2019 माँ काली जयंती विशेष- महत्व, कथा एवं पूजा विधि। | Future Point

2019 माँ काली जयंती विशेष- महत्व, कथा एवं पूजा विधि।

By: Future Point | 13-Aug-2019
Views : 73292019 माँ काली जयंती विशेष- महत्व, कथा एवं पूजा विधि।

दस महाविद्याओं में प्रथम मां महाकाली इनका जन्म मधु और कैटभ के नाश के लिए हुआ था, तांत्रिक मतानुसार आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन ‘काली जयंती’ बताई गई है, परन्तु श्रद्धालुजन जन्माष्टमी की रात को ही आद्या महाकाली जयंती मनाते हैं. इस वर्ष महाकाली जयंती 23 अगस्त 2019 के दिन मनाई जाएगी. मधु और कैटभ के नाश के लिये ब्रह्मा जी के प्रार्थना करने पर देवी जगजननी ने महाविद्या काली मोहिनी शक्ति के रूप में प्रकट होती हैं. महामाया भगवान श्री हरि के नेत्र, मुख, नासिका और बाहु आदि से निकल कर ब्रह्मा जी के सामने आ जाती हैं इसी शुभ दिवस को महाकाली जयंती के रुप में मनाया जाता है. महाकाली जी दुष्टों के संहार के लिए प्रकट होती हैं तथा दैत्यों का संहार करती हैं.

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माँ महाकाली जयंती महत्व-

महाकाली जयंती के अवसर पर महाकाली शतनाम धारा पाठ व हवन का आयोजन किया जाता है. जिसमें सभी श्रद्धालु बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. महाकाली मां की उपासना करने से उनकी कृपा भक्तों पर सहज हो जाती है. मां कृपालु हैं इनकी शरण में आने वाला कोई खाली हाथ नहीं जाता. महाकाली जयंती के अवसर पर कहीं कहीं सुन्दर काण्ड के पाठ का भी आयोजन किया जाता है. महाकाली जयंती के अवसर पर श्री महाकाली मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. भक्त महाकाली जयंती श्रद्धा के साथ मनाते हैं. सैकड़ों श्रद्धालु मां के दरबार में माथा टेकते हैं मंदिरों में यज्ञ एवं भंडारों का आयोजन किया जाता है.

माँ महाकाली जयंती कथा-

दस महाविद्याओं में सर्वप्रथम एवं समस्त देवताओं द्वारा पूजनीय भगवती महाकाली अनंत सिद्धियों को प्रदान करने वाली है, यूं तो इन्हें आद्या तथा साक्षात प्रकृति ही कहा जाता है परन्तु कालिकापुराण में महाकाली से जुड़ी एक कथा के अनुसार महामाया को ही मां काली बताया गया है, कथा कुछ इस प्रकार है कि एक बार हिमालय पर मतंग मुनि के आश्रम में जाकर देवों ने महामाया की स्तुति की, स्तुति से प्रसन्न होकर मतंग-वनिता के रूप में भगवती ने देवताओं को दर्शन दिए और पूछा, “तुम लोग किसकी स्तुति कर रहे हो?” उसी समय देवी के शरीर से काले पर्वत के समान वर्ण वाली एक और दिव्य नारी का प्राकट्य हुआ। उस महातेजस्विनी ने स्वयं ही देवों की ओर से उत्तर दिया,”ये लोग मेरा ही स्तवन कर रहे हैं, वे काजल के समान कृष्णा थीं, इसीलिए उनका नाम काली पड़ा।

Dasha Mahavidya Puja is performed in strict accordance with all Vedic rules & rituals.

माँ महाकाली का स्वरूप-

मां काली के चार हाथ हैं, एक हाथ में तलवार, एक हाथ में राक्षस का सिर और बाकी दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए है, मां के पास कान की बाली के लिए दो मृत सिर हैं, गर्दन में 52 खोपड़ी का एक हार, और दानव के हाथों से बना वस्त्र है उनकी जीभ मुंह से बाहर रहती है, उनकी आंखे लाल रहती हैं। उनके चेहरे और स्तनों पर खून लगा रहता है।

मां महाकाली का ध्यान मंत्र -

  • खड्गं चक्रगदेषुचाप-परिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्ग-भूषावृताम्।
    नीलाश्मद्युतिमास्य-पाददशकां सेवे महाकालिकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम्॥
  • अर्थात् भगवान् विष्णु के सो जाने पर मधु-कैटभ को मारने के लिये कमलजन्मा ब्रह्माजी ने जिनका स्तवन किया था, उन महाकाली देवी का मैं सेवन (स्मरण) करता हूँ, वे अपने दस हाथों में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, शूल, भुशुण्डि, मस्तक और शंख धारण करती हैं, उनके तीन नेत्र हैं और वे समस्त अंगों में दिव्य आभूषणों से विभूषित हैं तथा उनके शरीर की कान्ति नीलमणि के समान है और वे दस मुख एवं दस पैरों से युक्त हैं।

माँ महाकाली जयंती पर इन मंत्रों से करें मां का पूजन-

  • भगवान शिव जी की ही भांति मां काली भी सरल ह्रदय वाली है और जल्दी ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाती है, इनकी प्रसन्नता पाने के लिए कई मंत्र बताए गए हैं।
  • उन मंत्रों में तंत्र-मंत्र का पूरा विधि-विधान करना होता है, साथ ही गुरु की देखरेख में करना आवश्यक होता है।
  • परन्तु शास्त्रों में कुछ ऐसे भी मंत्र हैं जिनमें किसी भारी-भरकम विधान की आवश्यकता नहीं है, केवल उन मंत्रों के जाप से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है, मंत्र इस प्रकार हैः
  • काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी सर्वानन्द प्रदे देवि नारायणि नमोस्तुते
  • इसके अतिरिक्त आप काली गायत्री मंत्र का भी जाप कर सकते हैं, यह निम्न प्रकार है
  • कालिकायै च विद्महे श्मशानवासिन्यै धीमहि तन्नो अघोरा प्रचोदयात्

मां महाकाली की पूजा विधि-

  • मां काली की पूजा के लिए मां की तस्वीर या प्रतिमा को स्वच्छ आसन पर स्थापित करना चाहिए।
  • इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं तथा पुष्प आदि अर्पण करें।
  • उपरोक्त मंत्रों में से कोई भी एक मंत्र चुन लें तथा लाल कंबल के आसन पर बैठकर उपर दिए गए मंत्रों का पूरी निष्ठा के साथ 108 बार जप करें।
  • जप के बाद अपनी सामर्थ्य अनुसार मां को भोग चढ़ाएं तथा उनसे अपनी इच्छा पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
  • आप इस प्रयोग को अपनी मनोकामना पूरी होने तक जारी रखें।
  • परन्तु यदि आप किसी विशेष या कठिन लक्ष्य को ध्यान में रखकर उपासना करना चाहते हैं कि यदि योग्य व्यक्ति को गुरु स्वीकार कर उनके निर्देशन में सवा लाख, ढाई लाख अथवा पांच लाख मंत्र का जप आरंभ कर सकते हैं।