रामनवमी 2019 - रामनवमी पर्व तिथि व मुहूर्त
By: Future Point | 11-Apr-2019
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रामनवमी राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम की स्मृति को समर्पित है। उन्हें 'मर्यादा पुरुषोत्तम' के रूप में जाना जाता है और वे धार्मिकता के प्रतीक हैं। यह त्यौहार राम के जन्म के नौवें दिन शुक्ल पक्ष (अमावस्या के बाद नवमी तिथि ) में आता है, यह तिथि सामान्यत: अप्रैल के महीने में आती है। वास्तव में रामनवमी भगवान राम के जन्म उत्सव का पर्व है। चैत्र शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को रामनवमी के नाम से जाना जाता है।
रामनवमी पर्व के साथ ही वासंतिक नवरात्र भी समाप्त हो जाते है। भगवान राम का जन्मउत्सव बहुत धूमधाम से श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। भगवान राम के मंदिरों को खास तौर से सजाया जाता है। धर्म कर्म क्रियाएं, पूजा-पाठ और दान-पुण्य कार्य किए जाते है। पवित्र नदियों में भी इस दिन स्नान कार्य करने कर पुण्य अर्जित किया जाता है। अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस दिन भक्त व्रत कर, विधि-विधान से पूजन करते है।
इस दिन व्रत का पालन करने वाले भक्त प्रात: काल में नित्यक्रम से निवॄत होकर, व्रत का संकल्प लेते हैं। भगवान राम की प्रतिमा को स्नान आदि कराकर कर विशेष रुप से सजाया जाता है। फूल-माला, चंद्न, कुमकुम का तिलक लगाया जाता है और मिष्ठान का भोग लगाकर, घी का दीपक जलाया जाता है। सायंकाल में ब्रह्माणों को भोजन भी कराया जाता है। भगवान राम के भजनों की संध्याएं की जाती है। बड़े पैमाने पर अन्न, प्रसाद और भोजन का वितरण किया जाता है। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या, रामनवमी उत्सव के महान उत्सवों का केंद्र बिंदु है। रथयात्राएँ या राम, उनकी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान के रथ जुलूस कई मंदिरों से निकाले जाते हैं।
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भगवान राम के जीवन का अनुसरण करने हेतु उनके जीवन चरित्र की गाथों का श्रवण किया जाता है। पुर्षोत्तम भगवान राम का संपूर्ण जीवन सभी के लिए आदर्श रहा है, उनके जीवन के आदर्शों का पालन कर व्यक्ति जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त कर सकता है। आज के आधुनिक युग में उनके जीवन आदर्शों का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। इसी के साथ ही रामनवमी पर्व का महत्व भी बढ़ गया है। भारतीय संस्कार और संस्कृति को बचाए रखने में भगवान राम के जीवन आदर्श बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। विष्णु अवतार भगवान राम का जन्म धरा पर जीवन के आदर्श निर्धारित करना था। उनके जन्म में कल्याण, वचन पालन, माता-पिता की सेवा के रुप में समाज में आदर्श बनाना है।
राज्य एक सुचारु संचालन के लिए भगवान राम का जीवन एक उत्तम उदाहरण है। भगवान राम ने समाज में ऊंचे जीवन चरित्र की स्थापना की। जाति, वर्ग और अमीर-गरीब के भेद से ऊपर उठकर, राज्य के लिए कार्य किया। एक ओर उन्होंने रावण से युद्ध किया, तो दूसरी ओर सुग्रीव से मित्रता भी निभाई, तो शबरी के बेर खाकर भक्ति का पाठ भी पढ़ाया। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन रामभक्त तुलसीदास जी ने रामचरित मानस रचना का लेखन कार्य का प्रारम्भ किया था। भगवान राम को उनके समृद्ध और धार्मिक शासन के लिए याद किया जाता है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार या पुनर्जन्म माना जाता है, जो मानव रूप में अजेय रावण (राक्षस राजा) से युद्ध करने के लिए पृथ्वी पर आए थे। रामराज्य (राम का शासनकाल) शांति और समृद्धि के काल का पर्याय बन गया था।
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आईये आगे बढ़ने से पूर्व हम भगवान राम के जीवन की कथा को जान लेते है-
त्रेतायुग में अयोध्या राज्य में राजा दशरथ आदर्श राजा के नाम से जाने जाते थे। राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति की कामना से एक के बाद एक तीन विवाह किए परन्तु इन्हें फिर भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई। संतान की कामना पूरी न होने पर इन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ के माध्यम से चार पुत्र संतान प्राप्त हुए। पौराणिक धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान राम राजा दशरथ के चार पुत्रों में से सबसे बड़े पुत्र थे। राजा दशरथ के अन्य तीन पुत्र लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन थे। कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने ही त्रेतायुग में भगवान राम के रुप में भूमि पर जन्म लिया था। अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान राम इस धरा पा आए। उनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि के दिन हुआ था। उस दिन से यह दिन भगवान राम के जन्म उत्सव के रुप में मनाया जाता है।
राक्षसों के अत्याचार से भूमि को मुक्त करने के उद्देश्य से भगवान राम ने राजा दशरथ के घर जन्म लिया। अपने पिता के द्वारा दिए गए वचनों को निभाने के लिए भगवान राम 14 वर्षों के लिए वनवास भी गए। वहां भगवान राम की अर्धांगिनी देवी सीता का हरण राक्षस राज रावण ने कर लिया। रावण से अपनी पत्नी को मुक्त कराने के लिए भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण, हनुमान जी और वानरों की सेना के सहयोग से लंका पर आक्रमण किया और युद्ध में विजयी होकर, देवी सीता को रावण की कैद से मुक्त कराया। अपने आदर्शित जीवन के लिए उन्हें रघुकुल नंदन के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष रामनवमी तिथि 14 अप्रैल 2019 को विशेष धूमधाम से मनाई जाएगी।
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ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव
कुंडली विशेषज्ञ और प्रश्न शास्त्री
ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है. कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं। आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिका फ्यूचर समाचार में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं। जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋणऔर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा,विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।