धनतेरस के त्‍योहार पर इस विधि से करें पूजन एवं दीपदान | Future Point

धनतेरस के त्‍योहार पर इस विधि से करें पूजन एवं दीपदान

By: Future Point | 02-Nov-2018
Views : 10428धनतेरस के त्‍योहार पर इस विधि से करें पूजन एवं दीपदान

हिंदू धर्म में अनेक व्रत एवं त्‍योहार मनाए जाते हैं जिनमें से एक धनतेरस पूजा भी है जोकि दीपावली से एक दिन पूर्व की जाती है। धन एवं समृद्धि की प्राप्‍ति के लिए धनतेरस का त्‍योहार बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्‍योहार मनाया जाता है। इस दिन को लेकर मान्‍यता है कि इस शुभ तिथि पर पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है।

आइए जानते हैं संपन्‍नता देने वाले इस खास त्‍योहार के बारे में...

धनतेरस के अवसर पर देवी धनवंतरि की पूजा का विधान है। इनके अलावा मां लक्ष्‍मी और धन के देवता कुबेर महाराज की पूजा की जाती है। धनतेरस पर कुबेर देवता के अतिरिक्‍त दीपदान का भी बहुत महत्‍व होता है। मृत्‍यु के देवता यमराज की भी पूजा इस दिन की जाती है। मान्‍यता है कि धनतेरस के अवसर पर यम देव की पूजा करने से अकाल मृत्‍यु से मुक्‍ति मिलती है।

धनतेरस 2018

इस साल 2018 में धनतेरस का पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा। ये त्‍येाहार भगवान शिव के दिन सोमवार पर पड़ रहा है जिससे इसकी शुभता और बढ़ जाती है। किसी भी व्रत एवं त्‍योहार के लिए बुहत शुभ माना जाता है और इसी वजह से इस बार का धनतेरस का पर्व बहुत शुभ माना जा रहा है।

धनतेरस के पर्व पर प्रदोष काल में पूजन करना शुभ माना जाता है। 5 नवंबर को सूर्यास्‍त के बाद 2 घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष काल का होगा। ये समय लक्ष्‍मी पूजन के लिए शुभ माना जाता है।

चौघडिया मुहूर्त में अमृत काल मुहूर्त 16.30 से 18.00 तक है और चर 18.56 से 19.30 तक है।

धनतेरस पर खरीदारी की जाती है

खरीदारी के लिए धनतेरस का समय बहुत शुभ माना जाता है। अगर आप इस अवसर पर कुछ विशेष वस्‍तुओं की खरीदारी करते हैं तो आपके घर-परिवार में सदा के लिए वैभव और संपन्‍नता का आगमन होता है। इस दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्‍मी की नई मूर्ति की ही पूजा की जाती है।

धनतेरस पर्व की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय सागर से भगवान धनवंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे और यही कारण है कि धनतेरस के दिन बर्तनों की खरीदारी की जाती है और शास्‍त्रों में इसे बहुत शुभ बताया गया है। धनतेरस के पर्व पर सोने या चांदी की कोई वस्‍तु या बर्तन खरीदने से संपन्‍नता में वृद्धि होती है। इस शुभ दिन पर सूखे धनिया के बीज खरीद कर अपने घर में रख लें। इससे आपकी सुख और संपन्‍नता में वृद्धि होगी।


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धनतेरस पर्व का महत्‍व

धनतेरस का त्‍योहार संपन्‍नता में वृद्धि के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण माना जाता है। अगर इस दिन श्रद्धालु सच्‍चे मन से धनवंतरि देव की पूजा करता है तो उसके घर-परिवार में वैभव बढ़ता है और धन आगमन के मार्गों में वृद्धि होती है। इस त्‍योहार पर शाम के समय अपने घर के प्रमुख द्वार पर एक दीपक जलाएं। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है। शास्‍त्रों के अनुसार यम दीपक जलाने से परिवार के हर सदस्‍य को अकाल मृत्‍यु से सुरक्षा मिलती है। परिवार की सुख-शांति के लिए भी ये दीपक जलाया जाता है।

धनतेरस पूजन विधि

इस दिन अपने पूरे परिवार के साथ शाम के समय पूजन स्‍थल में बैठ जाएं और भगवान गणेश की आराधना करें। उन्‍हें स्‍नान करवाने के बाद चंदन का तिलक लगाएं। भगवान गणेश को लाल रंग के वस्‍त्र पहनाएं। पूजन आरंभ करने से पूर्व इस मंत्र का जाप करें :

वक्रतुण्‍ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्‍नं कुरु मे देव सर्वकार्यषु सर्वदा।।

कुबेर देवता की पूजा

कुबेर देवता को धूप, पुष्‍प, फल और मिठाई आदि अर्पित करें। अब उनके आगे घी का दीया जलाएं। अब इस मंत्र का जाप करें :

ऊं यक्षाय कुबेराय वैष्‍रवाणाय धनाधनयादि पदायहे

धना धान्‍य समृद्धिंग मे इेहि दपाया स्‍वाहा।

लक्ष्‍मी पूजन की विधि

धनतेरस पर सूर्य के अस्‍त होने के पश्‍चात् प्रदोष काल में मां लक्ष्‍मी की पूजा करें। पूजजन से पहले एक वस्‍त्र में कुछ अनाज के दाने रख दें। इस वस्‍त्र को पूजन स्‍थल में रख दें। अब आधा जल भरा एक कलश लें, ध्‍यान रखें कि इसमें गंगाजल मिला होना चाहिए। पुष्‍प, सुपारी, एक सिक्‍का और अक्षत भी रखें।


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कलश पर आम की पत्तियां रखें और चावलों पर हल्‍दी से कमल का पुष्‍प बनाएं और मां लक्ष्‍मी की मूर्ति को इस पर स्‍थापित करें। मां लक्ष्‍मी के साथ भगवान गणेश की मूर्ति स्‍थापित करें। अब मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाएं और पुष्‍प एवं हल्‍दी अर्पित करें।

इसके पश्‍चात् निम्‍न मंत्र का जाप करें :

ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्‍माये नम:।।

मंत्र का जाप करने के बाद गणेश जी की आरती करें और मां लक्ष्‍मी की आरती करें। अब भोग लगाएं और पूजा में उपस्थि‍त लोगों को प्रसाद दें। पूजन के बाद घर के प्रमुख द्वार की दक्षिण दिक्षा की ओर मुख करके दीपक जलाएं।

किस रंग के वस्‍त्र पहनें

धनतेरस के दिन पीले रंग के वस्‍त्र पहनना शुभ रहता है। शाम को धनतेरस की पूजा में पीले रंग के वस्‍त्र पहनकर बैठें। काले रंग के वस्‍त्र पहनने से बनें।

अगर आप किसी भी प्रकार के आर्थिक संकट से घिरे हैं तो आपको इस धनतेरस पर पूजा अवश्‍य करनी चाहिए। ये त्‍योहार ना केवल आपके संकटों को दूर करता है बल्कि आपकी संपन्‍नता में भी वृद्धि करता है।