बसंत पंचमी (Basant Panchami) 2022: पूजा की संपूर्ण विधि, सफल करियर का वर देती है देवी सरस्वती
By: Future Point | 27-Jan-2022
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यह दिवस ऋतुराज बसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। हमारे धर्म ग्रंथों में बसंत को ऋतुराज अर्थात सब ऋतुओं का राजा माना गया है। बसंत पंचमी बसंत ऋतू का एक प्रमुख त्यौहार है।
इस प्रकार बसंत पंचमी का त्यौहार मानव मात्र के हृदय के आनंद और ख़ुशी का प्रतीक कहा जाता है। बसंत ऋतू में जहां प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है। यह पर्व उत्तरी भारत तथा पश्चिम बंगाल में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन हम ज्ञान की देवी मां सरस्वती की भी पूजा करते हैं। कहते हैं कि मां सरस्वती की पूजा के साथ अगर सरस्वती स्तोत्र भी पढ़ा जाए तो अद्भुत परिणाम के साथ मां सरस्वती प्रसन्न होकर मन चाहा वरदान देती हैं।
यही कारण है कि इस त्योहार को ‘श्री पंचमी’ भी कहते हैं। आज से ही भारत में बसंत ऋतु का आरंभ होता है। यह त्योहार भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में भी बड़े धूम-धाम से मनया जाता है।
बसंत ऋतु में मानो पूरी प्रकृति पीली रंग की चादर से ढक जाती है। खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है। वहीं जौ और गेंहू की बालियां खिलने लगती हैं तो आम के पेड़ों में बौर आ जाती है और चारों ओर रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगती हैं।
बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त-
साल 2022 में 5 फरवरी, शनिवार के दिन बसंत पंचमी का त्योहार देशभर में मनाया जाएगा, और इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा और 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा, यानि 5 घंटे 29 मिनट तक आप बसंत पंचमी की पूजा कर सकते हैं।
बसंत पंचमी पूजा विधि-विधान
भारत के पूर्वी प्रांत में बसंत पंचमी के दिन घर और विद्यालयों में मां सरस्वती की मूर्ति स्थापना कर के उनकी पूजा- अर्चना की जाती है, और पूजा करने के अगले दिन मूर्ति को नदी में विसर्जित किया जाता है, बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है, साथ ही मां सरस्वती की पूजा करने के दौरान उनकी प्रतिमा पर भी हल्दी का तिलक लगाकर पूजा करने का विशेष महत्व है।
मां सरस्वती पूजा का महत्व-
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, और ऐसी मान्यता है कि इस दिन सरस्वती जी की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जिन लोगों के नसीब में बुद्धि और शिक्षा का योग नहीं होता है और उनकी पढ़ाई में रुकावट आ रही है तो मां सरस्वती की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते वक्त अगर भक्त अच्छी शिक्षा और सद्बुद्धि की कामना करते हैं तो मां सरस्वती की उन पर विशेष कृपा होती है।
विद्यार्थियों को सफल करियर का वर देती हैं मां सरस्वती-
मां सरस्वती की पूजा विद्यार्थियों के लिए बहुत खास है,क्योंकि देवी सरस्वती प्रसन्न हुईं तो विद्यार्थियों का करियर संवर जाता है। देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए बसंत पंचमी के दिन इनका ध्यान पूजा आदि करने से इनकी कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
इस दिन पपीते और केले के फल का दान करना चाहिए। इस दिन अपने गुरु से आशीष लेना ना भूलें। उन्हें पीले रंग का कपड़ा दान करें। विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। धूप-दीप जलाएं और उन्हें पीले रंग का फूल चढ़ाएं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वो मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने पीले रंग के कागज पर लाल रंग की कलम से ग्यारह या इक्कीस बार मां सरस्वती का ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिखें। ज्ञान की देवी, माँ सरस्वती को पीला रंग काफी प्रिय है।
बंसत पंचमी पर इस तरह करें पूजा-
आइए जानते है बसंत पंचमी में होने वाली पूजा की विधि के बारे में
सबसे पहले भगवान विष्णु और मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के आसन पर स्थापित करें।
पूजा में ध्यान रखें कि प्रतिमाओ को पीले रंग का ही वस्त्र अर्पण किया जाए।
कोशिश करें कि हरसिंगार या गेंदे का ही फूल चढ़ाएं क्योंकि हरसिंगार की खुशबू आसपास के माहौल और पंच तत्वों में संतुलन बनाने में सहायक है।
इसके बाद चंदन का टीका लगाएं और धूप जलाएं। चंदन की खुशबू से वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और एकाग्रता बढ़ती है।
शुद्ध देशी घी में हरसिंगार का इत्र डालकर जलाएं। कहते हैं कि हरसिंगार के इत्र का दीपक पूरे वातावरण को संतुलित करता है तो शुद्ध घी के दीपक जलने से शुक्र ग्रह शुभ होता है और शारीरिक व मानसिक विकास होता है। यही नहीं, इससे आर्थिक स्थिति और संबंधों में सुधार आता है।
बसंत पंचमी पर पीला रंग खास होता है इसलिए पीले मीठे चावल का भोग लगाएं।
बसंत पंचमी पर पीले रंग का खास महत्व -
कहते हैं बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व होता है। आपने भी देखा होगा कि इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। पीले रंग को वैष्णव धर्म और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा पीला रंग सात्विक गुण का भी प्रतीक हैं। यही नहीं पीला रंग पांच तत्वों में क्षितिज का प्रतिनिधित्व करता है। पीले रंग के प्रयोग से व्यक्ति गुणवान, विवेकी और उदार बनाता है। वहीं आधुनिक वास्तु शास्त्र में पीले रंग के महत्व की बात करें तो पीला रंग खांसी, जुकाम, लीवर, पीलिया, गैस और सूजन आदि रोगों के इलाज के लिए उपयोग होता है। कहते हैं कि पीले रंग की वस्तु या वस्त्र के उचित प्रयोग और विशेषज्ञों की सलाह से गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है।
बसंत पंचमी पर करें, ‘गुरु ग्रह’ को प्रसन्न -
बसंत पंचमी का पर्व गुरु ग्रह की शांति के लिए शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीला रंग ’गुरु ग्रह’ यानि ‘बृहस्पति ग्रह’ का प्रतीक है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। वहीं लक्षण ज्योतिष में गुरु ग्रह के दोषित होने का संकेत है नीरस जीवन, झगड़ालू वातावरण और धन का अपव्यय। कहते हैं अगर पीड़ित व्यक्ति बसंत पंचमी के दिन भगवान विष्णु और मां सरस्वती की पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है तो उसकी सारी पीड़ा खत्म हो जाती है और उसे उचित लाभ मिलता है।