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ग्रहों के गोचर एवं भावफलों को समझने के लिए पाराशर पद्धति से भी प्रभावशाली पद्धति अष्टकवर्ग पद्धति को माना जाता है क्योंकि अष्टकवर्ग में रेखा एवं बिंदु की सहायता से तुलनात्मक अध्ययन सहज और सरल हो जाता है। अष्टकवर्ग में सर्वाष्टकवर्ग कुंडली ऐसी कुंडली है जिसके द्वारा जातक के जीवन के सभी पहलुओं का तुलनात्मक एवं सटीक भविष्यफल करना बहुत ही आसान एवं सरल है।
गोचर को देखने के लिए पाराशर पद्धति में वेध और विपरीत वेध का विचार करना पड़ता है इसलिए किसी भी ग्रह का गोचरफल करने में कठिनाई का अनुभव होता है। परंतु अष्टकवर्ग में प्राप्त रेखा या बिंदुओं के आधार पर गोचरफल करना अत्यंत सहज है।
प्राचीन ऋषियों ने होरा शास्त्र के अन्तर्गत सूर्य से शनि तक के ग्रहों की शुभता अशुभता ज्ञात करने की एक ऐसी पद्धति का अविष्कार किया जिसके द्वारा यह जाना जा सके कि किस ग्रह की शुभ या अशुभ फल प्रदान करने की क्या क्षमता है। इस हेतु उन्होने रेखा एवं बिन्दु प्रदान करने की एक ऐसी पद्धति को खोज निकाला जिसे आज अष्टक वर्ग पद्धति कहा जाता है। इस पद्धति के द्वारा मनुष्य के कर्मों का शुभ या अशुभ फल आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।