शिक्षा के क्षेत्र में ज्योतिष विद्या का क्या योगदान है? ज्योतिष क्यों सीखें?
By: Acharya Rekha Kalpdev | 05-Apr-2024
Views : 2461
ज्योतिष विद्या वेदों से जन्मी विद्या है। ज्योतिष विद्या वेदों का छठा अंग है। यह एक वैज्ञानिक शास्त्र है। ज्योतिष विद्या देश, परिवार, समाज के लिए विशेष उपयोगी है। आदि काल से ही ज्योतिष व्यक्ति, परिवार, समाज और देश की सेवा करता रहा है। मनुष्य जीवन यात्रा में कई अवसर ऐसे आते है, जब मनुष्य को समझ नहीं आता है कि वह क्या करें? ऐसे समय में ज्योतिष विद्या एक उपयोगी साधन साबित होती है। किसी भी समाज के उत्थान में एक शिक्षित नागरिक की भूमिका अहम् रहती है। यही वजह है कि प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चे की शिक्षा विषयों के चयन को लेकर चिंतित रहते है। माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिक्षा की किसी एक धारा का चयन करना होता है। छात्र को भी उस समय में बहुत समझ नहीं होती है कि उसके लिए कौन सा विषय भविष्य के लिए उपयुक्त रहेगा। वह दुविधा में रहता है कि किस विषय के चयन में उसकी उन्नति छुपी है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
जैसा कि हमने पूर्व में बताया जी वेद का छठा अंग ज्योतिष है। ज्योतिष को नेत्र का स्थान प्राप्त है, छंद को वेदों का पैर कहा गया है। कल्प हाथ है, निरुक्त कान है, शिक्षा नाक है, व्याकरण मुख है। इन छ अंगों में भी ज्योतिष विद्या को सबसे महत्वपूर्ण अंग का स्थान दिया गया है। जो कार्य हमारे शरीर में नेत्र करते है, वही कार्य वेदों में नेत्र कर रहे हैं। जैसे मोर के सिर पर शिखा होती है, सर्प के सिर पर मणि शोभा देती है। ठीक उसी प्रकार सभी विद्याओं में ज्योतिष विद्या स्थान रखती है। यदि आपके और आपके बच्चे को भी शिक्षा ग्रहण में विषयों के चयन को लेकर कुछ इसी प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है तो आज हम आपकी इस दुविधा का हल लेकर आये है-
शिक्षा विषय चयन में ज्योतिष
वेदों के छह अंग शिक्षा, कल्प यवकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने सबसे पहले नारद जी को ज्योतिष विद्या का ज्ञान प्रदान किया। सिखने के बाद नारद जी ने ज्योतिष विद्या का प्रचार प्रसार सभी लोकों में किया। समय के साथ शिक्षा क्षेत्र व्यापक और विस्तृत हो गया है। आज जहाँ हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता देखने में आ रही है। वहीँ शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। सोलह संस्कारों में से पांचवें संस्कार में भूमि पर पेन, पुस्तक, शास्त्र, वस्त्र, धन, सोना चांदी आदि वस्तु रख कर बालक से उनमें से किसी एक को उठाने के लिए कहा जाता है। इनमें से बालक जिस भी वस्तु को उठाता है, उसी क्षेत्र में बालक का करियर होने का संकेत समझ जाता है। यह प्रक्रिया सोलह संस्कारों से जुडी है, ज्योतिष विद्या इस बारे में क्या कहती है- आइये देखे
Kundli के द्वारा यह जाना जा सकता है कि बालक के लिए कौन से विषय में पढाई करना भविष्य उन्मुख है। किस विषय में शिक्षा पाए कि सफलता मिलेगी, यह जानने में ज्योतिष विद्या बहुत उपयोगी विद्या है।
जन्मकुंडली के ग्रह योगों के आधार पर यह जाना जा सकता है, कि जातक के लिए व्यापार करना उपयोगी रहेगा या नौकरी करना उपयोगी रहेगा। जन्म कुंडली के ग्रह योग यह बताते है कि बालक में खिलाडी बनने की क्षमता है, या संगीतकार बनने कि योग्यता रखता है।
वैदिक ज्योतिष विद्या का यह भी लाभ है कि विद्या अध्ययन कार्य करते समय सफलता का स्तर क्या रहेगा? शिक्षा अध्ययन में कब-कब बढ़ाएं आएँगी। और कब मन पढ़ाई में लगेगा। अभी शिक्षा अध्ययन के विषय बहुत हो गए है, उनमें से बेस्ट चुनना सिर्फ ज्योतिष विद्या / Learn Astrology के द्वारा ही संभव है। शिक्षा क्षेत्र की यात्रा की बाधाओं को जानकर उन्हें समय रहते ही दूर कर, अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है। शिक्षा विषयों कि काउंसलिंग में ज्योतिष विद्या अद्भुत परिणाम देती है।
विद्यालय और शिक्षा कक्ष का निर्माण भी यदि वास्तु अनुरूप किया जाए तो शिक्षार्थियों का मन पढ़ाई में अधिक लगता है। विद्यालय का वातावरण सकारात्मक रहता है और छात्रों का मन अध्ययन विषयों में खूब लगता है। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा भूगोलविज्ञान, खगोलविज्ञान और गणितविज्ञान और भूगर्भविज्ञान कि जानकारी भी इसी ज्योतिष विद्या से प्राप्त किया जाता है। उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए नवम भाव का अध्ययन किया जाता है। किसी कि कुंडली में पंचम - नवम, भाव सुस्थित हो तो जातक के उच्च शिक्षा प्राप्ति के योग बनते है।
शिक्षा अध्ययन के क्षेत्र में ज्योतिष मार्गदर्शन के द्वारा शिक्षा प्राप्ति को सरल, सहज और अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है। वास्तव में ज्योतिष विद्या का जन्म मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को सरल, सहज और उपयोगी बनाने के लिए ही हुआ है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ज्योतिष विद्या का प्रयोग कर जीवन को सुखी बनाया जा सकता है। शिक्षा, करियर, विवाह, भाग्य, आय और सामाजिक दायित्वों को पूरा करने में ज्योतिष शास्त्र की भूमिका सहायक कि हो सकती है, बशर्ते कि हम समय से विद्या से मार्ग दर्शन लें। शिक्षा के क्षेत्र में ज्योतिष विद्या की भूमिका बहुत अहम् है। ज्योतिष विद्या को आज के समय में सीखना बहुत अधिक उपयोगी है।
आज के समय में ज्योतिष विद्या अध्ययन का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि ज्योतिष विद्या हमें ग्रहों की भूमिका, मुहूर्त, चंद्र, सूर्य स्थिति अयन, शुक्ल पक्ष, कृष्ण पक्ष, ग्रहण आदि कि सामान्य जानकारी ज्योतिष विद्या का अध्ययन कर प्राप्त की जा सकती है।
मौसम में होने वाले परिवर्तन को ज्योतिष विद्या के माध्यम से जाना जा सकता है। भूकंप, आंधी, तूफान, और प्राकृतिक आपदाओं को पूर्व में जाना जा सकता है, समझा जा सकता है। और उसके अनुसार सचेत हुआ जा सकता है।
कृषि क्षेत्र में ज्योतिष विद्या की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण परिणाम दे सकती है।
ज्योतिष विद्या सीख कर आप दुनिया के किसी भी विषय का जवाब दे सकते है। राष्ट्र, विश्व में कब क्या होने वाला है, यह जान सकते है। ज्योतिष विद्या के माध्यम से न केवल आप अपने और अपने परिवार के भविष्य की घटनाओं को जान सकते है अपितु अपने समाज, राज्य और देश हित के विषयों को जान सकते है। उसके अनुसार निर्णय लेकर अपने राष्ट्र को बेहतर भविष्य दे सकते है।
भविष्य के गर्भ में झाँकने की प्रक्रिया में ज्योतिष विद्या बहुत उपयोगी विद्या है। यह जानना बहुत ही रोचक होता है कि कल हमारे जीवन में क्या होने वाला है? जन्म कुंडली / Janam Kundali जन्म से लेकर मृत्यु तक कि जीवन यात्रा कहा जा सकता है। इस जीवन यात्रा के विभिन्न चरणों को हम ज्योतिष विद्या के द्वारा जान सकते है। जीवन में हम कब स्वस्थ रहेंगे? कब बीमार होंगे? कब नौकरी लगेगी? या कौन आ व्यापार करना हमारे लिए धनप्रदायक रहेगा, यह सब वैदिक ज्योतिष विद्या से आसानी से जाना जा सकता है। भविष्य को लेकर हमारे मन में जितने भी सवाल आते है, सभी का समाधान ज्योतिष विद्या के द्वारा दिया जा सका है।
ज्योतिष विद्या जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के लिए उपयोगी रहती है। जन्म के समय राशि अनुसार नाम रखने से इसकी उपयोगिता शुरू होती है और सारा जीवन उपयोगी बनी रहती है। शिक्षा के विषयों का चयन तय करने के बाद ज्योतिष विद्या से विवाह के समय कुंडली मिलान, वैवाहिक जीवन की स्थिति का विचार, ससुराल पक्ष से सम्बन्ध विचार, आय और कर्म के क्षेत्रों का विचार, देश विदेश में निवास की स्थिति का विचार, रोग, शोक, शत्रुओं का विचार सब जन्म कुडंली से देखा जा सकता है। इस प्रकार जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के प्रत्येक सवाल का जवाब ज्योतिष विद्या से दिया जा सकता है।