गईं। उन्होंने खुद उसके मापदंड तय कर दिए। अब वे केवल बड़ों की मर्ज़ी के अनुसार नहीं चलते। अपने फ़ैसले खुद लेना चाहते हैं। खासकर शादी जैसे अहम फैसले!
अगर आप भी युवावस्था में सेटल हो चुके हैं। अच्छी नौकरी कर रहे हैं तो मन में शादी का ख्याल तो ज़रूर आता होगा! खुद से कई बार यह सवाल भी किया होगा- “लव मैरिज बेहतर रहेगी या अरेंज?”
अगर आप भी अपनी शादी को लेकर दुविधा में हैं तो हमारे ज्योतिषी से बात करें (Talk to astrologer)। वे बता सकते हैं कि आपके लिए क्या सही है। आपको कब शादी करनी चाहिए? आपका जीवन साथी कैसा होना चाहिए? आपका प्रेम विवाह हो सकता है या नहीं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अरेंज और लव मैरिज में अंतर
- अरेंज मैरिज: अंरेंज मैरिज में दो परिवार आपस में मिलकर सारे फैसले लेते हैं। भारत में ज़्यादातर लोग अरेंज मैरेज को बेहतर मानते हैं क्योंकि इसमें एक समान हैसियत रखने वाले परिवारों के बीच रिश्ता होता है। इसलिए किसी तरह के सांस्कृतिक मतभेद की संभावना कम होती है। इससे वर और वधू को परिवार के साथ घुलने मिलने में कठिनाई नहीं होती!
- लव मैरिज: इस तरह के विवाह में परिवार की बजाए लड़के और लड़की की मंज़ूरी को तवज्जों दी जाती है। अगर किसी लड़के या लड़की को आपस में प्रेम हो जाए तो वे विवाह करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र होते हैं। हालांकि लव मैरिज 40-50 साल पहले ज़्यादा चलन में नहीं थी लेकिन आजकल इसका महत्व बढ़ गया है। शादी से पहले हर युवा चाहता है कि वह अपने पार्टनर को अच्छी तरह जानता हो। लेकिन आपकी लव मैरिज होगी या नहीं यह ग्रहों की स्थिति से तय होता है। इसके लिए मंगल, शुक्र, राहु, चंद्रमा और बुध ग्रह ज़िम्मेदार होते हैं।
हर कोई अपना पूरा जीवन उसी के साथ बिताना चाहता है जिससे वह प्रेम करता है। लेकिन कई बार ऐसा हो नहीं पाता! प्रेमी-प्रेमीकाओं पर परिवार और समाज का बहुत दबाव होता है। रुढ़िवादी परिवार लव मैरिज को अच्छा नहीं मानता। उन्हें लगाता है कि ऐसी शादियां लंबे अरसे तक नहीं चलतीं! वे अपने बेटे-बेटियों का विवाह अपने ही समुदाय में करना चाहते हैं।
अगर आप भी किसी से प्रेम करते हैं। उससे शादी करना चाहते हैं लेकिन अपनी किस्मत को लेकर चिंतित हैं तो आज ही अपनी पर्सनलाईज़्ड मैरिज रिपोर्ट (Personalized Marriage Report) प्राप्त करें और अपनी शादी में आ रही अड़चनों को दूर करें।
कुंडली में किन योगों से संभव है प्रेम विवाह?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के चार भावों से पता चलता है कि आपका प्रेम विवाह होगा या नहीं? पांचवे, सातवें, आठवें और ग्याहरवें भाव से इसका पता लगाया जाता है। इसके लिए वृश्चिक, मिथुन और मीन चिह्नों पर ध्यान दिया जाता है।
प्रेम विवाह के लिए मंगल, शुक्र, राहु और बुध ग्रह ज़िम्मेदार होते हैं। अगर बुध या शुक्र राहु के साथ हो तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है। शुक्र अगर दूसरे, नौवें या ग्यारहवें भाग पर बेठा हो तो भी प्रेम विवाह संभव होता है।
क्या शादी से पहले ज़रूरी है मांगलिक जांच?
कुंडली में कई तरह के दोष बताए गए हैं। इन्हीं में से एक दोष है Manglik Dosh किसी व्यक्ति की कुंडली में अगर मंगल दूसरे, चौथे, सातवे, आठवे या ग्यारहवे स्थान या भाव पर बैठा हो तो यह वैवाहिक जीवन के लिए बुरा संकेत है।
मांगलिक व्यक्ति अपने जीवनसाथी के साथ पूरी तरह सहयोग नहीं करते। उनकी अपने जीवनसाथी से जो अपेक्षाएं होती हैं, वे दूसरे जातक पूरी नहीं कर पाते। इसलिए अक्सर ऐसी शादियों में काफ़ी दिक्कते आती हैं। कई बार यह दिक्कत इतनी बढ़ जाती है कि तलाक की नौबत आ जाती है।
हालांकि मांगलिक दोष वाला व्यक्ति अपने जीवनसाथी की जान के लिए खतरा नहीं बनता लेकिन उनमें अहंकार और स्वाभिमान की भावना वैवाहिक जीवन को चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
पर मांगलिक व्यक्ति बेहद ऊर्जावान होते हैं। अगर उनकी ऊर्जा का इस्तेमाल सही तरह से किया जाए तो वैवाहिक जीवन सुखमय बन सकता है।
जानिए, क्या होता है कालसर्प दोष?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष या योग को बेहद अशुभ माना गया है। जो भी इस दोष के साथ जीता है उसे अपने जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जब राहु और केतु के बीच अनेक ग्रहों की उपस्थिति हो तो कालसर्प दोष का असर होता है। ऐसा होने पर वैवाहिक जोड़ के बीच कड़वाहट और असुरक्षा की भावना आ सकती है जिसके कारण उनके बीच सामंजस्य टूट सकता है।
भविष्य में इन समस्याओं से निजात पाने के लिए आज ही हमारे एस्ट्रोलॉजर से संपर्क करें और अपनी होरोस्कोप रिपोर्ट (Horoscope Report) पाएं।
: शादी से पहले ज़रूर निभाएं यह अहम ज़िम्मेदारी
अगर आपको अपने लिए सही जीवन साथी चाहिए तो कुंडली मिलान बेहद ज़रूरी है। इससे यह भी पता किया जा सकता है कि आपकी लव मैरिज होगी या अरेंज?
भारत में शादी से पूर्व लगभग हर मां-बाप अपने बच्चों की जन्म तिथि के आधार पर कुंडली मिलान कराते हैं। इसे शादी से पूर्व एक अहम ज़िम्मेदारी के तौर पर देखा जाता है।
क्या आपकी कुंडली में है प्रेम योग?
कुंडली का सातवां भाव प्रेम संबंधों को दर्शाता है। यह बताता है कि आपका वैवाहिक जीवन कैसा होगा? इसलिए विवाह से पूर्व जब राशि का मिलान किया जाता है तो इस भाव की विशेष तौर पर जांच की जाती है।
पंचम और सप्तम भाव प्रेम और वैवाहिक संबंधों के लिए विशेष महत्व रखता है। शुक्र अगर सप्तमेश से संबंधित होकर पांचवे स्थान पर बैठा हो तो यह प्रेम विवाह के लिए शुभ संकेत है।
हालांकि शनि और केतु विघातक ग्रह हैं लेकिन सातवे भाव में में इनका योग प्रेम विवाह के अनुकूल है।
अगर आप भी किसी से प्रेम करते हैं और जानना चाहते हैं कि आपकी उससे शादी होगी या नहीं तो दिल्ली में हमारे ज्योतिषी से संपर्क करें।, प्रेम विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करें।