अयोध्या और सनातन धर्म की आत्मा - राम मंदिर
By: Acharya Rekha Kalpdev | 02-Feb-2024
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पौराणिक, आध्यात्मिक और धार्मिक भावों के धागों में गूंथी अयोध्या सबको अपनी और खींचती है। अन्तः चेतना से जुड़ने का यह एक साधन है। आत्मा से परमात्मा को पुन जोड़ने का काम अयोध्या करती है। यूं तो भारत के कण-कण में राम जी है, पर अयोध्या को राम जी का ह्रदय कहे तो अतिश्योक्ति न होगी। अयोध्या की नगरी की गलियों में राम जी बालरूप में खेले-कूदे, यहीं से वनवास गए, यहीं पर राजा बने। आस्था और भक्ति का एक दिव्य संगम राम मंदिर है। राम जी से मिलना हो तो आना कभी अयोध्या, यहाँ की संकरी गलियों से गुजरते हुए आप भगवान् राम, मैय्या सीता जी और भाई लक्ष्मण की पदचाप की धूलि को हवाओं में महसूस करेंगे। घाटों से स्नान कर हनुमानगढ़ी में द्वार रक्षक से अनुमति मिलने के बाद मंदिर में राम जी कि अद्भुत छवि के दर्शन करना किसी अलौकिक नगरी में पहुंच जाने जैसा है। यही वो नगरी है, जहाँ कभी देवता और मनुष्य एक साथ हाथ में हाथ डालकर चलते थे।
अयोध्या का शाब्दिक अर्थ अ+युद्ध, जिसे युद्ध में पाया न जा सके अर्थात जिसके साथ युद्ध न किया जा सके। रघुवंशी कुल के राजाओं के पराक्रम के कारण ऐसा कहा जाता था। अयोध्या हमेशा से अपराजय रही, अपने नाम को सार्थक करती रही। अथर्वेद के एक श्लोक में अयोध्या को ईश्वर की नगरी की संज्ञा दी गई है। अयोध्या नगरी कि सम्पन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई। स्कन्द पुराण में अयोध्या को ब्रह्म, विष्णु और रूद्र कहा गया है। कहीं-कहीं इसे कोसल जनपद भी कहा गया है।
भविष्य पुराण के अनुसार राजा विक्रमादित्य ने दो बार उजड़ चुकी अयोध्या का निर्माण कराया था। उन्होंने भगवान् राम जी के भव्य मंदिर का (राम जन्म भूमि पर) भी निर्माण कराया था। उसके बाद मुस्लिम आक्रांताओं सालार मसूद और बाबर ने मंदिर को ध्वस्त कर वहां बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया। पवित्र सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या, प्राचीन महाग्रंथों को सजीव करती है और राम नाम के शाश्वत मंत्र से ऊर्जावान रहती है। आज जब राम मंदिर में राम लल्ला जी की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। राम मंदिर सनातनी श्रद्धा, विश्वास, आस्था का महाकुम्भ है। वास्तुशिल्प कौशल का बेजोड़ नमूना है। आज सम्पूर्ण अयोध्या नगरी राम नाम के मन्त्र से सिद्ध हो गई है। अयोध्या की गलियों की दीवारे हों, या यहाँ का शहरी सौन्दर्यकरण सब राममय हो गया है। हम जानते है की राम कण कण में है, पर अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद कण कण ही राममय हो गया है। बारीक नक्काशी से उकेरे गए रामायण के पात्र सजीव हो उठे है। मंदिर का प्रत्येक स्तम्भ रामायण की कथा कह रहा है।
यहाँ का प्रत्येक पत्थर बोलने को उत्साहित है, रामायण की कहानी अयोध्या का हर पत्थर सुना रहा है। लगता है की मंदिर में चारों और से राम ध्वनि ऊर्जा और प्रकाश बनकर चारों और फ़ैल गई है। पत्थर अपनी कलात्मकता से सजीव हो उठे है। भारत के सौ करोड़ की आस्था भक्ति का अटूट प्रमाण अयोध्या जी में राम लल्ला का मंदिर है। मंदिर परिसर के आकर्षण से आप अभी बाहर भी नहीं आते है और मंदिर का गर्भगृह में प्रवेश आपको अनुभूति की एक अलग दुनिया में लेकर चला जाता है। जहाँ अन्नत शांति, द्वियता और अलौकिक शक्ति का अहसास आप शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते है। भक्तों का राम, सीताराम, जय श्री राम का लयबद्ध मंत्रोच्चार, पूजन की लौ, सूर्य का प्रकाश आत्मिक अमृत गंगा में डूबकी लगाने जैसा अनुभव देता है। सारी धरा का सौंदर्य, आभा, दैवत्व, अलौकिकता, आभा, ऊर्जा सब राम लल्ला जी के श्रीचरणों में दंडवत प्रणाम करते दिखाई देते है। भक्त स्वयं को राम जी की दिव्य आभा में स्नान करते हुए पाता है। अयोध्या में राम जी की दिव्यता राम लल्ला जी के मंदिर में कहाँ सीमित रहने वाली थी। वह खुशबू बनकर, हवाओं, फिजाओं के माध्यम से अयोध्या के प्रत्येक मंदिर, सरयू जी के घाटों, सभी धार्मिक तीर्थ स्थलों, सडकों, चौराहों, घरों से होती हुई दीवारों और गलियों में फ़ैल गई है। यहाँ पवित्र सरयू नदी में डुबकी प्रयागराज संगम में डुबकी लगाने जैसा है। यहाँ स्नान करना तन, मन और आत्मा तीनों को शुद्ध करता है। घाटों पर गूंजने वाले मन्त्रों में भक्त खो जाते है। कनक भवन अपनी कहानी स्वयं कह रहा, मालूम होता है। कनक भवन में भगवान् राम जी और मैय्या सीता जी साथ रहे थे, राम जी और मैय्या सीता जी की ऊर्जा को वहां दस हजार साल बाद भी महसूस किया जा सकता है। हनुमान गढ़ी में रामभक्त हनुमान जी के दर्शन, पूजन से भक्तों में एक नया साहस, एक नई शक्ति, भक्ति आती है।
अयोध्या जी की तीर्थयात्रा का मतलब सिर्फ तीर्थ यात्रा, या पर्यटन स्थल का भ्रमण मात्र नहीं है, यह यात्रा 500 वर्ष से अपने आराध्य के दशनों के लिए व्याकुल सबरी की प्रतीक्षा करने जैसी है। आराध्य के दर्शनों की आस लिए भक्त अपनी आत्मा को राम जी के चरणों में समर्पित करते है। प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही राम लल्ला जी की प्रतिमा सजीव हो उठी और स्वयं अयोध्या भी अपने वैभव, सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से सज गई है। आओ, सब सनातनी अयोध्या चले, अयोध्या में राम लल्ला जी के दर्शन करें -
अयोध्या मंदिर में राम लल्ला जी के दर्शन के लिए कैसे जाएँ? अयोध्या जाएँ तो इन तीर्थ स्थलों पर भी जरूर जाए -
22 जनवरी 2024 को अयोध्या राम लल्ला एक बार फिर से स्थापित हो चुके है। 500 साल के बाद अयोध्या का वैभव राम जी कि स्थापना के बाद फिर से लौटा है। त्रेता युग में राम जी 14 वर्ष के वनवास पर गए थे, कलयुग में भगवान् राम का वनवास लगभग 500 सालों का रहा। 500 साल की लम्बी प्रतीक्षा के बाद राम जी, दिव्या और भव्यता के साथ अयोध्या जी में विराजित हो चुके है। अयोध्या में राम लल्ला जी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जिसने भी राम जी के दर्शन किये वो मंत्रमुग्ध रह गया। ख़ुशी, उल्लास, प्रसन्नता और लम्बी प्रतीक्षा के बाद दर्शन करने वालों की आँखों में ख़ुशी के आंसूं थे। आज हर भारतीय अयोध्या जाने के लिए तैयार बैठा है। ऐसे बहुत कम सनातनी है, जिनका मन अयोध्या जाने का न कर रहा हो। हर कोई जाना चाहता है, पर जानकारी के अभाव में काफी लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि कैसे जाए और कब जाए। अयोध्या में जाकर राम लल्ला जी के दर्शन करने के अलावा और क्या क्या वहां देखन चाहिए? संभव है आपके मन में भी कुछ इसी प्रकार के सवाल चल रहे हो, ऐसे ही सवालों का जवाब आज हम यहाँ लेकर आये है-
अयोध्या मंदिर में राम लल्ला जी के मंदिर खुलने का समय क्या है?
अयोध्या मंदिर में राम लल्ला जी के मंदिर खुलने का समय प्रात: 7:00 से 12:00, दोपहर 02:30 से 10:00 बजे तक का है।
अयोध्या मंदिर में राम लला जी दर्शन कैसे होंगे?
अयोध्या मंदिर में राम लल्ला के दर्शनों के लिए आधार कार्ड की कॉपी से बुकिंग करानी होती है। मंदिर दर्शन समिति के पास। मंदिर प्रांगण के मुख्य द्वार से लगभग 150 से 200 मीटर के अंदर बुजुर्गों और विकलांगों को ले जाने के लिए विहील चेयर सुविधा उपलब्ध है।
सिंह द्वार से प्रवेश करने के बाद 32 सीढ़ियों को पार करने पर भगवान् राम बाल रूप में हमारे आराध्य राम लल्ला जी के दर्शनों के लिए प्रवेश किया जा सकता है। तत्पश्चात 5 मंडप पार करने पर गर्भगृह में राम लल्ला के दिव्य दर्शन कुछ दूरी से आप कर सकते है।
अयोध्या मंदिर में राम लल्ला जी की आरती का समय क्या है?
- मंगला आरती का समय प्रात: 04:30 बजे का है।
- श्रृंगार आरती का समय सुबह 06:30 से 07:00 बजे के मध्य का है, इस समय में भक्त दर्शन कर सकते है।
- भोग आरती का समय सुबह 11:30 बजे का है।
- मध्याह्न आरती का समय दोपहर 02:30 बजे का है।
- संध्या आरती का समय संध्याकाळ में 06:30 बजे का है।
- शयन आरती का समय रात्रि 08:30 से 09:00 बजे का है।
(दर्शन समय में दर्शन समिति के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है)
अयोध्या मंदिर में राम लल्ला जी की आरती में शामिल कैसे हो सकते है?
अभी आरती में शामिल होने के लिए मंदिर दर्शन समिति के द्वारा पास वितरित किये जा रहे है। अभी पास बुकिंग के लिए ऑफ़लाइन व्यवस्था है। आधारकार्ड के आधार पर पास की बुकिंग कि जा रही है।
अयोध्या राम मंदिर में प्रसाद चढाने के नियम क्या है?
अयोध्या राम मंदिर में अभी इलायची दाने का प्रसाद भक्तजन चढ़ा सकते है। वह भी मंदिर परिसर में निशुल्क उपलब्ध है। दर्शन करने आये भक्तों को मशीनों के द्वारा प्रसाद वितरण किया जा रहा है। मंदिर के बाहर से प्रसाद नारियल और अन्य धार्मिक वस्तुएः लेकर नहीं जा सकते है। इसलिए बाहर से कोई प्रसाद न ख़रीदे।
अयोध्या राम मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश करते समय क्या क्या साथ लेकर जा सकते है?
केवल पैसे और नजर का चश्मा साथ लेकर जाया जा सकता है, मोबाईल आदि वस्तुओं को रखने के लिए लॉकर कि सुविधा उपलब्ध है।
अयोध्या मंदिर कैसे जाया जा सकता है? यात्रा के साधन कौन कौन से है?
हवाई जहाज, रेल और बस और व्यक्तिगत वाहन के द्वारा अयोध्या राम मंदिर पहुंचा जा सकता है।
अयोध्या राम मंदिर के आसपास सात्विक भोजन कि क्या व्यवस्था है?
सम्पूर्ण अयोध्या शाकाहारी है। बिना लहसुन, प्याज का भोजन भी आसानी से मिल जाता है। जैन धर्मशालाएं भी है। जहाँ सात्विक भोजन खाया जा सकता है।
अयोध्या में राम मंदिर के अलावा दर्शनीय स्थल कौन-कौन से है?
राम लल्ला जी के द्वार रक्षक भगवान् हनुमान जी के दर्शन हनुमानगढ़ी में करने के बाद ही भगवान् राम लल्ला जी के दर्शन करने का विधान है। हनुमान जी के दर्शन करने पर ही राम लल्ला जी के दर्शनों का फल मिलता है।
हनुमानगढ़ी मंदिर खुलने का समय - सुबह 4-00 बजे से रात 10-00 बजे तक है।
छोटी देवकाली मंदिर दर्शन
छोटी देवकाली माता सीता जी की कुल देवी है। इनका आशीर्वाद लेने से मैय्या सीता जी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है। यह मंदिर राम मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर के एरिया में है।
कनक भवन मंदिर दर्शन
कनक भवन विवाहोपरांत माता कैकेयी ने उपहार स्वरुप देवी सीता को दिया था। यह मंदिर भी अयोध्या राम मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर ही है।
कनक भवन खुलने का समय - सुबह 9-00 बजे से दोपहर 11- 30 बजे तक और शाम 4-30 से रात 9-30 तक।
सीता रसोई - राम मंदिर से दूरी 1 कि मी
खुलने का समय - सुबह से रात तक।
अयोध्या मंदिर से सरयू नदी कितनी दूर है?
सरयू नदी तट राम मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी के दायरे में है। सरयू नदी में स्नान, दान, धर्म कार्य पुण्यदायक माने गए है।
सरयू नदी पर सांयकाल की आरती का समय क्या है?
सरयू नदी पर सांयकालीन आरती का समय सांयकाल में 6 से 7 बजे के मध्य का है।
मंदिर दर्शन नियम
- धार्मिक स्थलों पर जाते समय ड्रेस कोड का ध्यान रखें। भारतीय संस्कृति के अनुसार वस्त्रों का चयन करें, जिसमें कंधे और घुटने ढकें रहें।
- आरती में हों या या सत्संग में हों आप खुद को भारतीय संस्कृति में खुद को डुबो दें।
- सरयू नदी के किनारे बैठे, स्नान करें, ध्यान करें, प्राकृतिक वातावरण का आनंद लें।
- हमें याद रखना है की अयोध्या एक तीर्थ स्थान है, इसलिए इसका आदर और सम्मान करें।