नवरात्र में क्या करें की मां की कृपा प्राप्त हो जाये? नवरात्रि में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
By: Acharya Rekha Kalpdev | 09-Apr-2024
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नवरात्री मां दुर्गा को प्रसन्न करने का पर्व है, उत्सव है, नौ दिन की साधना, आराधना है। नवरात्री के नौ पूजा, जप, तप और मंत्र सिद्ध और जागरण करने का विधि विधान है। मां इस संसार, इस सृष्टि की जननी है। इस सृष्टि में जो भी ऊर्जा दृष्ट है वह सभी मां दुर्गा के प्रताप से ही है। कोई भी बच्चा अपनी मां को कैसे प्रसन्न कर सकता है। मां को स्नेह से मां कहकर हम अपनी मां को प्रसन्न कर सकते है। एक निर्मल और निस्वार्थ बालक की तरह अपनी मां से स्नेह कर उसका मां कर हम दुर्गा मां को प्रसन्न कर सकते है। जब कोई बच्चा अपनी मां को स्नेह से बुलाता है, मां का उच्चारण करता है, तो मां उस बालक को अपनी गोद में बिठा लेती है। उसे दुलारती है, उसकी कामना पूरी करती है। इस संसार में दिव्य, भाग्य और जागृत शक्ति का नाम मां दुर्गा है। हम सब के मन और सारी प्रकृति में एक चेतना जो काम करती है, उसका नाम मां दुर्गा है।
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मां दुर्गा आदि शक्ति है, इस संसार की जननी है, सृजनकर्ता है, ऊर्जा और इस प्रकृति का सौंदर्य है। पक्षियों में उनकी चहचहाट है, इंद्रधनुष के रंग है, फूलों में उनकी खुशबू है, सूर्य में किरण है, चंद्र में चांदनी है, जल में नमी है, वायु में प्राण है, अग्नि में तेज है, पृथ्वी में धारीयता है, गगन में विशालता है। जहाँ देखो वहां शक्ति है, मां है, दुर्गा है, देवी है। नवरात्री के नौ दिन मां अलग अलग रूपों में दर्शन देकर, भक्तों का कल्याण करती है, मां करुणामयी है, पर दुष्टों का, राक्षसों का संहार भी करती है। नवरात्रि के नौ रूप है, पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंध माता, छठा कात्यायिनी, सातवां कालरात्रि, आठवाँ महागौरी और नवां सिद्धिदात्री। इस प्रकार मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना नवरात्रि में की जाती है।
मां दुर्गा के नाम | Name of Maa Durga
देवी दुर्गा के अनेक नाम है, नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के १०८ नाम का जाप करने से माता प्रसन्न होती है। इन ९ दिनों में आप उन्हें जिस भी नाम से पुकारेंगे, मां दौड़ी चली आएँगी। आप उन्हें - सती कहें, या साध्वी, भवप्रीता कहें या भवानी, भवमोचनी से सम्बोधित करें या आर्या, दुर्गा नाम भी उनको प्यारा, जया कहो या आद्या कहो, एक नाम त्रिनेत्रा उनका, मां शूलधारिणी मां पिनाकधारिणी, माता चित्रा, माता चंद्रघंटा, मां का नाम ही महातपा, मां मन, मां बुद्धि, मां अहंकारा, मां चित्तरूपा, मां चिता, मां चिति, मां ही सर्वमंत्रमयी, मां सत्ता, मां सत्यानंदस्वरुपिणी, मां अनंता, मां भाविनी, मां भव्या, मां अभव्या, मां सदागति, मां शाम्भवी, मां देवमाता, मां चिंता, मां रत्नप्रिया, मां सर्वविद्या, मां दक्षकन्या मां की शक्तियों की तरह ही मां के नाम भी अनंत है। कोई इन्हें शेरोवाली कहता, कोई कहता इन्हें शैलपुत्री, कोई कहे स्कंदमाता, कोई उमा महागौरी, महाकाली भी नाम हैं इनका। भवानी, अम्बिका, शिवानी, महादेवी, गणेश जननी है प्रमुख नाम। जो नाम सबसे अधिक प्रचलित है वह पार्वती है।
मां जगदम्बा हैं, अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखती है, उनके कष्ट हरति है, उनके दुःख दूर करती है, अपने बच्चों की रक्षक है, और दोषों की विनाशक है। जब बच्चों को भूख लगाती है तो मां अन्नपूर्णा बन बच्चों को भोजन देती है, उनका पोषण करती है। देवी शीतला भी देवी दुर्गा का ही एक स्वरुप है। देवी सती ने जब प्राण त्यागे तो ५२ शक्तिपीठों की स्थापना हुई। मां ने भगवान् शिव को पति स्वरुप में पाने के लिए साधना की और हर जन्म, हर रूप में वो भगवान् शिव की ही अर्धांग्नी बनी। भूतभावन महादेव, भगवान् शिव समाधि से भी देवी सती, देवी दुर्गा, देवी पार्वती जी के लिए ही बाहर आये। भगवान् शिव ने समाधी और वैराग्य का त्याग देवी पार्वती जी के लिए ही किया है। जब भी कोई बालक मां दुगा को मां कहकर बुलाता है तो माता करुणमयी बनाकर दर्शन देती है।
मां को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा, विश्वास और सच्चे स्नेह की आवश्यकता होती है। मां से हमेशा अपनी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थी रहें। नवरात्रि का पर्व मां को प्रसन्न करने का पर्व है। मां की पूजा में सभी देवी देवता, सभी तीर्थ, सभी नदी, नवग्रह, दिक्क्पाल, सभी दिशा पालक, नगर देवता और ग्राम देवता है। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना कर नवरात्रि पूजन शुरू किया जाता है। अपनी मां के प्रति अपने स्नेह को प्रकट करने का उत्तम समय नवरात्र है। चैत्र नवरात्रि के नवम दिन भगवान् राम जी की जन्म जयंती होती है, जिसे हम सब रामनवमी के नाम से जानते है। नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा कवच, दुर्गा चालीसा, और दुर्गा मंत्रों का जाप करना अतिशुभ और शुभफलदायिनी कहा जाता है।
नवरात्रि में साधकों को निम्न कार्यों को करना चाहिए -
नवरात्रि पर्व में खान-पान और रहन-सहन का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। चित्त को शुद्ध रखें। मां आद्या शक्ति की आराधना, भक्ति, भाव, ब्रह्मचर्य का पालन करें, निंदा मिथ्या भाषण से बचना चाहिए। नवरात्रि उपवास के दौरान उपवासक को दूध, दही, सेब, केला, गन्ने का रस, नारियल और पपीता का सेवन करना चाहिए। खट्टे फल देवी पर चढ़ाना नहीं चाहिए। नौ दिन एक निश्चित समय पर देवी की आराधना करनी चाहिए। नवरात्रि के नवम दिन कन्याओं को खीर, हलवा, पूड़ी खिलाना चाहिए। वैसे तो कभी भी तामसिक भोजन सेवन नहीं करना चाहिये। प्याज, लहसुन और मांस मदिरा कभी भी नहीं खाना चाहिए। हमेशा के लिए यह न छोड़ पाए तो कम से कम नौ दिन इन वस्तुओं के सेवन से बचें। घर में मांस मदिरा न लाएं।
नवरात्रि के नवम दिवस जो भोजन कन्याओं को खिलाया जाएँ, उसे प्याज और लहसुन से रहित बनाना चाहिए। मां के पूजन में श्रद्धा और भक्ति सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जो भी करें, श्रद्धा और भक्ति के साथ करें। मां की आराधना करते समय मन में विश्वास और श्रद्धा के अतिरिक्त अन्य कोई भाव हो तो वह भक्ति का भाव हो, बाकि कुछ नहीं होना चाहिए। मां की शक्ति पर किसी भी प्रकार का संदेह और शक नहीं होना चाहिए। किसी स्वार्थ से हमें मां की भक्ति नहीं करनी चाहिए।
मां के पूजा भक्ति भाव से करें, और मन को स्थिर रखकर ही करें। मन जितना अधिक स्थिर होगा, पूजा में उतनी अधिक एकाग्रता रहती है। इस बात का ध्यान रखें की जब मां की आराधना कर रहे हैं तो किसी भी स्त्री का अपमान नहीं करना चाहिए। यदि आप घर या बाहर की स्त्रियों का अपमान करते है और देवी पूजन करते है तो देवी आपसे प्रसन्न नहीं होगी। मां दुर्गा को प्रसन्न करना है तो आपको पहले स्त्रियों का सम्मान करना सीखना होगा। 9 देवी के दर्शन पूजन के दिनों में किसी को भी अपशब्द कहने से बचना चाहिए। किसी की बुराई, आलोचना, क्रोध, लोभ, और लालच जैसे दुर्गुणों को अपने से दूर रखना चाहिए।
- नवरात्रि का पर्व मन्त्र, जाप, सिद्धि, अनुष्ठान और पूजा, आराधना का पर्व है, इस पर्व पर अपने को सात्विक जीवन से जोड़ना चाहिए, जीवन आचरण सात्विक रखना चाहिए। बुरी बातों में इस अवधि में कम से कम मन नहीं लगाना चाहिए।
- नवरात्रि की अवधि में कोई कन्या या जरुरतमंद घर में आये तो उसे कुछ न कुछ उपहार देकर ही भेजना चाहिए। खाली हाथ कन्या को घर से नहीं भेजना चाहिए। इन दिनों में मां कन्या रूप में भ्रमण करती है।
- नवरात्रि के दिनों में अपने सामर्थ्य अनुसार दान, धर्म के कार्य करते रहने चाहिए।
- नवरात्रि के नौ दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए और न ही नाख़ून काटने चाहिए।
- इन दिनों में जहाँ तक संभव हो चमड़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- व्रत, उपवास के दिन साधक को दिन में सोने से बचाना चाहिए। धार्मिक शास्त्रों में दिन में सोना वर्जित कहा गया है।