दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन कर लें ये महाउपाय, रोगों व समस्याओं से मिलेगी मुक्ति,
By: Future Point | 02-Apr-2020
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चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है, यह हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बेहद प्रमुख पर्व है। इसमें भगवती माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की बहुत हीं श्रद्धा भाव के साथ पूजा की जाती है। लेकिन दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन विशेष पूजा का विधान है, क्योंकि इस दिन जो भी भक्त सम्पूर्ण निष्ठा के साथ महागौरी और माता सिद्धिदात्रि की पूजा अर्चना करता है उसके सारे मनोरथ पूर्ण होते है, और बड़ी से बड़ी व्याधियों का नाश होता है| नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी और नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। सच्चे मन से भक्तों द्वारा की गई प्रार्थना माँ अवश्य स्वीकर करती हैं। महागौरी के नाम का अर्थ, महा मतलब महान, और गौरी मतलब गोरी। देवी का रंग गोरा होने के कारण ही उन्हें महागौरी कहा गया और माता सिद्धिदात्री के नाम का अर्थ, सिद्धी मतलब आध्यात्मिक शक्ति और दात्री मतलब देेने वाली। अर्थात् सिद्धी को देने वाली। देवी भक्तों के अंदर की बुराइयों और अंधकार को दूर करती हैं और ज्ञान का प्रकाश भरती हैं।
अपने इस जीवन में मनुष्य कई बार अनेक बीमारियों से ग्रसित होता है। कुछ बीमारियां जल्दी ही ठीक हो जाती हैं तो कुछ लंबे समय तक परेशान करती हैं। कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जो इंसान को आर्थिक व शारीरिक तरीके से काफी नुकसान पहुंचाती हैं। उपचार के बाद भी यह बीमारियां ठीक नहीं होती। ऐसे समय में मंत्र शक्ति के माध्यम से इन रोगों को ठीक किया जा सकता है। दुर्गा सप्तशती में ऐसे अनेक मंत्रों का वर्णन है जो हमारी समस्याओं के निदान के लिए उपयोगी हैं। इन मंत्रों के जप से हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो रोग का समूल नाश कर देता है। इसीलिए दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा के साथ जगतजननी माता दुर्गा की आराधना करता है, उसकी सारी व्याधियां समूल नष्ट हो जाती हैं, ग्रह दोषों और रोगों से मुक्ति मिलती है, और बड़ी से बड़ी महामारियों का नाश होता है| नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष आशीर्वाद प्राप्ति के लिए किया जाता है। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय और 30 सिद्ध सम्पुट मंत्र दिए गए हैं। ये मंत्र बहुत ही जल्दी असर दिखाते हैं, लेकिन यदि आप मंत्रों का उच्चारण ठीक से नहीं कर सकते तो किसी योग्य ब्राह्मण से इन मंत्रों का जाप करवाएं, अन्यथा इसके अशुभ परिणाम भी हो सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती में रोगों से मुक्ति पाने के महाउपाय-
नवरात्रों में दुर्गाष्टमी व नवमी का विशेष महत्व है इस दिन दुर्गा सप्तशती के नवचण्डी पाठ को करने से रोगों और व्याधियों से मुक्ति मिलती है|
रोगों से मुक्ति-
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
दुर्गाअष्टमी व नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के इस मन्त्र से पाठ और हवन करवाने से रोगो से मुक्ति मिलती है, जिससे आप अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं इस मंत्र के बारे में सप्तशती में बताया गया है कि इसका नियमित जप किया जाए तो साधक का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। बड़ी से बड़ी महामारी से रक्षा होती है|
रक्षा पाने के लिए मंत्र-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
जब डर या मृत्यु का भय हमें भयभीत करे तो इस मन्त्र का जाप और हवन दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन करने से सभी डर और भय से मुक्ति मिलती है|
विघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेशवरी।
एवमेवत्यायाकार्यमस्मद्वैरि विनाशनम्॥
इस मन्त्र का जाप और हवन दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और बड़े से बड़ा रोग समाप्त हो जाता है|
आरोग्य एवं सौभाग्य प्रदायक मंत्र-
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
रोगनाश, असाध्य बीमारी के लिए यह मंत्र महामृत्युंजय मंत्र की तरह कार्य करता है। और रोगों का नाश करके आरोग्यता प्रदान करता है|
महामारी जैसे रोगों से मुक्ति-
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। इस मंत्र का जाप और हवन दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन करने या करवाने से महामारी से लड़ने का बल प्राप्त होता है| सप्तशती में बताया गया है कि इस मंत्र के जप से महामारी का प्रकोप दूर हो जाता है|
विपत्ति नाश के लिए मंत्र-
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वंत्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
दुर्गाअष्टमी व नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के इस मन्त्र से पाठ और हवन करवाने से ग्रहजन्य दोषों और रोगो से मुक्ति मिलती है, जिससे आप अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा कर पाने में सफल होते हैं इस मंत्र के बारे में सप्तशती में बताया गया है कि यह हर विपत्ति से मनुष्य की रक्षा करता है|
भय नाश के लिए-
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।
दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन रोगनाश और असाध्य बिमारियों से मुक्ति पाने के लिए माँ दुर्गा की इन मन्त्रों से आराधना करके दशांस हवन के रूप में सरसों, कालीमिर्च, जायफल, गिलोय, नीम, आंवला, राई, तिल, जौ आदि से दशांस आहुति दें। बड़े रोगों में सवा लाख जपें, ऐसा करने से सभी ग्रह जन्य दोषों व रोगों का नाश होता है।
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