वास्तु : इन यंत्रों के उपयोग से जीवन में आएंगी अधिक खुशियां
By: Future Point | 09-Jun-2018
Views : 10011
हमारी संपूर्ण प्रकृति पंच तत्व अर्थात जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश पर आधारित हैं। इन्हीं पंचतत्वों में संतुलन का कार्य वास्तु शास्त्र करता हैं। जिस भी स्थान पर पंचतत्व एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य नहीं करते हैं। उस स्थान का वास्तु बिगड़ा हुआ होता हैं। वास्तव में पंचतत्वों से संबंधित एक शास्त्र सम्मत विज्ञान हैं।
इस शास्त्र में दिशाओं और तत्वों के द्वारा शुभता प्राप्त की जाती हैं। वास्तुशास्त्र यह कहता हैं कि यदि वास्तु सम्मत स्थान पर रहा जाए तो निश्चित रुप से परिणाम सुखद प्राप्त होते हैं। वास्तु दोष को दूर करने के लिए उपायों, टिप्स, शांति हवन और यंत्रों का सहारा लिया जाता हैं। विभिन्न प्रकार के वास्तु दोषों को संपूर्ण वास्तु दोष निवारण यंत्र की नित्य दर्शन पूजन करने से दूर किया जा सकता है।
यह यंत्र समस्त दोषों को दूर करता हैं। संपूर्ण वास्तु दोष निवारक यंत्र एक यंत्र ना होकर 13 विभिन्न प्रकार के यंत्रों का समूह हैं। इस यंत्र में वास्तु दोष निवारण यंत्र, बगलामुखी यंत्र, गायत्री यंत्र, महामृत्युंजय यंत्र, महाकाली यंत्र, वास्तु महायंत्र, केतु यंत्र, राहु यंत्र, शनि यंत्र, मंगल यंत्र, कुबेर यंत्र, श्री यंत्र, गणपति यंत्र। ये सभी यंत्र मिलकर साधक के जीवन के सुखों को बढ़ाते हैं और कष्टों में कमी करते हैं। इसके अतिरिक्त यंत्र की शुभता से जीवन में अधिक से अधिक शुभ घट्नाएं घटित होती हैं।
वास्तु शास्त्र को ज्योतिष कला, विज्ञान का मिश्रित शास्त्र है। विभिन्न पुराणों और पौराणिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता हैं। यह भी कहा जाता हैं कि वास्तु का शाब्दिक अर्थ सभी दिशाओं से मिलने वाले तरंगों को ग्रहण कर उनमें संतुलन स्थापित करना हैं। जिन्हें ऊपर पंचतत्व कहा गया हैं उन्हीं को यहां तरंगों का नाम दिया गया हैं।
सभी तरंगे सही रुप में प्राप्त हों तो व्यक्ति का जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता हैं और इसके चलते व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती हैं। आईये जाने की यह संपूर्ण वास्तु यंत्र किस प्रकार से कार्य करता हैं और इसके क्या लाभ हैं।
कई बार देखने में आता हैं कि हम बहुत मेहनत करते हैं बहुत अधिक मेहनत करने पर भी हमें अनुकूल फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं। धन परिवार में आता तो हैं परन्तु रुकता नहीं हैं। इसी प्रकार कार्य बनने से पूर्व बाधित होते हैं। इस प्रकार की कोई न कोई परेशानी दिक्कत देती रहती हैं। ऐसे में व्यक्ति को अपने घर का वास्तु किसी वास्तु जानकार से दिखाना चाहिए।
इस स्थिति में वास्तु दोष दूर करने के लिए वास्तु पूजा करना भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता हैं। जिन व्यक्तियों के लिए यह संभव न हो, उन व्यक्तियों को अभिमंत्रित संपूर्ण वास्तु यंत्र घर या व्यापार के पूजा घर में स्थापित कर इसका पूजन करना चाहिए।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता हैं कि प्रतिमा रुप में देव पूजन करने के स्थान पर यंत्र रुप में पूजन करने पर १०० गुणा अधिक शीघ्र परिणाम प्राप्त होते हैं। जिस स्थान पर अभिंत्रित वास्तु यंत्र का नित्य दर्शन पूजन होता हैं, उस स्थान से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता हैं और सदैव के लिए सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता हैं।
वास्तु यंत्र के सभी शुभ फल प्राप्ति के लिए यंत्र पूजन के साथ साथ त्रिदेव की पूजा भी करें। वास्तु यंत्र का पूजन जहां एक ओर वास्तु संबंधित सभी दोषों से मुक्ति देता हैं। वहीं यह अचानक से होनी वाली हानियों, दुर्घटनाओं और अशुभता का भी नाश करता हैं। इस यंत्र को स्थापित करने की सबसे शुभ दिशा ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व की दिशा हैं।
सम्पूर्ण वास्तु दोष निवारण यंत्र का पूजन
प्रात:काल में स्नानादि से निवृत होकर, सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव का पूजन करें। यंत्र को घर के पूजा घर में इस प्रकार रखना हैं कि आपका मुख इसके सम्मुख बैठने पर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यंत्र का पूजन धूप, दीप और फूल से करें। संभव हों तो यंत्र के सम्मुख दीपक भी जलायें। और शांत मन से अपनी कामना यंत्र से कहें। पूजन करते समय यदि निम्न मंत्र का जाप करना अतिशुभफलदायक रहता हैं।
मंत्र-
ऊं आकर्षय महादेवी राम राम प्रियं हे त्रिपुरे देवदेवेषि तुभ्यं दश्यमि यंचितम "
संपूर्ण वास्तु दोष निवारण यंत्र का महत्व
संपूर्ण वास्तु दोष निवारक यंत्र में सम्मिलित अन्य 12 यंत्र भी अपना शुभ प्रभाव देते हैं। वास्तु दोष निवारण यंत्र, बगलामुखी यंत्र, गायत्री यंत्र, महामृत्युंजय यंत्र, महाकाली यंत्र, वास्तु महायंत्र, केतु यंत्र, राहु यंत्र, शनि यंत्र, मंगल यंत्र, कुबेर यंत्र, श्री यंत्र, गणपति यंत्र। इन सभी यंत्रों का अपना अपना अलग से महत्व है। जैसे बगलामुखी यंत्र शत्रु विजय, गायत्री यंत्र सुख-शांति, महामृत्युंजय यंत्र गंभीर शारीरिक यंत्रों से मुक्ति, महाकाली यंत्र विरोधियों को शांत रखता हैं।
वास्तु यंत्र घर/व्यापार का वास्तु ठीक रखता हैं। केतु यंत्र जन्मकुंडली में केतु, राहु, शनि और मंगल यंत्र सभी अपना शुभ फल देने लगते हैं। कुबेर यंत्र एवं श्रीयंत्र धन और सुख-समृद्धि देते हैं। गणपति यंत्र विघ्न विनाशक यंत्र हैं। जब इन सभी यंत्रों का एक साथ पूजन किया जाएं तो सभी शक्तियां एक साथ जागृत होती हैं। इस प्रकार यह संपूर्ण वास्तु दोष निवारण यंत्र स्वयं में बहुत ही शक्तिशाली यंत्र हैं।