जानें क्या है महामृत्युंजय यंत्र और लाभ
By: Future Point | 25-Oct-2018
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इस पूरे संसार में भगवान शिव से शक्तिशाली और कोई नहीं है। उनके आगे तीनों लोक के देवता भी अपना शीश झुकाते हैं। शास्त्रों में भगवान शिव को मृत्यु का देवता कहा गया है। अकाल मृत्यु और कई रोगों से बचने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं सृजित देवता हैं। उन्हें प्रसन्न करना और उनकी कृपा पाना भक्तों के लिए बहुत सरल है। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वो इतने भोले हैं कि अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
धन, सेहत, संतान, आर्थिक संपन्नता, सुख आदि सब कुछ भगवान शिव की उपासना से पाया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र
ऊं हौं जूं सं:। ऊं भू: भुव: स्व:।
ऊं त्रयंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव बंधनान्मत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ऊं स्व: भुव: भू: ऊं। स: जूं हौं ऊं।।
भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले इस मंत्र के जाप से असीम सुख, शांति, समृद्धि की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र ही क्यों
- अगर आप किसी अशुभ दशा या गोचर से गुज़र रहे हैं तो आपको रोज़ इस मंत्र का जाप करने से मानसिक सुख और शांति का अनुभव होगा।
- किसी पुराने या घातक रोग से ग्रस्त व्यक्ति को भी इस मंत्र के जाप से स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- अकाल मृत्यु से बचाव और दीर्घायु की प्राप्ति के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है।
- इस मंत्र के जाप से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और पारिवारिक जीवन सुखमय बनता है।
- आर्थिक परेशानियों को भी इस मंत्र के प्रभाव से दूर किया जा सकता है। कर्ज से परेशान या आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से लाभ होता है।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
ऊं : ये हिंदू धर्म का एक पवित्र चिह्न है।
त्रयंबकं : इसका अर्थ है तीन नेत्रों वाला।
यजामहे : हम पूजा करते हैं, सम्मान करते हैं, आदर करते हैं
सुगंधिम् : मीठी सुगंध
पुष्टि : शांति, संपन्नता, जीवन की पूर्णता
वर्धनाम : शक्ति, पोषण और संपन्नता प्रदान करने वाला।
उर्वारुक्मिव : तरबूज और खीरे की तरह
बंधनान् : कैद से
बंधनान् : झुकना, मैं आपके आगे झुक कर नमन करता हूं।
मृत्यु मोक्षिये : मृत्यु से मुक्ति
मामृतात् : अमरता की प्राप्ति, अमृत।
कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
रुद्राक्ष माला से 1008 बार इस मंत्र का जाप करें। मुश्किल घड़ी में इस मंत्र का जाप करने से अत्यंत लाभ मिलता है। सुबह स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद नियमित इस मंत्र का 7 बार जाप करने से लाभ मिलता है। मंत्र जाप के समय भगवान शिव की प्रतिमा सामने रखें।
महामृत्युंजय मंत्र में रखें इन बातों का ध्यान
- जिस व्यक्ति के लिए आप इस मंत्र का जाप कर रहे हैं उसके लिए शुक्ल पक्ष में चंद्र शुभ एवं कृष्ण पक्ष में तारा बलवान होना चाहिए।
- जो व्यक्ति जाप कर रहा है से कुश या कंबल के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठना चाहिए।
- जप के समय महामृत्युंजय मंत्र की संख्या की गणना सिर्फ रुद्राक्ष की माला से ही करनी चाहिए।
- मंत्र जाप के दौरान गौमुखी के अंदर माला को रखकर जाप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र की जाप संख्या सवा लाख है और एक दिन में इतनी संख्या का जाप करना कठिन होता है। रोज़ प्रति व्यक्ति एक हज़ार की संख्या में जप करते हुए 125 दिन में जप अनुष्ठान पूर्ण किया जा सकता है।
- जरूरत हो तो 5 या 11 ब्राह्मणों से इसका जप करवाएं। यह जप संख्या कम से कम 45 या अधिकतम 84 दिनों में पूर्ण हो जानी चाहिए।
- जब जप संख्या पूर्ण हो जाए तो उसका दशांक्ष हवन जरूर करवाएं। 1,25,000 मंत्रों के जप के लिए 12,500 मंत्रों का हवन करना चाहिए और यशाशक्ति पांच ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
- इस मंत्र के जप के लिए पार्थिवेश्वर की पूजा का विधान है। रोग से मुक्ति पाने के लिए तांबे के शिवलिंग की पूजा से लाभ होगा।
- जिस दिन इस मंत्र का जाप करें उस दिन मांसाहार और शराब का सेवन ना करें।
- मंत्र के जाप के समय धूप जलाएं। इस दौरान आलस या उबासी ना लें।
किस समस्या में इस मंत्र का कितनी बार करें जाप
भय दोष से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप 1100 बार करना चाहिए।
रोग से छुटकारा पाने के लिए 11 हज़ार मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है।
पुत्र प्राप्ति, उन्नति की प्राप्ति के लिए एवं अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या का जाप करना चाहिए।
अगर कोई साधक पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास से साधना करता है तो उसे वांछित फल की प्राप्ति अवश्य होती है।
भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन के सभी दुख दूर हो सकते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है महामृत्युंजय मंत्र।