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हस्तरेखा विशेषज्ञ का कार्य एक डाॅक्टर जैसा होता है। डाॅक्टर दवाई देकर शरीर का रोग दूर करता है, हस्तरेखा विशेषज्ञ को मन की चिकित्सा करनी होती है, जो शरीर की चिकित्सा से कठिन है।
परमात्मा ने मानव-शरीर में कोई भी चीज़ व्यर्थ नहीं बनाई है। प्रत्येक अंग का कोई उपयोग है, प्रयोजन है। हाथ की रेखाएं भी जीवन की घटनाओं को बताने के लिए बनाई गई हैं। इसलिए फिंगर प्रिंट तो कभी नहीं बदलते हैं किंतु हस्तरेखाएं बदलती रहती हैं। शास्त्रों में भी लिखा है कि सुबह उठकर सर्वप्रथम अपनी हथेली का दर्शन करना चाहिए। पामिस्ट्री एक विज्ञान, एक कला, एक दैवीय ज्ञान है जिसकी मदद से व्यक्ति के जीवन की पथ-यात्रा को समझा और बताया जा सकता है।
हस्तरेखा विज्ञान भारतीय समाज और परिवेश में तो युगों पहले से ही प्रचलित है। माना जाता है कि समुद्र ऋषि ऐसे पहले भारतीय ऋषि थे, जिन्होंने क्रमबद्ध रूप से ज्योतिष विज्ञान की रचना की। अतः ज्योतिष शास्त्र या हस्तरेखा विज्ञान को सामुद्रिक शास्त्र भी कहा गया।