उगादी 2019 तेलगु नव वर्ष ।
By: Future Point | 03-Apr-2019
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चैत्र माह के प्रथम अर्ध चंद्रमा के दिन उगादी महोत्सव को बहुत ही उमंग व हर्षल्लास के साथ मनाया जाता है. उगादी का यह दिन प्रति वर्ष मार्च से अप्रैल के महीने के बीच में आता है, उगादी का त्यौहार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश एक बहुत ही मुख्य व पवित्र त्यौहार माना जाता है, इस दिन यहाँ के लोग अपने घरो और आसपास की अच्छे से साफ सफाई करते हैं और अपने घरो के प्रवेश द्वार को आम के पत्ते से सजाते हैं. दोनों तेलगु राज्यो के लोग उगादी को नव वर्ष के ख़ुशी में भी मनाते हैं इसके अलावा यह त्यौहार दक्षिण राज्यो में भी बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है.
इस त्यौहार के समय बसन्त ऋतू का आगमन अच्छे से हो चूका होता है और हर जगह त्योहारो का रंग नजर आता है, पेड़ों में नए पत्ते लहराते हुए सुंदर दीखते हैं और उगादी का त्यौहार मनाने वालो के मन में उमंग नजर आता है।
उगादी त्यौहार का महत्व –
उगादी महोत्सव को लोग बहुत ही शुभ मानते हैं और इसे नव वर्ष की शुरुआत भी मानते हैं, लोग इस दिन भगवान की मूर्तियों को सुंदर व सुगन्धित चमेली के फूलों का हार चढ़ाते हैं और उनकी पूजा व आराधना करते हैं।
पंडितो के वेद -मन्त्रो की गूंज से पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है. लोग इस दिन अपने लिए और अपने परिवार जनो के लिए सुंदर कपड़े खरीदते हैं. तेलंगाना के कुछ इलाको में अपने खेतो में काम करने वालों के लिए भी नए कपडे खरीदते हैं. इस दिन सभी लोग सुबह जल्दी उठते हैं और तिल के तेल को अपने शिर और शरीर में लगाकर स्नान करते हैं और उसके बाद सब मंदिर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं और साथ ही पशुओ को भी नदी नालो में ले जाकर स्नान करवाते हैं।
कुछ लोग अपने घरो को फूलो से सजाते हैं, लोग घरो के दरवाजो पर कलश और उस पर नारियल व आम के पत्तों को रखते हैं।
उगादी त्यौहार कब है –
2019 में उगादी महोत्सव 6 अप्रैल से शुरू हो रहा है, तेलंगाना में उगादी महोत्सव को तीन तक मनाया जाता है।
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उगादी त्यौहार विशेष किन को समर्पित है –
वैसे तो भगवान शिव जी ने भगवान ब्रह्मा जी को शाप दिया था कि उनकी पूजा नही होगी परन्तु आंध्र प्रदेश में उगादी का त्यौहार विशेष कर भगवान ब्रह्मा जी को समर्पित किया गया है.
हिन्दू पौराणिक कथाओ के अनुसार यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जी ने मत्स्य अवतार धारण किया था, और यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की, इसी दिन ब्रह्मा जी ने ब्रह्माण्ड को बनाना शुरू किया था, इसीलिए इस दिन को तेलगु और कन्नड़ नव वर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।
उगादी महोत्सव सर्वाधिक किन क्षेत्रों में मनाया जाता है –
यह त्यौहार भारत में कर्नाटक, महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
उगादी महोत्सव पर बनने वाले स्वादिष्ट पकवान –
कुछ लोग आज के दिन छः स्वादों से युक्त व्यंजन खाते हैं, लोगों की मान्यता है कि जीवन अलग- अलग भावनाओं और संवेदनाओ का मिश्रण है और हर एक भावना एक स्वाद की तरह होती है. उगादी का सबसे खास और लोकप्रिय व्यंजन उगादी पचादी है जिसमे छः प्रकार का स्वाद होता है. उगादी पचादी इस दिन प्रसाद के रूप में खाई जाती है, उगादी के दिन सबसे पहले लोग उगादी पचादी को ही खाते हैं, कई जगहों पर लोग गुड़ के साथ नीम के पत्ते भी खाते हैं, इस दिन कई और स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं जैसे कि ओब टट्टू / होलिगे / पूरण पोली और अन्य मिठाइयां बनाते हैं और अपने परिवार व आस पास के लोगों को खाने पर बुला कर साथ में सब खाते हैं और लोगों में बांटते भी हैं।
अलग – अलग क्षेत्रों में उगादी को निम्न लिखित नामों से जाना जाता है –
- गोवा और केरल में संवत्सर पड़वा या संवत्सर पड़वो के नाम से जाना जाता है
- कर्नाटक के कोकड़ी लोग युगादी कहते हैं
- महाराष्ट्र में गुड़ी – पड़वा के नाम से जाना जाता है
- राजस्थान में थापना के नाम से जाना जाता है
- कश्मीर में नवरेह के नाम से जाना जाता है
- मणिपुर में सजीबु नोंगमा पांबा या मेइतेई चेइराओबा के नाम से जाना जाता है
- उत्तर भारत में चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।