भारत के प्रधानमंत्री और शनि स्थिति
By: Future Point | 20-Sep-2018
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हमारे देश में राष्ट्रपति पद के बाद जो सबसे सर्वोच्च पद हैं वह प्रधानमंत्री का पद हैं। संवैधानिक शब्दों में कहे तो प्रधानमंत्री से अभिप्राय: देश के शासनाध्यक्ष पद से हैं। प्रधानमंत्री देश की सरकार और मंत्रीपरिषद का अध्यक्ष होता है। मंत्री परिषद और प्रधानमंत्री पद का गठन राष्ट्रपति पद को सलाह देने के लिए किया गया हैं। सहज शब्दों में इसे यूं भी कहा जा सकता है कि यदि देश को एक जहाज का स्वरुप मान लिया जाए तो प्रधानमंत्री पद पर विराजमान व्यक्ति उसमें चालक का कार्य कर रहा होता हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रधानमंत्री पद देश का अत्यंत महत्वपूर्ण पद हैं।
इस पद की अधिकारिक शक्तियां और दायित्व स्वयं में बहुत सम्मानीय और उच्च पद हैं। करोड़ों की जनसंख्या वाले देश में किसी व्यक्ति विशेष का प्रधानमंत्री पद तक पहुंचना ही व्यक्ति में अद्भुत योग्यता होने का प्रमाण होता है। 15 अगस्त 1947 से लेकर अब तक हमारे देश में कुल 14 व्यक्तियों को प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इन सभी व्यक्तियों की जन्मपत्री में अवश्य कुछ तो खास बात रही होगी कि जिसके फलस्वरुप ये सभी व्यक्ति देश के सबसे उच्च पद पर आसीन हुए।
यह सर्वविदित है कि हम सभी का जीवन ग्रह, नक्षत्र, दशा और गोचर पर आधारित हैं इसलिए इन सभी की कुंड्ली में कुछ ग्रह तो खास रहें होंगे कि इन सभी को देश सेवा का अवसर प्राप्त हुआ। नवग्रहों में सेवा कार्यों के लिए शनि ग्रह की भूमिका का विचार किया जाता है। शनि ग्रह की स्थिति से व्यक्ति कितना सेवानिष्ठ और अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहेगा, यह देखा जाता जा सकता है। आज इस आलेख के माध्यम से हम यह देखते है कि प्रधानमंत्री बनाने में शनि ग्रह की भूमिका कितनी रही-
सर्वप्रथम हम आजादी से लेकर आज तक बनने वाले प्रधानमंत्रियों की सूची देख लेते हैं-
भारत के प्रधानमंत्रिओं की सूची –
क्रमांक |
प्रधानमंत्री का नाम |
कार्यकाल |
विशेष विवरण |
1 |
जवाहरलाल नेहरु |
15/08/1947-27/05/1964 |
सबसे लंबा कार्यकाल 16 वर्ष 286 दिन |
2 |
लालबहादुर शास्त्री |
09/06/1964-11/01/1966 |
- |
3 |
इंदिरा गाँधी |
24/01/1966-24/03/1977 |
- |
4 |
मोरारजी देसाई |
24/03/1977-28/07/1979 |
प्रथम गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री एवं प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने वाले प्रथम प्रधानमंत्री |
5 |
चौधरी चरण सिंह |
28/07/1979-14/01/1980 |
लोकसभा का सामना न करने वाले प्रधानमंत्री |
6 |
इंदिरा गाँधी |
14/01/1980-31/10/1984 |
- |
7 |
राजीव गाँधी |
31/10/1984-02/12/1989 |
- |
8 |
विश्वनाथ प्रताप सिंह |
02/12/1989-10/11/1990 |
अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाये जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री |
9 |
चंद्रशेखर |
10/11/1990-21/06/1991 |
- |
10 |
पी। वी। नरसिम्हाराव |
21/06/1991-16/05/1996 |
पद ग्रहण करने के समय किसी भी सदन के सदस्य नहीं |
11 |
अटल बिहारी बाजपेयी |
16/05/1996-01/06/1996 |
सबसे छोटा कार्यकाल (13दिन ) |
12 |
एच। डी। देवगौड़ा |
01/06/1996-21/04/1997 |
पद ग्रहण करते समय विधानसभा सदस्य |
13 |
आई। के। गुजराल |
21/04/1997-19/03/1998 |
- |
14 |
अटल बिहारी बाजपेयी |
19/03/1998-13/10/1999 |
- |
15 |
अटल बिहारी बाजपेयी |
13/10/1999-22/05/2004 |
- |
16 |
डॉ। मनमोहन सिंह |
22/05/2004-26/05/2014 |
- |
17 |
नरेन्द्र मोदी |
26/05/2014-अब तक |
- |
भारत के प्रधानमंत्रियों की कुंडली का विश्लेषण
जवाहर लाल नेहरू जन्म विवरण: 14।11।1889, 23।06, इलाहाबाद
जवाहर लाल नेहरू जी की कुंडली में शनि लग्न कुंडली और चंद्र कुंड्ली दोनों में द्वितीय भाव में हैं। लग्नेश चंद्र लग्न में राजयोग बनाता है। (केंद्र का स्वामी त्रिकोण में या त्रिकोण का स्वामी केंद्र में लाभेश सुख भाव में सुखों की वृद्धि कर रहा है। जिस समय इन्हें भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनने क अवसर प्राप्त हुआ उस समय शनि गोचर में इनकी जन्मराशि पर गोचर कर रहा था और एकादश भाव पर राहु स्वयं विराजित थे, इसके अलावा मान-सम्मान के कारक ग्रह गुरु भाग्येश होकर आयेश के साथ और आय भाव को सप्तम दृष्टि से सक्रिय कर रहे थे। जन्मचंद्र और गोचस्थ चंद्र इस दिन दोनों समान अंशों पर गोचर कर रहे थे।
गुलजारी लाल नंदा जन्म विवरण: 4।7।1898, 00।30, स्यालकोट
दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रुप में कार्य करने वाले गुलजारी लाल नंदा जी को परिस्थितिवश यह पद तो अवश्य मिला परन्तु इसकी अवधि बहुत सीमित थी। मेष लग्न की कुंडली के लिए शनि कर्मेश और आयेश दोनों होते हैं, यहां शनि अष्ट्म भाव में हैं और स्व नक्षत्र में हैं। आयेश का अष्टम में जाना उच्च पद तो देता है परन्तु जल्द ही पद स्थिरता में बाधक का कार्य भी करता हैं। 27 मई 1964 से 9 जून 1964 तक इन्होंने प्रथम कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रुप में कार्य किया, उस समय आयेश शनि इनके आय भाव पर गोचर कर रहा था। इसके बाद दूसरा कार्यकाल 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक रहा उस समय भी शनि आयेश होकर एकादश भाव पर ही गोचर कर रहे थे। जन्मपत्री में लाभेश शनि के अष्ट्मस्थ होने के कारण ये इस पद पर ज्यादा दिन टिक नहीं पाए।
लाल बहादुर शास्त्री जन्म विवरण: 2।10।1904, 12।00, मुगल सराय
धनु लग्न की कुंडली में शनि स्वराशि में द्वितीय भाव में स्थित हैं। आयेश शुक्र अपनी मूलत्रिकोण राशि में स्थित हैं जिस पर सेवाकारक शनि की दशम दृष्टि हैं। लाभेश शुक्र लाभ स्थान में लाभ की वृद्धि कर रहा है। भाग्येश, अष्टमेश और कर्मेश की कर्म भाव में युति हैं। चतुर्थेश गुरु पंचम भाव से आय भाव को सक्रिय कर मान-सम्मान के प्रबल योग बना रहा है। गुरु लग्नेश होकर पंचम में राजयोग बना रहा है। पंचमेश मंगल नवम में राजयोग बना रहा था। 09/06/1964 को लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री बनें उस समय भी शनि स्वराशिस्थ गोचर कर रहे थे।
इंदिरा गांधी जन्म विवरण: 19।11।1917, 23।11, इलाहाबाद
भारतीय राजनैतिक इतिहास की सबसे सशक्त की एक मात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जन्म कुंडली में सेवाकारक शनि लग्न भाव में स्थित है। गुरु लग्न कुंडली से त्रिकोणेश है। शनि केंद्र का स्वामी होकर त्रिकोण में राजयोग बना रहा है। भाग्येश गुरु लाभ स्थान में भाग्य का लाभ दे रहा है। 24/01/1966 को इन्होंने प्रधानमंत्री पद प्राप्त किया और लगभग 10 वर्ष ये प्रधानमंत्री बनी रही है। जिस समय इन्होंने प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया उस समय शनि जन्मचंद्र से द्वितीय भाव पर गोचर कर रहा था, अर्थात शनि साढ़ेसाती का अंतिम चरण प्रभावी था।
मोरारजी देसाई जन्म विवरण: 29।2।1896। 14।00, गुजरात
मिथुन लग्न की कुंड्ली में उच्चस्थ शनि भाग्येश होकर पंचम भाव में स्थित हो राजयोग बनाने के साथ साथ आय भाव को सक्रिय कर रहा है तथा आयेश मंगल स्वयं शनि की राशि में स्थित हैं। दशमेश गुरु उच्चस्थ है। इनकी कुंडली में खास बात यह है कि तीन ग्रह भाग्येश, कर्मेश और आयेश तीनों उच्चस्थ हैं। षष्ठेश अष्टम में उच्च का होकर विपरीत राजयोग बना रहा है। द्वादशेश अष्टम में भी विपरीत राजयोग बना रहा है। 24/03/1977-28/07/1979 तक प्रधानमंत्री के रुप में इनका कार्यकाल रहा। कार्यकाल आरम्भ होने के समय शनि जन्मचंद्र से बारहवें भाव पर गोचर कर रहे थे, अर्थात शनि साढ़ेसाती का प्रथम चरण प्रभावी था। शनि गोचर में दूसरे भाव से गोचर कर आयेश मंगल और आय भाव तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के चतुर्थ भाव को सक्रिय कर रहा था। शनि के अष्ट्मेश और वक्री होने के कारण ये अधिक समय तक टिक नहीं पाए।
चौधरी चरण सिंह जन्म विवरण: 23।12।1902। 07।00, मेरठ
धनु लग्न की कुंडली में शनि दूसरे भाव में स्वराशिस्थ हैं। यहां से समाज सेवा कारक शनि आय भाव और आय भाव में स्थित राहु को सक्रिय कर रहे हैं। इनकी युति चतुर्थेश गुरु के साथ हो रही हैं। सूर्य भाग्येश होकर लग्न में राजयोग बना रहा है। मंगल पंचमेश होकर दशम में राजयोग बना रहा है। लाभेश लग्न में लाभ की वृद्धि कर रहा है। 28/07/1979-14/01/1980 तक इन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में कार्य किया। इनके प्रधानमंत्री बनने के समय शनि जन्म चंद्र से बारहवें भाव पर थे, वहां से आय भाव को सक्रिय कर रहे थे।
राजीव गांधी जन्म विवरण: 20।08।1944। 08।50, मुंबई
शनि कुंड्ली में केद्रेश होकर आय भाव में स्थित है। अष्ट्मेश गुरु लग्न भाव में स्थित है और आयेश बुध लग्न भाव में स्थित हैं। पांच ग्रह लग्न भाव की शोभा बढ़ा रहे हैं। गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। पंचमेश गुरु लग्न में राजयोग बना रहा है। लग्नेश सूर्य लग्न में राजयोग बना रहा है। लाभेश बुध लग्न में लाभ की वृद्धि कर रहा है। भाग्येश मंगल भाग्य भाव को देख प्रबल कर रहे हैं। अत: इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य की भूमिका भी अहम रही। 31/10/1984-02/12/1989 के मध्य राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहें। इस समय शनि नीच राशि तुला में गोचर कर रहे थे, लग्नेश सूर्य और आयेश बुध के साथ थे।
श्री वी पी सिंह जन्म विवरण: 25।6।1931। 07।00, इलाहाबाद
लग्न भाव में उच्चस्थ गुरु, शनि गुरु की राशि में छ्ठे भाव में विराजमान है। आयेश भाव में स्वराशिस्थ शुक्र स्थित हैं। लाभेश लाभ स्थान में लाभ की वृद्धि कर रहा है। अष्टमेश शनि षष्ठ में विपरीत राजयोग बना है। द्वादशेश बुध द्वादश में विमल योग बना रहा है। 02/12/1989-10/11/1990 तक थोड़े समय के लिए इनका कार्यकाल रहा, 10 नवम्बर 1990 को इन्हें अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाया गया। इस प्रकार ये अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाए जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री बनें। 2 दिसम्बर 1989 के दिन शनि गुरु की ही धनु राशि में गोचर कर रहे थे। शनि इनके लिए भी अष्टमेश और वक्री होने के कारण इनका कार्यकाल अधिक लम्बा नहीं रहा।
श्री चंद्रशेखर जन्म विवरण: 17।4।1927। 06।00, बलिया
मिथुन लग्न की कुंड्ली में शनि त्रिकोणेश होकर छ्ठे भाव में स्थित है और आयेश मंगल की राशि में हैं। अष्ट्मेश और नवमेश शनि वक्री अवस्था में अष्टम भाव को सक्रिय कर रहा हैं तथा विपरीत राज योग भी बना रहा हैं। कुंडली में कर्मेश गुरु स्वराशि हैं। लग्न भाव में उच्चस्थ राहू हैं। भाग्येश शनि के अष्ट्मेश और वक्री होने के कारण ये ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए। इनका कार्यकाल 10/11/1990-21/06/1991 तक का ही रहा। 10 नवम्बर 1990 के दिन शनि गुरु राशि धनु में गोचर कर रहे थे। जिनपर आयेश मंगल की अष्टम दृष्टि हैं। शनि का आय भाव और भाग्य भाव दोनों से संबंध बन रहा है।
श्री पी। वी। नरसिंह राव जन्म विवरण: 28।6।1921। 11।30, करीमनगर
कन्या लग्न की कुंडली में शनि त्रिकोणेश होकर उच्च के आयेश के साथ हैं। गुरु चतुर्थेश भी हैं। यहां शनि को एक शुभ भाव का स्वामित्व प्राप्त हैं परन्तु शनि का छ्ठे भाव का स्वामी भी होने के कारण और व्यय भाव में होने के कारण कार्यकाल स्थिति बहुत सुखद नहीं रही, कुछ विवाद इनके साथ जुड़े रहें। गुरु चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। बुध (वक्री) लग्नेश होकर दशम में बैठा है। त्रिकोण का स्वामी होकर केंद्र में राजयोग बनाता है लेकिन केंद्राधिपति दोष से दूषित भी हो जाता है। शनि षष्ठेश होकर द्वादश में विपरीत राजयोग बनाता है। 21/06/1991-16/05/1996 के मध्य इन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में कार्य किया। तथा इस मध्य धार्मिक विवादों के चलते इनकी आलोचना भी हुई। जिस दिन इन्होंने प्रधानमंत्री पद प्राप्त किया उस समय शनि स्वराशि मकर में पंचम भाव पर गोचरस्थ था और आय भाव को दॄष्टि दे रहा था।
अटल बिहारी वाजपेयी जन्म विवरण: 25।12।1924, 05।45, ग्वालियर
अटल बिहारी जी की कुंडली वृश्चिक लग्न की है और चंद्र लग्न भाव में स्थित हैं। शनि उच्चस्थ होकर बारहवें भाव में स्थित है। त्रिकोणेश गुरु स्वराशि होकर आयेश और कर्मेश के साथ थे। गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। लग्नेश मंगल पंचम में राजयोग बना रहा है। भाग्येश चंद्र लग्न में राजयोग बना रहा है। बुध लाभेश होकर धन भाव में बैठा है। इनका 16/05/1996-01/06/1996 तक मात्र 13 के लिए इनका सबसे छोटा कार्यकाल रहा। 16 मई के दिन शनि गुरु राशि मीन में इनके पंचम भाव पर गोचरस्थ थे। यहां से शनि आय भाव को सक्रिय कर रहे थे जन्मकुंडली के तरह ही इस दिन लाभेश बुध वक्री अवस्था में थे, लाभेश बुध के वक्री होने के फलस्वरूप पहली बार कुछ दिनों के लिए ही पद पर रह पाए। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर कार्यकाल पूरा किया।
श्री एच। डी। देवेगोड़ा जन्म विवरण: 18।5।1933, 10।09, हसन
जन्मपत्री में शनि केंद्रेश होकर केंद्र भाव में स्वराशिस्थ है। आयेश शुक्र भी आय भाव में स्वराशिस्थ है। भाग्येश गुरु और कर्मेश मंगल दोनों एक साथ हैं। 01/06/1996-21/04/1997 में इन्होंने पद ग्रहण किया उस समय ये विधानसभा के सदस्य थे। पद ग्रहण के समय शनि गुरु राशि मीन में तथा आय भाव को सक्रिय कर रहे हैं। तथा शनि साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा था।
श्री आइ। के। गुजराल (इन्द्र कुमार गुजराल) जन्म विवरण: 4।12।1919, 10।00, झेलम
गुजराल जी की कुंडली में लग्न भाव में भाग्येश उच्चस्थ गुरु स्थित है। केंद्रेश शनि दूसरे भाव में है। आयेश शुक्र अपनी मूलत्रिकोण राशि में चतुर्थ भाव में है। शनि का आय भाव को देखना और आयेश का बली होना इनके लिए शुभ साबित हुआ। 21/04/1997-19/03/1998 तक ये प्रधानमंत्री बनें। इनके कार्यकाल की अवधि अधिक लम्बी नहीं रही। कार्यकाल का प्रारम्भ होने के समय शनि इनके नवम भाव पर गोचर कर रहे थे। यहां से आय भाव को दृष्टि दे रहे थे। गोचर में शनि और आय भाव का संबंध बन रहा था।
श्री मनमोहन सिंह जन्म विवरण: 26।9।1932, 14।00 गेह (पाकिस्तान)
धनु लग्न, कर्क राशि की जन्मपत्री में शनि स्वराशि मकर में इनके द्वितीय भाव में स्थित है। शनि और आयेश शुक्र दोनों एक दूसरे को दृष्टि देकर प्रभावित कर रहे हैं। सबसे खास बात इनकी कुंडली मे यह है कि कर्मेश बुध उच्च राशि के है और कर्म भाव में ही स्थित है, भाग्येश सूर्य के साथ युति में होने के कारण और अधिक बली हो गए हैं। शनि आय भाव को भी सक्रिय कर रहे हैं। लग्नेश गुरु भाग्य स्थान में राजयोग बना रहा है। भाग्येश सूर्य दशम भाव में राजयोग बना रहा है। अष्टमेश अष्टम में सरल योग बना रहा है। षष्ठेश अष्टम में विपरीत राजयोग बना रहा है। द्वादशेश अष्टम में विपरीत राजयोग बना रहा है। 22/05/2004-26/05/2014 तक इनका कार्यकाल रहा। इस दौरान शनि मिथुन राशि इनके पंचम भाव पर गोचर कर रहे थे और आय भाव को प्रभावित कर गति दे रहे थे।
नरेंद्र मोदी जन्म विवरण: 17।9।1950, 11।00 मेहसाना, गुजरात
वृश्चिक लग्न की जन्मपत्री में चंद्र लग्न भाव में है। शनि इनके दशम भाव में स्थित है। आयेश बुध आय भाव में उच्चस्थ है और कर्मेश सूर्य के साथ है। शनि चतुर्थेश है और सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव (समाज भाव) को बल प्रदान कर रहे हैं। लग्नेश मंगल लग्न में है इससे व्यक्तित्व मजबूत हो रहा है। वर्तमान में ये भारत के प्रधानमंत्री हैं और शनि इनकी जन्मराशि से दूसरे भाव पर गोचरस्थ है। शनि की यह स्थिति २०२० के आरम्भ तक रहेगी, तब तक शनि आय भाव को भी प्रभावित करते रहेंगे और पद पर इनकी स्थिति मजबूत रहेगी।
सार-किसी व्यक्ति के उत्थान और उन्नति में गुरु और शनि ग्रह की भूमिका अहम रहती हैं।।गुरु और शनि का प्रभाव आय और आयेश से बनने पर जीवन में विशेष सफलता अर्जित होती है।