सूर्यास्‍त के समय नाखून काटने से आप बन सकते हैं गरीब | Future Point

सूर्यास्‍त के समय नाखून काटने से आप बन सकते हैं गरीब

By: Future Point | 18-Sep-2018
Views : 8597सूर्यास्‍त के समय नाखून काटने से आप बन सकते हैं गरीब

हिंदू धर्म में ऐसे अनेक कार्य माने गए हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी माना जाता है। अगर कोई व्‍यक्‍ति इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसे जीवन में कष्‍ट झेलने पड़ते हैं।

इसके अलावा हिंदू धर्म से संबंधित ऐसे कई नियम भी हैं जिनका वैज्ञानिक कारण भी मौजूद है लेकिन फिर भी लोग उन्‍हें विज्ञान से ज्‍यादा धर्म से जोड़कर देखते हैं। ये नियम और मान्‍यताएं हजारों सालों से चली आ रही हैं। आज हम आपको हिंदू धर्म के कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है।

क्‍यों बनाए गए हैं नियम

आप भी सोचते होंगें कि हिूदं धर्म में शास्‍त्रों द्वारा इतने सारे नियम क्‍यों बनाए गए हैं। आपको बता दूं कि ज्‍योतिषशास्‍त्र की रचना मनुष्‍य के लाभ के लिए ही की गई थी। इन नियमों द्वारा मनुष्‍य अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकता है लेकिन अगर कोई इनका पालन नहीं करता है तो उसे अपने कर्मों का फल जरूर मिलता है।

सूर्यास्‍त के बाद नाखून ना काटने का नियम

शास्‍त्रों में इस नियम का उल्‍लेख विशेष रूप से किया गया है। मान्‍यता है कि सूर्यास्‍त के बाद नाखून नहीं काटने चाहिए और ना ही घर के भीतर नाखून काटने चाहिए। इन सब कार्यों को अशुभ माना गया है। कहते हैं कि जो भी व्‍यक्‍ति ऐसा करता है तो उसे अपने जीवन में आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। मान्‍यता है कि सूर्यास्‍त के बाद नाखून काटने से मां लक्ष्‍मी नाराज़ होती हैं और उस व्‍यक्‍ति को दरिद्र बना देती हैं।


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सूर्यास्‍त के बाद क्‍यों नहीं काटने चाहिए नाखून

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार सूर्यास्‍त के बाद नाखून काटना अशुभ माना गया है। ऐसा करने से घर में नकारात्‍मकता फैलती है और मां लक्ष्‍मी आपसे रूष्‍ट भी हो सकती हैं। इस नियम का संबंध स्‍वच्‍छता से भी है। घर के बाहर ही नाखून काटना उचित माना गया है। घर में नाखून काटने से वो इधर-उधर फैल सकते हैं और आपके खाने में भी गिर सकते हैं जोकि आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाएगा।

प्राचीन समय में दिन में काटते थे नाखून

नाखून काटने का ये नियम आज का नहीं है बल्कि कई सालों पुराना है। प्राचीन समय में लोगों के घरों में बिजली नहीं हुआ करती थी और इसलिए वो घर से बाहर आकर सूर्य की रोशनी में नाखून काटा करते थे।

ज्‍योतिषशास्‍त्र में मनुष्‍य के सुखी और समृद्ध जीवन के लिए कई और नियम भी बनाए गए हैं। अगर आप इन नियमों के बारे में जान लें तो आपके जीवन की सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं। तो चलिए जानते हैं कि शास्‍त्रों द्वारा बनाए गए वो कौन-से नियम हैं जो आपके जीवन को सुख और समृद्धि से भर सकते हैं।

सोने का समय

सूर्यास्‍त या शाम के समय सोना अशुभ माना जाता है। ये समय ईश्‍वर की उपासना और भक्‍ति के लिए श्रेष्‍ठ होता है और शास्‍त्रों के अनुसार किसी भी स्‍वस्‍थ व्‍यक्‍ति को सूर्यास्‍त के समय सोना नहीं चाहिए। ऐसा करने वाला व्‍यक्‍ति दरिद्र, रोगी और सुस्‍त बनता है। इस नियम के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है जिसके अनुसार शाम के समय सोने से शरीर में फुर्ती नहीं रहती है और शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।


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झाड़ू और सफाई करना

मान्‍यता है कि सूरज ढलने के बाद झाडू भी नहीं लगानी चाहिए। झाडू मां लक्ष्‍मी की बहन दरिद्रता का प्रतीक है और अगर आप शाम के समय झाडू का इस्‍तेमाल करते हैं तो आपके ऊपर मां दरिद्रता प्रसन्‍न हो जाएंगीं और आप गरीब होते जाएंगें। इसलिए सूरज ढलने से पहले ही घर की साफ-सफाई कर लेनी चाहिए। रात के समय झाडू लगाने से खर्चों में बढ़ोत्तरी होती है और आर्थिक नुकसान बढ़ जाता है इसलिए ऐसा करने से बचें।

भोजन करना

हिंदू शास्‍त्रों के नियमों के अनुसार शाम के समय भोजन भी नहीं करना चाहिए। जब सूर्यास्‍त हो रहा हो तो उस समय भोजन करने से भोजन का पाचन ठीक नहीं होता है। शरीर में कब्‍ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्‍याएं पैदा होने लगती हैं। इस समय भोजन करना निषेध माना गया है।

पढ़ाई करना

सूर्य ढलने के बाद पढ़ाई करना भी शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा करने से आंखों पर गलत असर पड़ता है और ज्ञान भी नष्‍ट होता है। इस समय विद्यार्थी को कुछ समय मौन रह कर मां सरस्‍वती का ध्‍यान करना चाहिए। इससे ज्ञान में वृद्धि होती है।

आपको बता दें कि उपरोक्‍त बनाए गए सभी नियम मनुष्‍य के विकास और समृद्धि के लिए बनाए गए हैं और अगर कोई व्‍यक्‍ति इनका पालन नहीं करता है तो उसे संपन्‍नता की हानि होती है और वो दरिद्र भी बन सकता है।

अगर आप अपने जीवन में आर्थिक कष्‍टों से मुक्‍ति पाना चाहते हैं या अपने जीवन में संपन्‍नता और सुखों को बनाए रखना चाहते हैं तो उपराक्‍त बनाए गए नियमों का पालन करें, आपको लाभ अवश्‍य होगा।


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