आरूढ़ लग्न: एक शोध - Arudh Lagna: A Research | Future Point

आरूढ़ लग्न: एक शोध - Arudh Lagna: A Research

By: Future Point | 01-Jun-2022
Views : 13233आरूढ़ लग्न: एक शोध - Arudh Lagna: A Research

जातक की सामाजिक छबि कैसी होगी, कैरियर और कौन से फील्ड में जाएगा ये आरूढ़ लग्न से देखा जाता है। जैमिनी ज्योतिष में कई प्रकार के लग्नों का उल्लेख मिलता है जिसमें प्रमुख कारकांश लग्न, आरूढ़ लग्न, वर्णद लग्न, उपपद लग्न आदि हैं। प्रस्तुत लेख में हम आरूढ़ लग्न के विषय में प्रकाश डालने का प्रयास कर रहे हैं।

आरूढ़ लग्न को पद लग्न भी कहा जाता है। लग्न जहां यह बताता है कि हम क्या हैं, वहीं आरूढ़ लग्न यह बताता है कि दुनिया की नजरों में हम क्या हैं अर्थात् दुनिया की नजर में हमारी छवि क्या है? लोग हमें कैसा समझते या मानते हैं? आरूढ़ का अर्थ ऊंचे स्थान से है जिसमें जातक विशेष का सामाजिक अस्तित्व, उसका कार्यक्षेत्र, उसकी प्रकृति आदि का अंदाजा दूसरों के द्वारा लगाया जाता है। आरूढ़ लग्न हमारी छवि द्वारा निर्धारित होने के कारण बेहद सटीक व बिल्कुल अलग भी हो सकता है।

‘आरूढ़ लग्न’ लग्न से लग्नेश की जितनी दूरी होती है उससे उतनी ही दूरी के भाव पर माना जाता है। जैसे यदि लग्नेश लग्न से पंचम भाव में हो तो इस पांचवें भाव से पाँच आगे अर्थात् नवम भाव में आरूढ़ लग्न माना जाएगा, इसी प्रकार यदि लग्नेश तीसरे भाव में हो तो तीसरे भाव से तीन आगे अर्थात् पंचम भाव में आरूढ़ लग्न माना जाएगा।

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आरूढ़ लग्न से फलादेश

चूंकि आरूढ़ लग्न हमारी छवि को दर्शाता है, वह कभी भी लग्न अथवा सप्तम भाव में नहीं आ सकता इसके लिए नियम में अपवाद रखा गया है। यह जब भी लग्न अथवा सप्तम भाव में पड़ता है तब उसे वहाँ से दस भाव आगे के भाव में रख दिया जाता है। जैसे- यदि लग्नेश लग्न में ही हो तो आरूढ़ लग्न, लग्न से दशम भाव में माना जाएगा। इसी प्रकार यदि लग्नेश चतुर्थ भाव में हो तो उसे वहाँ से चतुर्थ भाव अर्थात् सप्तम भाव में न मानकर सप्तम से दशम भाव आगे अर्थात् चतुर्थ भाव में ही माना जाएगा।

  • आरूढ़ लग्न कभी भी 6, 8 व 12 वें भाव में नहीं आता है।
  • आरूढ़ लग्न से मिलने वाले प्रभाव इस प्रकार से होते हैं:
  • आरूढ़ लग्न पर ग्रहों का प्रभाव जन्म लग्न की भांति ही देखना चाहिए। आरूढ़ लग्न शुभ ग्रह की राशि में हो, शुभ ग्रह हो अथवा शुभ ग्रह के प्रभाव में हो तो जातक भाग्यशाली व धनी होता है जबकि पाप ग्रहों के प्रभाव में होने से जातक विवादित, भाग्यहीन व असफल होता है।
  • आरूढ़ लग्न से केंद्र, त्रिकोण में शुभ ग्रह जातक को प्रसिद्ध, धनी, सफल व ताकतवर बनाते हैं जबकि पाप ग्रह अशुभता प्रदान करते हैं।
  • आरूढ़ लग्न से चतुर्थ भाव में चन्द्र-शुक्र का प्रभाव जातक को अनेक भवनों का स्वामी बनाता है।
  • आरूढ़ लग्न या इससे सप्तम में उच्च, स्वगृही अथवा मित्र राशि का ग्रह जातक को समाज में प्रसिद्धि, सफलता व उच्च स्थान प्रदान करता है।
  • आरूढ़ लग्न से राजसिक ग्रह केंद्र में, सात्विक ग्रह पणफर में तथा तामसिक ग्रह 3, 6, 12 भावों में शुभता देते हैं।
  • आरूढ़ लग्न से 3, 6 भावों में पाप ग्रह पराक्रम की वृद्धि करते हैं तथा अपनी दशा में शुभ फल देते हैं।
  • आरूढ़ लग्न से दूसरे भाव में शुभग्रह जातक को सम्मानित व धनी बनाता है जबकि दूसरा भाव बली हो तो जातक को दुनिया वाले धनी समझते हैं।
  • आरूढ़ लग्न से 11 वें भाव में सब ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक राजा समान होता है।
  • आरूढ़ लग्न से 11वें भाव में अधिक ग्रहों का प्रभाव जातक का एक से अधिक स्रोतों द्वारा धनार्जन करवाता है जिस कारण जातक बहुत धनी होता है।
  • आरूढ़ लग्न से 11वें भाव को ग्रह देखें पर 12वें को नहीं तो जातक को आसानी से लाभ प्राप्त होता है।
  • आरूढ़ लग्न से 12वें भाव पर अधिक ग्रहों का प्रभाव जातक को खर्चीला बनाता है जिस कारण जातक धनाभाव में रहता है।
  • आरूढ़ लग्न से दूसरे अथवा सप्तम भाव में राहु/केतु हो तो जातक के पेट में कीड़े होते हैं अथवा जातक को पेट संबंधी बीमारी होती है।
  • आरूढ़ लग्न से दूसरे अथवा सप्तम भाव में केतु पाप ग्रह से दृष्ट या युत हो तो जातक जवानी में ही बूढ़ा नजर आने लगता है।
  • आरूढ़ लग्न से दूसरे अथवा सप्तम भाव में गुरु,चन्द्र, शुक्र या इनमें से कोई दो ग्रह हो तो जातक धनी होता है।
  • चिकित्सकों में आरूढ़ लग्न उनके लग्न से 9वें व 11वें भाव में होता है जबकि वकीलों व पुलिस कार्य करने वालों का आरूढ़ लग्न लग्न से पंचम भाव में होता है।

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आइये अब कुछ कुंडलियों का अध्ययन करते हैं:

1) अमिताभ बच्चन

कुम्भ लग्न में जन्मे श्री अमिताभ बच्चन का आरूढ़ लग्न वृष आता है जिसमें इनकी पत्रिका का लग्नेश शनि स्थित है। इस लग्न के एकादश भाव में जहां कई ग्रहों के प्रभाव ने इन्हें धनवान बनाया है वहीं पंचम भाव में उच्च के बुध (आरूढ़ लग्न से द्वितीयेश) ने इन्हें वाणी में विशिष्टता प्रदान की है तथा केंद्र में पाप ग्रहों के प्रभाव ने इनकी छवि को विवादित भी बनाकर रखा है।

2) नरेंद्र मोदी

वृश्चिक लग्न में जन्मे नरेंद्र मोदी जी की पत्रिका का आरूढ़ लग्न सिंह आता है जिसके केंद्र में शुभ ग्रह होने से मोदी विश्वस्तर पर प्रसिद्ध हैं। आरूढ़ लग्न से दूसरे भाव में स्थित उच्च के बुध ने इन्हें जबर्दस्त वक्ता बनाया है। वहीं इस लग्न से सप्तम भाव में शनि व मंगल के प्रभाव ने इन्हें विवाह सुख से वंचित रखा है।

3) लता मंगेशकर

वृष लग्न की इनकी पत्रिका में आरूढ़ लग्न सिंह बनता है जिसमें इनकी पत्रिका का लग्नेश शुक्र स्थित है जो आरूढ़ लग्न का तृतीयेश-कर्मेश बनकर इनके अपने शौक (गायन) का ही व्यवसाय करना निश्चित कर रहा है। इसी आरूढ़ लग्न के दूसरे भाव में उच्च का बुध इन्हें वाणी द्वारा धन प्राप्ति दर्शा रहा है। आरूढ़ लग्न के लग्नेश (सूर्य),पंचमेश (गुरु) व नवमेश (मंगल) का संबंध राजयोग के साथ-साथ विश्वप्रसिद्ध होने का योग भी बना रहा है।

4) राजीव गांधी

सिंह लग्न का आरूढ़ लग्न वृष लग्न बना जिससे केंद्र में सभी शुभ ग्रहों ने जहां इन्हें प्रसिद्ध, धनी व ताकतवर बनाया है वहीं आरूढ़ लग्न स्वामी शुक्र के जन्म लग्न में सात्विक ग्रहों के संग होने से समाज में इनकी साफ-सुथरी छवि भी हुई।

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5) ओशो

वृष लग्न में जन्मे इस जातक का आरूढ़ लग्न कर्क आता है जहां उच्च का गुरु (नवमेश) वक्री अवस्था में स्थित है जिस कारण जातक धर्म अथवा अध्यात्म को एक अलग ही दृष्टिकोण से देखता था। त्रिकोण में स्थित पाप ग्रहों ने जातक को जहां लीक से हटकर चलने की प्रेरणा दी वहीं छठे भाव में लग्नेश चन्द्र व अधिक ग्रहों के प्रभाव ने जातक को हमेशा विवादों में ही रखा, यह पत्रिका ओशो की है।

6) रतन टाटा

धनु लग्न में जन्मे श्री टाटा का आरूढ़ लग्न कुम्भ आता है जिसके एकादश भाव में बहुत से ग्रहों का प्रभाव जातक के बहुत से आय के स्रोत होने की पुष्टि कर रहे हैं। वहीं लग्नेश का दूसरे भाव में होकर एकादश को देखना जातक के धनी होने के जबर्दस्त योग बना रहे हैं। केंद्र में पाप ग्रहों के प्रभाव ने इन्हें अपने क्षेत्र में विवाद भी प्रदान किए हैं।

7) जातक

वृश्चिक लग्न में जन्मे इस जातक का आरूढ़ लग्न सिंह आता है। केंद्र में पाप ग्रहों के प्रभाव व लग्नेश का छठे भाव में होना जातक को विवादित बना रहा है। जातक अपने क्षेत्र में विवादित भी है वहीं एकादश भाव में कई ग्रहों के प्रभाव ने जातक को एक से ज्यादा आय के स्रोत प्रदान किए हैं।