इस सर्व पितृ अमावस्या पर इन उपायों से पाएं पितृ दोष से मुक्ति
By: Future Point | 13-Sep-2018
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साल में बारह मास होते हैं और इनमें से आश्विन मास को सबसे खास माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र में इस महीने की अमावस्या तिथि को और भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका कारण है पितृ पक्ष में आने वाली अमावस्या। जी हां,आज इस लेख के ज़रिए हम आपको पितृ पक्ष में आने वाली अमावस्या के महत्व के बारे में बताएंगें।
कब है सर्व पितृ अमावस्या 2018
इस साल अंग्रेजी पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष अमावस्या 8 अक्टूबर को पड़ रही है। पितृ पक्ष अमावस्या को मोक्ष दायिनी सर्व पितृ सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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क्या है सर्व पितृ अमावस्या
भाद्रपद पूर्णिमा से ही पितृ पक्ष यानि श्राद्ध के दिन शुरु हो जाते हैं। आश्विन मास का पहला पखवाड़ा जोकि कृष्ण पक्ष भी होता है, उसे पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाता है। श्राद्ध के सोलह दिनों में हिंदू धर्म के लोग अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए स्नान, दान और तर्पण करते हैं। वैसे तो पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही उनका श्राद्ध किया जाता है लेकिन अगर आपको अपने पूर्वजों की मृत तिथि ज्ञात नहीं है तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर उनका तर्पण कर सकते हैं। इसके अलावा सर्व पितृ अमावस्या पर एकसाथ सभी पूर्वजों का तर्पण भी किया जा सकता है।
पितृ दोष
अगर कुंडली में नौवे भाव में सूर्य और राहु एकसाथ युति करके बैठे हों तो यह योग पितृ दोष का निर्माण करता है। ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है कि सूर्य और राहू जिस भी भाव में बैठते हैं उस भाव के सभी शुभ फलों को नष्ट कर देते हैं। नवम भाव धर्म का होता है एवं इसे पिता का घर भी कहा जाता है।
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अगर जन्मकुंडली में नवम भाव में खराब या कूपित ग्रह बैठे हों तो यह पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं का संकेत देता है। इसे ही पितृ दोष कहा जाता है।
सर्व पितृ अमावस्या पितृ दोष का उपाय
हर महीने आने वाली अमावस्या और श्राद्ध पक्ष के दौरान आने वाली सर्व पितृ अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। सर्व पितृ अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। अगर आप इस साल 8 अक्टूबर पर सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए कुछ विशेष उपाय कर लें तो निश्चित ही आपको लाभ होगा।
सर्व पितृ अमावस्या पर पितृ दोष शांति पूजा
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए त्रयोदशी तिथि को नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करें। पंचमी तिथि को सर्पसूक्त का पाठ और पूर्णिमा के दिन श्रीनारायण कवच का पाठ करें। इसके बाद ब्राह्मणों को अपने दिवंगत पूर्वज की पसंद की मिठाई और दक्षिणा दें और उससे पूर्व उन्हें भोजन करवाएं। इस उपाय से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सर्व पितृ अमावस्या के अतिरिक्त हर महीने आने वाली अमावस्या को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें और इसी दिशा में बैठकर अपने पूर्वजों का तर्पण करें। पितृ अमावस्या और अमावस्या के दिन पितृ स्तोत्र या पितृ सूक्त का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष से मुक्ति मिलने में सहायता मिलती है।
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प्रत्येक मासिक अमावस्या को अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल और पुष्प आदि अर्पित करें। इसके साथ ही ऊं पितृभ्य: नमं: मंत्र का जाप करें। इसके बाद पितृसूक्त का पाठ करें। इस उपाय से आपको लाभ होगा।
हर माह में आने वाले संक्रांति तिथि के अलावा अमावस्या और रविवार के दिन सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल चंदन, गंगाजल डालकर चढाएं। अर्घ्य देते समय ऊं पितृभ्य: नम: बीज मंत्र का जाप करें। सूर्य उपासना से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
महीने की हर अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को पितरों को धूप दें। गोबर के कंडे या उपले पर शुद्ध घी और गुड़ से धूप करें।< /p>
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की पूजा भी लाभकारी होती है। पितृ दोष से पीडित जातक को रोज सुबह और शाम हनुामन जी की पूजा करनी चाहिए। सर्व पितृ अमावस्या, मासिक अमावस्या और पूर्णिमा के दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। इस उपाय से ना केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी बल्कि पितृ दोष से पीडित जातक के जीवन की परेशानियां भी कम होंगीं।
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पितृ दोष से मुक्ति पाने का सबसे सरल और महत्वपूर्ण उपाय है पितृ पक्ष के दिनों में श्राद्ध कर्म करना। सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पर दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और जातक को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
अगर आप पितृ दोष से ग्रसित हैं और इसके कारण आपके जीवन में परेशानियां आ रही हैं तो आपको इस दोष के निवारण हेतु एक बात का ध्यान अवश्य रखना है। जो व्यक्ति अपने माता-पिता का आदर नहीं करता है या उनका अपमान करता है या उनसे कटु वचन कहता है उसे पितृ दोष लगता है। इस दोष से मुक्ति पाने का सबसे सरल उपाय यही है कि आप अपने माता-पिता की सेवा करें और उनका सम्मान करें।