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अक्सर यह प्रश्न उठता है कि ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता क्या है? क्या उपाय से ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है? इसका जवाब यह है कि यदि किसी को यह पता हो कि आज बारिश होने वाली है तो वह घर से छाता लेकर निकलता है। वह आनेवाली बारिश को नहीं रोक सकता लेकिन अपना कुछ बचाव छाते से कर सकता है। उसी प्रकार जब हमें ज्योतिषीय ज्ञान द्वारा यह पता लगता है कि हमारा आने वाला समय अच्छा नहीं है तो हम तंत्र, मंत्र, यंत्र, रत्न या पूजा-पाठ द्वारा ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने की कोशिश करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में यह प्रमाण मिलता है कि मानव जीवन में तीन प्रकार के दुःख होते हैं:- शारीरिक, भौतिक और आत्मिक। इन सभी व्यवधानों के नियंता नवग्रह माने गए हैं। इन ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ही प्रस्तुत पुस्तक में उपायों के विभिन्न तरीकों का वर्णन किया गया है। ग्रहों की पूजा, यंत्र, मंत्र और रत्न तथा तंत्र, रुद्राक्ष के अतिरिक्त शनि की साढ़ेसाती के उपाय, कालसर्प योग के उपाय, ग्रहों से संबंधित देवताओं की पूजा आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।