गौरी शंकर रुद्राक्ष द्वारा सुखमय बनायें अपना वैवाहिक जीवन | Future Point

गौरी शंकर रुद्राक्ष द्वारा सुखमय बनायें अपना वैवाहिक जीवन

By: Future Point | 03-Mar-2020
Views : 6097गौरी शंकर रुद्राक्ष द्वारा सुखमय बनायें अपना वैवाहिक जीवन

प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दो युग्म रुद्राक्षों को गौरी शंकर रुद्राक्ष (Gauri Shankar Rudrakha) कहा जाता है। गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती और शंकर जी का प्रत्यक्ष रूप होता है। इसे धारण करने से मां गौरी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह मन और आत्मा का संगम है। इस रुद्राक्ष में भगवान शंकर मन का और माता पार्वती आत्मा का प्रतीक हैं। जिनके विवाह में विलंब हो रहा हो या जिनके दांपात्य जीवन में अनेक दिक्कतें पेश आ रही हों उन्हें यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से पति व संतान सुख की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं व शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

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 शिव और शक्ति का अद्भुत संगम है गौरी शंकर रुद्राक्ष

गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती और भागवान शिव का अद्भुत संगम है। यह हृदय च्रक्र (Hrit Padm Chakra) को खोलता है। जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके जीवन में सुख व शांति आती है। हृदय चक्र मां महालक्षी का अधिष्ठान है। यह वह जगह है जहां पदार्थ व आत्म का मिलन होता है। इसे अलग-अलग रूप में वर्णित किया गया है। कहीं-कहीं पर इसे सफेद, लाल और सुनहरे रंग की 8 व 10 पंखुड़ियों तो कहीं पर 1000 पंखुड़ियों के कमल के रूप में दिखाया गया है। कमल के मध्य में सूर्य, चंद्रमा और अग्नि का गोलाकार कक्ष है जिसमें एक कल्पवृक्ष और एक सिंहासन होता है जिस पर आप अपने इष्टदेव को स्थापित कर सकते हैं।

गौरी शंकर रुद्राक्ष पुरुष (Yang) यानी शिव (Shiva) और स्त्री (Ying) यानी पार्वती का अटूट संगम है। अध्यात्म की ओर बढ़ने के लिए यह सबसे शक्तिशाली रुद्राक्ष है। प्राचीन दर्शन शास्त्र के अनुसार संपूर्ण ब्रह्मांड का आविर्भाव पवित्र चेतना से हुआ है। इस पवित्र चेतना के दो छोर हैं और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।  इसका एक छोर स्थिर है जिसे अव्यक्त चेतना कहा गया है। तंत्र में इस चेतना का संबंध शिव (यानी पौरुष) से है। 

दूसरा रचनात्मक छोर है जो कि ऊर्जावान और गतिशील है। इसे शक्ति यानी इस ब्रहामांड की मां कहा गया है जिससे सभी चीज़ों की उत्पत्ति हुई है। इस रुद्राक्ष को धारण कर आप आध्यात्मिक पूर्णता का आभास करते हैं। आध्यात्मिक पूर्णता की प्राप्ति तब होती है जब हृदय च्रक में निम्न चक्र (धरती) या स्त्री, उच्च चक्र (स्वर्ग) या पुरुष से मिलकर संतुलन स्थापित करते हैं। कहने का अर्थ यह है कि यह आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है। स्त्री और पुरुष से यह संसार है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री-पुरुष के संबंध में प्रेम व समन्वय बना रहता है।

 क्यों पहनें गौरी शंकर रुद्राक्ष?

गौरी शंकर रुद्राक्ष का संबंध चंद्रमा से है। चंद्रमा मन, मस्तिष्क, बुद्धि, स्वभाव व प्रजनन का कारक ग्रह है। इसे पहनने से चंद्रमा के सभी दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। प्रेम और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।

गृहस्थ सुख के लिए धारण करें गौरी शंकर रुद्राक्ष

गृहस्थ सुख के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष को बेहद शुभ माना गया है। इसे धारण करने से आपको निम्न लाभ होते हैं:

  • भगवान शिव और माता पार्वती सुखी गृहस्थ जीवन का प्रतीक हैं। इसलिए गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
  • जिन लोगों के विवाह में विलंब हो रहा हो या कोई बाधा आ रही हो उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने से अवश्य लाभ होगा।
  • पारिवारिक शांति और आपसी प्रेम बढ़ाने में गौरी शंकर रुद्राक्ष बेहद सहायक है। इसलिए जिन दंपत्तियों के रिश्ते में तनाव जैसी स्थिति हो वे गौरी शंकर रुद्राक्ष ज़रूर धारण करें।
  • गौरी शंकर रुद्राक्ष वंश वृद्धि में सहायक है। इसलिए जिन औरतों के गर्भ नहीं ठहर रहा हो उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
  • आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष को चांदी की चेन में डालकर पहना जा सकता है। इस तरह इसे धारण करने से आपकी अतर्दृष्टि का विस्तार होता है।
  • इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करके तिजोरी में रखने से वित्त संबंधी सभी समस्याएं दूर रहती हैं।
  • इसे धारण करने वाले के जीवन में सौभाग्य, धन-संपत्ति, सफलता, प्रसिद्धि, ज्ञान और समझ की प्राप्ति होती है।
  • गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से सुरक्षात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे मनुष्य सकारात्मक महसूस करता है। इससे प्रेम में आ रही असुरक्षा की भावना ख़त्म होती है।
  • इस रुद्राक्ष को धारण करने से सभी नकारात्मक शक्तियां जैसे कि काला जादू, टोना आदि दूर रहती हैं। इसलिए इसे धारण करने पर आप अपने शत्रुओं से बचे रहते हैं।

गौरी शंकर रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ

गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी इन समस्याओं से निजात मिलता है:

  • गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति बार-बार बीमार नहीं पड़ता और सेहतमंद होता है।
  • वे स्त्री-पुरुष जिन्हें यौन संबंधी कोई समस्या है, उन्हें यह रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
  • प्रजनन संबंधी किसी भी समस्या के लिए यह कारगर उपाय है।

 गौरी शंकर रुद्राक्ष मंत्र

ऊँ गौरी शंकराय नम:

 कैसे धारण करें?

गौरी शंकर रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन धारण करें। इसे पहनने या स्थापित करने से पहले तांबे के लोटे में गंगाजल या दूध लेकर इसे स्नान कराकर शुद्ध करें। उसके बाद ऊँ गौरी शंकराय नम: या ऊँ शिवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। रुद्राक्ष को शिव-पार्वती की प्रतिमा के सामने रखें। फिर बेलपत्र, लाल पुष्प, चंदन, धूप, दीप आदि से पूजा करके इसे अभिमंत्रित करें। 

उसके बाद शिव लिंग से स्पर्श करके उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र का जाप करते हुए इसे धारण करें। शिव व पार्वती की पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश की पूजा ज़रूर करें।

 इन बातों का रखें ध्यान

गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करते समय और उसके बाद भी कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है। अगर इन नियमों का पालन सही तरह से न किया जाए तो इसका आप पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह लेना ज़रूरी है। इसके लिए आप हमारी सेवा Talk to Astrologer का प्रयोग कर सकते हैं।  

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