जानिए किस ग्रह की शांति के लिए कौन-सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए
By: Future Point | 25-Sep-2018
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तीनों लोकों में भगवान शिव को सर्वशक्तिशाली माना गया है और उनके आगे इस संसार की हर एक वस्तु और जीव अपना सिर झुकाता है। धरती पर रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव का अश्रु है और इसे अपने पास रखने से इंसान की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
ज्योतिषशास्त्र में जन्मकुंडली के ग्रह दोष के निवारण हेतु हवन शांति, दान, कवच धारण एवं रुद्राक्ष धारण करवाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सौरमंडल के किस ग्रह की शांति के लिए कौन-सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
तो चलिए जानते हैं रुद्राक्ष के प्रकार और उनसे संबंधित ग्रहों के बारे में ...
सूर्य
सूर्य को सिंह राशि का स्वामी माना गया है और इस ग्रह का रुद्राक्ष एक मुखी है। एक मुखी रुद्राक्ष के देवता भगवान शिव हैं। शोहरत, धन, सफलता और ध्यान करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊ ह्रीं नम:।।
चंद्रमा
चंद्रमा से संबंधित है दो मुखी रुद्राक्ष जिसकी राशि कर्क है। इस रुद्राक्ष के देवता अर्धनारीश्वर हैं और इसे आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त के लिए धारण किया जाता है। दो मुखी रुद्राक्ष सेहत संबंधित लाभ भी देता है जैसे कि सर्दी-जुकाम, तनाव और स्नायु तंत्र के विकार को दूर करना आदि। दो मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं नम:।।
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मंगल
मंगल का रुद्राक्ष है तीन मुखी और मंगल मेष एवं वृश्चिक राशि का स्वामी है। 3 मुखी रुद्राक्ष के देवता अग्नि देव हैं और इस रुद्राक्ष को मन की शुद्धता और स्वस्थ जीवन के लिए धारण किया जाता है। तीन मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं क्लीं नम:।।
बुध
मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध का रुद्राक्ष चार मुखी है। इस रुद्राक्ष के देवता ब्रह्मा जी हैं। चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मानसित क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता की प्राप्ति होती है। चार मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं ह्रीं नम:।।
बृहस्पति
धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है और इसके देवता हैं भगवान कालाग्नि रुद्र। बृहस्पति ग्रह का पांच मुखी रुद्राक्ष है। ध्यान और आध्यात्मिक कार्यों के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। ये रुद्राक्ष रक्तचाप, एसिडिटी और ह्रदय रोगों से भी बचाता है। पांच मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं ह्रीं नम:।।
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शुक्र
शुक्र ग्रह का 6 मुखी रुद्राक्ष है। इस रुद्राक्ष की राशि तुला और वृषभ है एवं इसे स्वामी भगवान कार्तिकेय हैं। ज्ञान, बुद्धि, संचार और कौशल एवं आत्मविश्वास के लिए 6 मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है। 6 मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं ह्रीं हूं नम:।।
शनि
मकर और कुंभ राशि का स्वामी शनि देव हैं और शनि ग्रह का रुद्राक्ष सात मुखी है। 7 मुखी रुद्राक्ष की देवी मां लक्ष्मी हैं। आर्थिक और करियर में विकास के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है। हड्डियों और नसों एवं गर्दन के दर्द से मुक्ति पाने के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष पहना जाता है। 7 मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं हूं नम:।।
राहू
आठ मुखी रुद्राक्ष छाया ग्रह कहे जाने वाले राहू का है। इसके देवता भगवान गणेश हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से करियर में आ रही बाधाएं एवं मुसीबतें दूर होती हैं। कमर दर्द, शरीर में दर्द और किडनी एवं लिवर संबंधित समस्याओं को आठ मुखी रुद्राक्ष से दूर किया जा सकता है। 8 मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं हूं नम:।।
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केतु
छाया ग्रह के नाम से प्रसिद्ध केतु नौ मुखी रुद्राक्ष से संबंधित है। इस रुद्राक्ष की देवी मां दुर्गा हैं। नौ मुखी रुद्राक्ष को ऊर्जा, शक्ति, साहस एवं निडरता प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है। नौ मुखी रुद्राक्ष पेट एवं त्वचा संबंधित रोगों से भी छुटकारा दिलाता है। 9 मुखी रुद्राक्ष का मंत्र है : ऊं ह्रीं हूं नम:।।
जन्मकुंडली के अशुभ योगों के निवारण हेतु रुद्राक्ष :
- अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो 8 एवं 9 मुखी रुद्राक्ष को काले धागे में बुधवार या शनिवार के दिन धारण करें।
- शकट योग से ग्रस्त जातक दो एवं दस मुखी का रुद्राक्ष सफेद या पीले रंग के धागे में सोमवार एवं गुरुवार के दिन धारण करें।
- केमद्रुम योग से मुक्ति पाने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष को सफेद धागे में बांधकर सोमवार के दिन धारण करें।
- सूर्य से बनने वाले ग्रहण योग के लिए एक मुखी, आठ मुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में रविवार के दिन धारण करें तथा चंद्र से बनने वाले ग्रहण योग के लिए 2 मुखी, 8 मुखी या 9 मुखी रुद्राक्ष को सफेद धागे में सोमवार के दिन धारण करें।
- जन्मकुंडली में मंगल दोष के निवारण हेतु तीन या ग्यारह मुखी का रुद्राक्ष लाल धागे में मंगलवार के दिन पहनें।
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अब आप अपनी राशि अनुसार या जन्मकुंडली में बन रहे ग्रह दोष के अनुसार रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से आपके ऊपर सदा के लिए भगवान शिव एवं उससे संबंधित ग्रह एवं देवता की कृपा बनी रहती है।