जाने श्री मेरु अंगूठी से घर में कैसे बरसती है लक्ष्मी की कृपा,
By: Future Point | 30-Mar-2020
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मेहनत के साथ-साथ जिंदगी में किस्मत भी जुड़ जाये तो इंसान क्या कुछ नहीं पा सकता| मेहनत तो हमारे हाथ में है| लेकिन भाग्य को लेकर कई बार हमें निराश होना पड़ता है| इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति धनवान नहीं होता, पैसों की समस्या जीवन में आती रहती है, जिन लोगों को हमेशा ही पैसों की कमी के कारण जीवनयापन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है या फिर पैसे आने के बावजूद भी पैसा हाथ में नहीं टिक पाता, कर्ज की स्थिति का सामना करना पड़ता है, इसका कारण यही है की उस व्यक्ति पर माता लक्ष्मी की कृपा नहीं है, माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और लक्ष्मी का निवास घर में सदैव हो इसलिए ही श्री मेरु अंगूठी आपके लिए बनाई गयी है, यह कोई आम अंगूठी नहीं है। वास्तु शास्त्र के अनुसार श्री मेरु अर्थात कछुआ रिंग बहुत शुभ है। यह अंगूठी मनुष्य के लिए लाभदायक भी है। इसके प्रभाव से मनुष्य के अनेक दोष शांत हो जाते हैं। कछुआ रिंग मनुष्य के आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
यह इसका सबसे बड़ा फायदा है। कछुआ उन्नति का प्रतीक भी है। इसे विष्णु भगवान का अवतार माना गया है। इसी कारण से इसे वास्तु शास्त्र में इतनी एहमियत दी गई है। कछुआ रिंग मनुष्य का धन भी बढ़ाता है। इन्ही फायदों की वजह से कछुआ रिंग प्रसिद्ध है। कछुआ रिंग हमेशा चाँदी की होनी चाहिए। सोने से बनवाने के लिए भी कछुआ का आकर चाँदी का ही होना चाहिए। इसके बाद इसके ऊपर सोने से काम करवालें। कछुए का मुख हमेशा मनुष्य की तरफ रखें। गलत तरीके से पहनने से आपका धन कम हो जायेगा। इस रिंग को शुक्रवार के दिन खरीदें और शुक्रवार के दिन ही पहने। पहनने से पहले इसको लक्ष्मी माता के सामने रखें। फिर इसका पंचामृत से स्नान करवाकर शुद्ध पानी से धो लीजिये, उसके बाद अगरबत्ती दिखा के पहन लीजिये। कछुआ रिंग को सीधे हाथ की मध्य या तर्जनी ऊँगली में पहने। ऐसा करने से लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं। पहनने के बाद यह रिंग घुमनी नहीं चाहिए, क्योंकि इसके घूमने से कछुए की दिशा बदल जाती है। जो कि सही नहीं है। प्राचीन पौराणिक ग्रंथों, कहानियों तथा लोक कथाओं के आधार पर समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया था और इसी कारण शास्त्रों और हिन्दू धर्म में कछुए का बहुत महत्व है।
वास्तु के अनुसार जिस घर में कछुए से सम्बंधित कोई भी वस्तु होती है वहां पर कभी भी धन संपत्ति से सम्बंधित दिक्क्तें नहीं आती। कछुए वाली अंगूठी को वास्तुशास्त्र में शुभ माना गया है। कछुए के आकार में बनी श्री मेरु अंगूठी व्यक्ति के जीवन के कई दोषों को शांत करने का काम करती है, और व्यक्ति के जीवन को सुखी व समृद्ध बनती है| आइए जानते है आखिर श्री मेरु अंगूठी के प्रभाव से घर में कैसे बरसती है लक्ष्मी की कृपा।
वास्तु दोष से मुक्ति-
जिन घरों में वास्तुदोष होता है, उन घरों में माँ लक्ष्मी का निवास नहीं होता, ऐसी जगह माँ लक्ष्मी कभी नहीं ठहरती। श्री मेरु अंगूठी धारणकर्ता को वास्तु दोष से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाती है। वास्तु के नियमों का पालन करने पर घर में लक्ष्मी का वास हो, घर में सुख-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए श्री मेरु अंगूठी अवश्य धारण करनी चाहिए।
माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद-
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से ही कछुआ उत्पन्न हुआ था और साथ में देवी लक्ष्मी भी वही से आई थी, इस तरह से श्री मेरु अंगूठी धारण करने वाले जातक को माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर पर धन से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो उसे पल भर में दूर करने का कार्य यह अंगूठी करती है। इस अंगूठी के प्रभाव से जीवन पर्यन्त माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद जातक को मिलता है।
शुक्र की प्रवलता के लिए-
जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं, उनके यहाँ माता लक्ष्मी का वास होता है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य का कारक ग्रह माना गया है। शुक्र ग्रह अगर किसी की कुंडली में कमजोर है तो उस जातक के घर पर आये दिन धन से जुड़ी किसी न किसी प्रकार की समस्या देखने को मिलती है, ऐसे में शुक्र ग्रह को मजबूती प्रदान करने के लिए श्री मेरु अंगूठी अवश्य ही धारण करें।
सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए-
जीवन में जब धन की कमी होती है तो चारों तरफ नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, जीवन दरिद्रता में व्यतीत होता है, ऐसे में अगर आप श्री मेरु अंगूठी धारण करते हैं, तो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। मेरु का अर्थ पौराणिक ग्रंथों में प्रसिद्ध पर्वत या उच्च बिंदु से है, श्री मेरु अंगूठी अपने आप में एक अजूबा है।
व्यापार में सफलता के लिए-
इस प्रतिस्पर्धा के युग में अगर आप दूसरों से आगे निकलकर व्यापार में सफलता पाने के इच्छुक हैं, तो आपको बिना संकोच श्री मेरु अंगूठी धारण करनी चाहिए। अगर किसी कारणवश आप अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पा रहे या बिजनेस में घाटा हो रहा है तो आपको श्री मेरु अंगूठी पहननी चाहिए। इस अंगूठी के प्रभाव से व्यापार में अगर कोई शत्रु या प्रतिस्पर्धी है, तो वह अपने आप ही परास्त हो जाता है और व्यापार में सफलता मिलती है।
धन की प्राप्ति के लिए-
श्री मेरु अंगूठी इतनी प्रभावशाली है, जिसके धारण करने के कुछ दिनों के बाद ही आपके मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है तथा धन प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होने लगते हैं। रुका हुआ धन या कर्ज जैसी स्थिति से छुटकारा मिलता है। जीवन में सदैव माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ लक्ष्मी स्थाई रूप से घर में निवास करती है। यह अंगूठी धैर्य, शांति, निरंतरता और समृद्धि का भी प्रतिक है, कछुए की आकृति वाली श्री मेरु अंगूठी के प्रभाव से समृद्धि और अचानक धन की प्राप्ति होती है।
कछुआ रिंग पहनने के फायदें-
- कछुआ रिंग की मदद से मनुष्य के कई दोष शांत होते हैं।
- कछुआ जल और स्थान दोनों जगहों पर रहता है। इस रिंग को उन्नति का प्रतीक मानते हैं। इसको पहनने से आपको सफलता मिलती है।
- शास्त्रों के अनुसार कछुआ भगवन विष्णु का भी प्रतीक है। इसको पहनने से आपके जीवन में सकारात्मक्ता बनी रहती है।
- कछुआ रिंग आपका धन बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कछुआ रिंग घर में बरकत भी लेके आ सकती है।
- कछुए धरती और स्वर्ग दोनों से जुड़ा हुआ माना गया है। इसीलिए इसको पहनने से माहौल ख़ुशी भरा रहता है।
- इस अंगूठी की वजह से परिवार वालों के बीच भी स्नेह बढ़ता है।
- यह अंगूठी पति-पत्नी और प्रेमी-प्रेमिकाओं के बीच में भी प्रेम बढ़ाने में मदद करता है।
- कछुआ बहुत लम्बे समय जीवित रहता है। इसीलिए इस अंगूठी को पहनने से आपके सारे रोग दूर हो जाते है। इसी वजह से आप हमेशा स्वस्थ रहते हैं।
- इस रिंग की वजह से आपकी उम्र भी लम्बी होती है।
- इसको पहनने से आपके मन में कोई भी बुरे ख्याल नहीं आते और नकारात्मक ऊर्जा भी दूर रहती है।
- अंगूठी पहनने के बाद आप सफलता पाने के लिए ज्यादा प्रेरित रहते हैं।
- इस अंगूठी को पहनने से आपके करियर में भी फायदा होता है। आपको आपके बिज़नेस या नौकरी में भी सफलता मिलती है।
- कछुए की पीठ बड़े से बड़ा प्रहार सेह सकती है। यह अंगूठी मनुष्य के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। इसकी मदद से आप हमेशा सुरक्षित रहते हैं।