योगी जी या यूपी के ग्रह नक्षत्र - यूपी विकास का श्रेय किसे? ज्योतिषीय विश्लेषण | Future Point

योगी जी या यूपी के ग्रह नक्षत्र - यूपी विकास का श्रेय किसे? ज्योतिषीय विश्लेषण

By: Acharya Rekha Kalpdev | 04-Jan-2024
Views : 2427योगी जी या यूपी के ग्रह नक्षत्र - यूपी विकास का श्रेय किसे? ज्योतिषीय विश्लेषण

19 मार्च 2017 से आदित्यनाथ योगी जी के हाथ उत्तर प्रदेश राज्य की बागडोर आई है, तब से उत्तर प्रदेश राज्य की रूपरेखा पूरी तरह बदल गई है।  पिछले 7 साल में उत्तर प्रदेश राज्य की विकास यात्रा ने सभी को हैरान कर दिया है। पूरे भारत में सबसे अधिक विकास करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश बन गया है। उत्तर प्रदेश इससे पहले धार्मिक दंगों और गुंडागर्दी के लिए जाना जाता था। अराजकता और दबंगाई इस हद तक थी कि आसपास के राज्यों से लोग उत्तर प्रदेश जाने में डरते थे। बहन-बेटियों की स्थिति दयनीय थी,  उत्तर प्रदेश में धार्मिक दंगे आम बात थी। परन्तु योगी आदित्यनाथ जी के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही राज्य की तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है।

आज उत्तर प्रदेश अपने निरंतर विकास, रोजगार,  सामंजस्य और सौहार्द के लिए जाना जाने लगा है। उत्तर प्रदेश बड़े-बड़े व्यापारियों को उत्तर प्रदेश में बिज़नेस यूनिट लगाने के लिए आमंत्रित किया गया, एक रिकॉर्ड संख्या के साथ देश विदेश के व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश में विनियोजन करना उचित समझा, धरातल  पर विकास की बात हो, या सामूहिक विकास की बात हो, सब में उत्तर प्रदेश अव्वल आ रहा है। अपराध और पिछड़ेपन के अंधकार से बाहर निकल कर आज उत्तर प्रदेश में सुशासन और उन्नति का सूर्य उदित हो चूका है। हर जिले का अलग से विकास भी हो रहा है और सामूहिक रूप से प्रदेश का विकास भी हो रहा है।  इस प्रकार उत्तर प्रदेश की उन्नति पूरे विश्व में चर्चा का विषय हो गई है। हमारे पडोसी देश पाकिस्तान की जनता तक योगी आदित्यनाथ जी और उत्तर प्रदेश के विकास की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रही है।

उत्तर प्रदेश राम मंदिर, काशी विवाद (ज्ञानवापी मंदिर), और कृष्ण जन्म भूमि विवाद

अपने विकास के अलावा उत्तर प्रदेश पिछले 9 नवम्बर 2019 राम जन्म भूमि विवाद को लेकर भी सुर्खियों में है। इस दिन ऐतिहासिक फैसला कोर्ट की और से सामने आया और राम जन्म भूमि विवाद का एक सुखद अंत हो गया है। 497 वर्षों से सभी सनातनियों की नजरे, उत्तर प्रदेश की और लगी हुई है। यहाँ न केवल अयोध्या जी में राम मंदिर निर्माण का मामला रुका था, अपितु ज्ञानवापी और कृष्ण जन्म भूमि विवाद के   हल के लिए भी सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं। धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों का केंद्र भी उत्तर प्रदेश बना हुआ है। अयोध्या जी में राम मंदिर मामले में विजय प्राप्त होने के बाद राम जी का भव्य, दिव्य मंदिर बनकर तैयार है, जहाँ राम लल्ला जी विराजित होने वाले है। देश के एक ही राज्य में तीन-तीन महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद यहाँ चल रहा है, फिर भी उत्तर प्रदेश में शांति और सौहार्द देखते ही बनता है। धार्मिक स्थलों को लेकर यही विवाद अगर देश के किसी अन्य राज्य में होता तो अब तक बवाल, दंगे और अराजकता फ़ैल चुकी होती, परन्तु  उत्तर प्रदेश की शासन, प्रशासन व्यवस्था चाक चौबंद होने के कारण सब और शान्ति और विकास है। यही एक विकाशसील राज्य की पहचान है।

तीन-तीन प्रमुख धार्मिक स्थलों के विवादों का सामना कर रहे, उत्तर प्रदेश में ऐसी क्या ख़ास बात है कि राज्य का चहुंमुखी विकास हो रहा है? क्या यह राज्य कि ग्रह दशा का प्रभाव है या राज्य के मुख्यमंत्री के ग्रह योग शुभ रूप में फल देकर, उन्नति और विकास के दरवाजे खोल रहे है?  उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की कुंडली का अध्ययन कर देखते है कि इस विकास के पीछे किस के ग्रह, नक्षत्र काम कर रहे हैं- आइये देखें

सबसे पहले उत्तर प्रदेश राज्य की कुंडली का अध्ययन करते हैं –

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उत्तर प्रदेश राज्य की कुंडली

उत्तर प्रदेश राज्य की स्थापना 24 जनवरी 1950 को हुई। 24 जनवरी 1950 के विवरण के साथ कुंडली बनाने पर हम पाते है कि उत्तर प्रदेश राज्य कि जन्म राशि मीन है। जन्मराशि से शनि बारहवें गोचर करे, तो शनि की साढ़ेसाती प्रभावी हो जाती है। शनि 28 अप्रैल 2022 से कुम्भ राशि में गोचर कर रहे हैं, कुम्भ राशि, जन्म राशि से बारहवें भाव की राशि है, इस प्रकार अप्रैल 2022 से उत्तर प्रदेश राज्य की कुंडली पर शनि कि साढ़ेसाती प्रभावी है।

जन्म शनि सिंह राशि में स्थित है और जन्म चंद्र से छठवें है। इस समय शनि जन्म शनि से सातवें गोचर कर रहे हैं। ज्योतिष शास्त्रों में यह माना जाता है की शनि साढ़ेसाती की अवधि में तनाव, भागदौड़ चरम पर होती है। परन्तु यही वह समय काल होता है जब कर्मदाता शनि दिल खोलकर देते है, बशर्ते आपकी नियत शुद्ध हो। आप अपने कर्म का निर्वाह करते हुए, स्वार्थी न हुए हों। योगी जी एक महंत है, व्यक्तिगत स्वार्थ और व्यक्तिगत विकास से कोसों दूर है। अपने परिवार का भला करना या अपना भला करने की भावना से मुक्त होकर कर्मठता, ईमानदारी और शुद्ध नियत से काम कर रहे हैं। बिना किसी जाति और धार्मिक भेदभाव के, परिणाम आज उत्तर प्रदेश चमक रहा है। विरोधियों कि आँखों में किरचन बनकर चुभ रहा है। उत्तर प्रदेश की कुंडली में आंशिक कालसर्पयोग बना हुआ है। राहु-चंद्र के साथ है और अंशों में निकटम है। राहु से केतु के मध्य आठ ग्रह है और शनि कालसर्पयोग अर्द्धचक्र से बाहर है। कुंडली में सूर्य और शनि में राशिपरिवर्तन योग बन रहा है, षष्ठेश सूर्य की राशि में शनि स्थित है और शनि की मकर राशि में सूर्य स्थित है। इस योग के परिणाम से यह कहा जा सकता है की उत्तर प्रदेश कि उन्नति में उसके विरोधियों, उसके शत्रुओं का योगदान भी कम नहीं है, उनकी चुनौतियों को स्वीकार कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री विकास अजेंडा तैयार करते है, विरोधी दलों की किसी भी बात, कटाक्ष को योगी जी हल्के में नहीं लेते है। उनकी चुनौतियों के विपरीत जाकर काम कर के दिखाते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य जनसंख्या के पक्ष से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। इतनी बड़ी जनसंख्या का एक साथ विकास करना सहज नहीं है, परन्तु योगी जी को चुनौतियाँ सदैव से काम करने के लिए प्रेरित करती रही है, और कर रही है। परिणाम आज विरोधी खामोश होकर बैठे है, और शत्रु भी उनके काम कि वाहवाही कर रहे हैं। 

कुंडली की एक अन्य विशेषता है कि कुंडली में गुरु मकर राशि में स्थित है, मकर राशि में देव गुरु बृहस्पति जी की उपस्थिति उन्हें नीचस्थ राशि बना रही है। वह भी चंद्र से एकादश भाव में नीच के गुरु बहुत शुभ नहीं कहे गए है। कुंडली में सूर्य कि स्थिति से राज्य कि बागडोर के स्वामी कि स्थिति का विचार किया जाता है, कुंडली में सूर्य गुरु और शुक्र दो शुभ ग्रहों के साथ युति सम्बन्ध में हैं। एकादश भाव में स्थित सूर्य, गुरु और शुक्र तीनों ग्रहों पर केतु की पंचम दृष्टि है, केतु के प्रभाव से एक महंत के हाथ में राज्य की बागडोर हैं। जिसे वो बाखूबी ईमानदारी से निभा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य की कुंडली पर शनि कि साढ़ेसाती अप्रैल 2030 तक रहने वाली है। तक तक उत्तर प्रदेश की विकास कि ट्रैन सुपरफास्ट ट्रेक में दौड़ती रहेगी। 

आइये अब उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की कुंडली का अध्ययन करते हैं। 

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उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की कुंडली

योगी जी का जन्म 05 जून 1972 पौड़ी गढ़वाल में हुआ। योगी जी के जन्म विवरण के अनुसार कुंडली बनाने पर हम पाते है कि योगी जी कि जन्म राशि कुम्भ है। इनकी कुंडली में भी आंशिक कालसर्प योग बना हुआ है, उत्तर प्रदेश कि कुंडली में बन रहे कालसर्पयोग से शनि बाहर थे, इनकी कुंडली में बन रहे कालसर्प योग से गुरु बाहर है। इनकी कुंडली में बुध और शुक्र में राशि परिवर्तन योग बन रहा है। जन्म राशि से शुक्र चतुर्थेश है और पंचम भाव में स्थित है। बुध पंचमेश है और चौथे भाव में स्थित है। गुरु धनु राशि स्वराशि के होकर एकादश भाव में स्थित है, दोनों ही कुंडलियों में गुरु-चंद्र से एकादश भाव में स्थित है, यहाँ धनु राशि के है और उत्तर प्रदेश कि कुंडली में गुरु नीचस्थ है। शनि की तीसरी दृष्टि शत्रु भाव पर है, इसलिए ये शत्रुओं को शांत रखने में सफल रहते है।

कुम्भ राशि सेवा और दूसरों के कल्याण के लिए जानी जाती है, योगी जी की कुंडली में शनि चौथे भाव, जिसे आमजन का भाव कहा जाता है, में विराजमान है, चौथे का शनि जातक को आमजन के हृदय में विशेष स्थान दिलाता है। योगी जी आज प्रत्येक सनातनी के हृदय सम्राट है। उत्तर प्रदेश राज्य की कुंडली कि तरह ही इनकी जन्म राशि पर भी शनि कि साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य पर साढ़ेसाती का प्रथम चरण प्रभावी है तो योगी जी की कुंडली पर साढ़ेसाती का द्वितीय चरण प्रभावी है। कर्मक्षेत्र, करियर और विकास के पक्ष से शनि साढ़ेसाती सदैव शुभ और लाभकारी फल देने वाली कही गई है। शनि इस समय इनकी जन्म राशि पर ही गोचर कर रहे हैं। गुरु मेष राशि में गोचर करने के कारण इनकी जन्म राशि से तृतीय भाव पर गोचर कर भाग्य, विदेश, और आय सभी को शुभता प्रदान कर रहे हैं। विदेशों से धन विनियोजन आना इस बात का सूचक रहा है कि विदेश से आय के साधनों में वृद्धि होगी। जो की हो रही है। 

इस प्रकार योगी जी कि कुंडली में सफलता और उन्नति के बहुत सुंदर योग बने हुए है, जिनके परिणाम स्वरुप उत्तर प्रदेश राज्य विकास कर रहा है और वहां कि जनता सुखी है। 

उत्तर प्रदेश राज्य की कुंडली और उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की कुंडली एक दूसरे की पूरक कुंडलियां है, क्योंकि एक कुंडली के योग दूसरी कुंडली में भी बने हुए है। दोनों कुंडलियों पर ही शनि की साढ़ेसाती प्रभावी है, अत: राज्य और राज्य के मुख्यमंत्री दोनों का समय उन्नति का बना हुआ है। पर तनाव भी दोनों का पीछा नहीं छोड़ेगा, सावधानी, सतर्कता के साथ काम करना होगा, विरोधी पक्ष इनकी छवि को खराब करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी प्रकार की नीतियां अपना सकता है। शत्रु विश्वास के योग्य नहीं है, क्योंकि गोचर में राहु इनके द्वितीय भाव पर है और राहु की पंचम दृष्टि शत्रु भाव पर हैं, शत्रुओं के मन में कुटिलता और साजिश दोनों इस समय बनी हुई है।