जानिए, असली व नकली मोती की पहचान किस प्रकार करें और ज्योतिष अनुसार मोती रत्न धारण करने के लाभ।
By: Future Point | 27-Sep-2019
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Pearl gems Benefits in hindi: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती चंद्रमा का रत्न होता है, परन्तु मोती कई प्रकार के होते है अतः मोती खरीदते समय पूरी सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि अशुद्ध मोती मनुष्य के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं, मोती पहनने से पहले हमें जान लेना चाहिए कि वह असली है कि नकली इसके लिए कई विधियां बताई गई है, आइए आपको बताते है कि कैसे पता करें कि मोती असली है कि नकली।
असली या नकली मोती की पहचान इस प्रकार कीजिये-
- असली मोती को गाय के घी में डालने पर सख्त घी थोड़ी देर में पिघल जाता है और नकली मोती में ऐसा नहीं होता है।
- दो मोतियों को अपने अॅगूठे और तर्जनी ऊॅगली से पकड़े और अपने सामने के दॉतों के चबाने वाले किनारों के बीच दबायें, बॉयें से दॉये, और दायें से बॉयें रगड़ते हुये मोतियों को दॉतों के बीच घुमाते रहें, सामान्यतः असली मोती की बनावट थोड़ी खुरदरी या कुरकुरी सी होती है एंव इसकी उपरी सतह में थोड़ी खामियॉ होती है, शीशे या प्लास्टिक से बने नकली मोती लगभग पूर्ण प्रतीत होते है।
- मोती एक प्राकृतिक उत्पाद है इसलिए हर मोती लगभग दूसरे मोती से थोड़ा सा अलग प्रतीत होता है, अधिकतर मोती पूर्णरूप से गोल नहीं होते है बल्कि थोड़ा सा अण्डाकार होते है, असली मोती गोल होते है किन्तु इनका मिलना थोड़ा दुर्लभ होता है।
- असली मोती की पहचान के लिए उन्हें अपने हाथों में ले और फिर देखें आप कैसा महसूस कर रहें है, असली मोती त्वचा के सम्पर्क में आने के बाद थोड़ी देर के लिए काफी ठण्डे महसूस होते है, दूसरी तरफ नकली मोतियों का तापमान लगभग कमरे के तापमान के बराबर होगा और वे बहुत तेजी से गर्म हो जायेंगे।
- आप एक या दो मोतियों को अपने हाथ में लेकर उछालकर अनुमान लगायें कि उनका वनज कितना है, अधिकतर असली मोती बराबर आकार के नकली मोतियों की तुलना में कुछ अधिक वजनदार महसूस होंगे।
- किसी कीमती पत्थर की आभा ही उसका गुण है, मोती की आभा ही उसकी खूबसूरती है, उत्तमकोटि के मोतियों को जब प्रकाश की किरणें छूती है तब उनसे विशुद्ध तेज प्रकाश निकलता है, अगर आप ध्यान से देंखे तो मोती की सतह पर आप-अपना प्रतिबिम्ब देख सकते है।
- असली मोतियों में करीब-करीब हमेशा एक स्पष्ट बाहरी सतह होती है जबकि नकली मोतियों में पतली, कृत्रिम बाहरी परत हो सकती है या फिर कोई परत नहीं होती है, अगर आपके मोती में ड्रिल होल हो तो किसी मैग्नीफाइंग ग्लास से आप मोती के अन्दर देखें, सामान्यतः असली मोतियों में आप एक स्पष्ट रेखा देखेंगे जो बाहरी सतह को केन्द्र {मोती के अन्दरूनी भाग} से अलग कर रही होगी।
- माना जाता है कि असली मोती दातों से आसानी से टूट जाता है, जबकि नकली मोती दातों से नहीं टूटता।
- अगर आपको असली मोती की पहचान करनी है तो चावल के छिलकों में मोतियों को रखकर रगड़े और इसके बाद इसे गौमूत्र से धो लें। अगर मोती असली होगा तो नहीं टूटेगा और अगर नकली होगा तो टूट जाएगा।
- अगर आप एक कांच के ग्लास में पानी डालकर उसमें मोती डालेंगे तो आपको उसमें किरणें निकलती दिखाई देगी तो समझ जाइए कि मोती असली है।
ज्योतिष्य के अनुसार मोती रत्न के लाभ-
- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य के साथ चंद्रमा उपस्थित हो तो वह क्षीण होता है, इसके अलावा सूर्य से अगली पांच राशियों के पहले स्थित होने पर भी चंद्रमा क्षीण होता है अतः ऐसी स्थिति में मोती धारण करना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में केंद्र में चंद्रमा हो तो उसे कम प्रभाव वाला या अप्रभावी मानते हैं, ऐसे में केंद्र में चंद्रमा होने पर भी मोती पहनना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मे दूसरे भाव अर्थात धन भाव का स्वामी यदि चंद्रमा हो तो यह कुंडली मिथुन लग्न में होगी, ऐसे में अगर चंद्रमा छठे भाव में बैठा हो तो मोती धारण करना बहुत उत्तम होता है।
- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में चंद्रमा पंचमेश होतर बारहवें भाव में हो या सप्तमेश होकर दूसरे भाव में हो, नवमेश होकर चतुर्थ भाव में हो, दशमेश होकर पंचम भाव में हो तथा एकादशेश होकर षष्ठम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को यथाशीघ्र मोती धारण कर लेना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा वृश्चिक राशि का हो तो इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि वो किस भाव में है तो ऐसे जातक को बिना विलंब मोती धारण करना चाहिए।
- इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा छठें, आठवें और बारहवें भाव में हो तो भी मोती धारण कर लेना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में चंद्रमा राहू, केतु, शनि और मंगल के साथ बैठा हो या इनकी दृष्टि चंद्रमा पर हो तो भी मोती धारण करना चंद्रमा के अच्छे फल देता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा जिस भाव का स्वामी हो उससे छठे या आठवें स्थान में अगर वह स्थित हो तो भी मोती धारण करना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा नीच का हो, वक्री हो या अस्तगत हो, इसके अलावा चंद्रमा के साथ राहू के ग्रहण योग बना रहा हो तो भी मोती धारण कर लेना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में विंशोत्तरी पद्धति से चंद्रमा की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो ऐसे व्यक्ति को भी मोती पहन लेना चाहिए।
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