असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए घर में स्थापित करें, रोग नाशक यंत्र
By: Future Point | 08-Apr-2020
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मनुष्य अपने जीवन काल में किसी न किसी साध्य या असाध्य रोग से ग्रस्त होता हैं। उचित उपचार से ज्यादातर साध्य रोगों से तो मुक्ति मिल जाती है, लेकिन कभी-कभी साध्य रोग भी असाध्य रोगों का रूप धारण कर लेते हैं, या कोई असाध्य रोग से ग्रसित हो जाते हैं। हजारों लाखों रुपये खर्च करने पर भी अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो पाता। डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली दवाईयां अल्प समय के लिये कारगर साबित होती हैं, ऐसी स्थिती में लाभ प्राप्ति हेतु व्यक्ति एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के चक्कर लगाने को बाध्य हो जाता है। भारतीय ऋषियों ने अपने योग साधना के प्रताप से रोग शांति हेतु विभिन्न यंत्रों का उल्लेख अपने ग्रंथों में कर मानव जीवन को लाभ प्रदान करने का सार्थक प्रयास हजारों वर्ष पूर्व किया था।
बुद्धिजीवियों के मत से जो व्यक्ति जीवनभर अपनी दिनचर्या पर नियम, संयम रख कर आहार ग्रहण करता है, एसे व्यक्ति को विभिन्न रोग से ग्रसित होने की संभावना कम होती है। लेकिन आज के युग में ऐसे व्यक्ति भी भयंकर रोग से ग्रसित हो जाते हैं। क्योकि समग्र संसार काल के अधीन है। एवं मृत्यु निश्चित है जिसे ईश्वर के अलावा और कोई टाल नहीं सकता, लेकिन रोग होने की स्थिती में व्यक्ति रोग दूर करने का प्रयास तो अवश्य कर सकता है। इसीलिए यंत्र मंत्र एवं तंत्र के कुशल विशेषज्ञ से योग्य मार्गदर्शन लेकर व्यक्ति रोगों से मुक्ति पाने का या उसके प्रभावों को कम करने का प्रयास भी अवश्य कर सकता है। ज्योतिष विद्या के कुशल जानकर काल पुरुष की गणना कर अनेक रोगों के रहस्य को उजागर कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से रोग के मू्ल को पकडने मे सहयोग मिलता है, जहाँ आधुनिक चिकित्सा शास्त्र अक्षम हो जाता है, वहां ज्योतिष शास्त्र द्वारा रोग के मूल को पकड कर उसका निदान करना लाभदायक एवं उपायोगी सिद्ध होता है। हर व्यक्ति में लाल रंग की कोशिकाएं पाई जाती हैं, जिसका विकास क्रम बद्ध तरीके से होता रहता है। जब इन कोशिकाओं के क्रम में परिवर्तन होता है या विखंडन होता हैं तब व्यक्ति के शरीर में स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं। और इन कोशिकाओं का संबंध नवग्रहों के साथ होता है। इन ग्रहों से रोगों के होने का कारण व्यक्ति के जन्मांग में दशा-अंतर्दशा एवं ग्रहों की गोचर में स्थिती से प्राप्त होता है।
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रोगनाशक यंत्र की स्थापना विधि-
सम्पूर्ण रोगनाशक यंत्र जन्मांग में कमजोर और पीड़ित ग्रहों के बुरे प्रभाव को काम करता है| इस यंत्र के मध्य में महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया गया है, जो आराधक को शारीरिक सुरक्षा का कवच प्रदान करता है| इसके अन्य १२ यंत्रों के पूजन से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है| यह पितृदोष, कालसर्पदोष, वास्तुदोष, टोना टोटका, चोट, वात रोग अथवा बुरे कर्मों से उत्पन्न होने वाले रोगों से रक्षा करता है| सोमवार के दिन, प्रातः काल स्नानादि के बाद, यंत्र पर गंगाजल छिड़ककर, उसे स्वच्छ वस्त्र से पोंछ लें और श्रद्धा पूर्वक स्थापित करें| इसके सम्मुख घी का दिया जलाएं| यंत्र के सम्मुख धूपबत्ती जलाएं, श्वेत पुष्प अर्पित करें| और रुद्राक्ष माला पर निम्न मन्त्र का १०८ बार जप करें| रोग नाशक यंत्र के साथ निम्न मन्त्र का स्मरण करना चाहिए|
''ॐ त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् ।
उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान् मृ॒त्योर्मुक्षीय॒ मा ऽमृता॑त्''।।
सर्व रोग निवारण महामृत्युंजय यंत्र के माध्यम से व्यक्ति के जन्मांग में स्थित कमजोर एवं पीडित ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने का कार्य सरलता पूर्वक किया जा सकता है। जैसे व्यक्ति को ब्रह्मांड की ऊर्जा एवं पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल प्रभावित करता है, ठीक उसी प्रकार रोगनाशक यंत्र के माध्यम से ब्रह्मांड की ऊर्जा के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे रोग के प्रभाव को कम कर रोग मुक्त करने हेतु सहायता मिलती है। रोग निवारण हेतु रोगनाशक महामृत्युंजय मंत्र एवं यंत्र का बडा महत्व है। जिससे हिन्दू संस्कृति का प्रायः हर व्यक्ति परिचित है।
रोगनाशक यंत्र के लाभ :-
जन्मकुंडली में अनेक प्रकार के खराब योगों और खराब ग्रहों की प्रतिकूलता से रोग उत्पन्न होते हैं। कुछ रोग संक्रमण से होते हैं एवं कुछ रोग खान-पान की अनियमितता और अशुद्धता से उत्पन्न होते हैं। रोगनाशक यंत्र द्वारा ऐसे अनेक प्रकार के खराब योगों को नष्ट कर, स्वास्थ्य लाभ और शारीरिक रक्षण प्राप्त करने हेतु सर्व रोगनाशक यंत्र सर्व उपयोगी होता है।
- ऐसा शास्त्रोक्त वचन है जिस घर में रोगनाशक महामृत्युंजय यंत्र स्थापित होता है वहां निवास करने वाले व्यक्ति की हर व्याधि से रक्षा होती है।
- रोगनाशक यंत्र के नित्य दर्शन-पूजन से कोई भी व्यक्ति जीवन में आरोग्य प्राप्त कर सकता है।
- संपूर्ण रोगनाशक महामृत्युंजय यंत्र के नित्य पूजन-दर्शन से व्यक्ति मन और शरीर से स्वस्थ रहता है।
- यंत्र के मध्य स्थापित महामृत्युंजय यंत्र के चारों ओर अन्य यंत्र स्थापित कर इसकी शक्ति में वृद्धि की गई है।
- आज के भौतिकतावादी आधुनिक युग में अनेक ऐसे रोग होते हैं, जिसका उपचार ऑपरेशन और दवा से भी कठिन हो जाता है। कुछ रोग एसे होते हैं जिसे बताने में लोग हिच-किचाते हैं शरम अनुभव करते हैं ऐसे रोगों को रोकने हेतु एवं उसके उपचार हेतु सर्व रोगनाशक यंत्र लाभादायी सिद्ध होता है।
- पूर्ण प्राण प्रतिष्ठित एवं पूर्ण चैतन्य युक्त सर्व रोग निवारण रोगनाशक यंत्र हर व्याधि से व्यक्ति की रक्षा करता है|
- प्रत्येक व्यक्ति की जैसे-जैसे आयु बढती है वैसे-वैसे उनके शरीर की ऊर्जा कम होती जाती है। जिसके साथ अनेक प्रकार के विकार पैदा होने लगते हैं ऐसी स्थिति में भी उपचार हेतु सर्व रोगनाशक यंत्र फलमंद होता है।
- इसकी साधना से रोग से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
- जिस व्यक्ति का जन्म परिधि योग में होता है उन्हें होने वाले मृत्यु तुल्य कष्ट व रोग से उपचार हेतु सर्व रोगनाशक यंत्र शुभ फलप्रद होता हैं।
- इस यंत्र में स्थापित अन्य यंत्रों की अपनी-अपनी महिमा है।
- रोगनाशक यंत्र के दर्शन-पूजन से पारिवारिक सुख तथा शांति प्राप्त होती है।
- रोगनाशक यंत्र साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
- रोगनाशक यंत्र के नित्य दर्शन से शत्रुओं के षड्यंत्र से रक्षा होती है।
- रोगनाशक यंत्र से जीवन में राहु, केतु जनित शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
- रोगनाशक यंत्र की साधना से शारीरिक शक्ति प्रबल होती है, जिससे व्यक्ति को रोग होने की संभावना नहीं रहती है।