सूर्य ग्रहण 2021: 10 जून को है साल पहला सूर्य ग्रहण, जानिए समय और सूतक काल
By: Future Point | 07-Jun-2021
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सूर्य ग्रहण 2021: सूर्य ग्रहण का वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। आधुनिक विज्ञान में यूँ तो सूर्य ग्रहण को हमेशा से ही एक खगोलीय घटना की तरह देखा जाता रहा है। लेकिन वैदिक ज्योतिष में यह बड़े परिवर्तन का कारक माना जाता है। इस घटना की वजह से धरती के वातावरण के साथ-साथ धरती में रहने वाले जीवों का जीवन भी प्रभावित होता है। ग्रहण के कई पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व हैं।
ऐसा कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के घटित होने से पहले ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है और ग्रहण की समाप्ति के बाद भी कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है। यह देखा गया है कि, ग्रहण को लेकर हर व्यक्ति के मन में अजीब सा डर बना रहता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण 2021 को लेकर हर किसी के मन में कई तरह के सवाल उठने लाज़मी हैं।
वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगने जा रहा है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है जिसमें चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को ढक लेगा। ऐसे में केवल सूर्य की बाहरी परत ही दिखाई देगी, ग्रहण में सूर्य के लगभग 94 फीसदी भाग को चंद्रमा ग्रस लेगा, पूर्ण सूर्य ग्रहण होने की वजह से दिन में अंधेरा छा जाएग।
इस बार सूर्य ग्रहण कोरोना काल (Covid 19 Lockdown) में पड़ रहा है। लेकिन भारत में ये ग्रहण आंशिक रूप से ही होगा। इसलिए ग्रहण काल मान्य नहीं होगा। अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में भी आंशिक ग्रहण ही होगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में देखने को मिलेगा। इसलिए ग्रहण काल मान्य नहीं होगा। अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में भी आंशिक ग्रहण ही होगा।
सूर्य ग्रहण -
वैज्ञानिकों की मानें तो, सूर्य ग्रहण उस स्थिति में घटित होता है, जब पृथ्वी चंद्र व सूर्य, तीनों अपना-अपना परिक्रमा चक्र पूर्ण करते हुए एक सीधी रेखा में आते है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य आ जाता है और इससे सूर्य की रोशनी प्रभावित होती है। इस अवस्था में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता, जिससे एक प्रकार का अंधियारा सा छा जाता है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
साल का पहला सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जो साल के मध्य में यानी 10 जून 2021 को लगेगा। फ्यूचर पंचांग की मानें तो, इस सूर्य ग्रहण का समय गुरूवार की दोपहर 10 जून, को 13:42 बजे से शाम 18:41 बजे तक होगा। फ्यूचर पंचांग के अनुसार, ये पहला सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2078 में बैशाख माह की अमावस्या को घटित होगा, जिसका प्रभाव वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में सबसे ज़्यादा दिखेगा।
इस सूर्य ग्रहण का दृश्य क्षेत्र भारत नहीं होगा, लेकिन ये उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में, यूरोप और एशिया में, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस के अधिकांश हिस्से में ही दृश्य होगा। भारत में यह सूर्य ग्रहण 2021 दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहाँ इसका सूतक भी प्रभावी नहीं होगा। यह सूर्यग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सामान्य की तुलना में उससे दूर हो जाता है और इस समय ये अपने आकार में भी इतना छोटा प्रतीत होता है कि, वो सूर्य के आगे आकर उसे ढ़क तो लेता है, लेकिन सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह नहीं ढ़क पाता। जिसे हम वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है। इस दौरान चंद्र के बाहरी किनारे पर सूर्य की रोशनी रिंग यानी अंगूठी की तरह निकलती हुई प्रतीत होगी।
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सूर्य ग्रहण के प्रकार -
आमतौर पर सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं:-
पूर्ण सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो उसके प्रकाश को अपने पीछे पूरी तरह ढक लेता है, जिससे पूर्णत: अंधेरा छा जाता है। तो इस अवस्था को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
आंशिक या खंड सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा सूर्य के आगे आकर उसे ढक लेता है, लेकिन सूर्य का कुछ प्रकाश ढक नहीं पाता है, तो इस अवस्था को खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण - जब चंद्र सूर्य के सामने आते हुए, उसे इस प्रकार से ढक लेता है कि सूर्य बीच में से तो ढका हुआ प्रतीत हो, लेकिन उसके किनारों से रोशनी का एक छल्ला या अंगूठी बनता हुआ दिखाई दे तो इस स्थिति में ये वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है। ये अवधि हालांकि कुछ ही पलों के लिए होती है। सूर्य ग्रहण का योग हमेशा अमावस्या के दिन ही बनता है, क्योंकि इस दौरान चंद्र पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है।
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ग्रहण दोष -
जन्म कुंडली में कई योग और दोष होते हैं। जिनके प्रभाव से मनुष्य को जीवन में सफलता और विफलता दोनों ही मिलती है। ग्रहण की वजह से हमारी कुंडली में ग्रहण दोष भी उत्पन्न हो जाता है। यह एक अशुभ दोष है जिसके प्रभाव से मनुष्य को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई एक ग्रह बैठा है, तो ग्रहण दोष बनता है। इसके अतिरिक्त अगर सूर्य या चंद्रमा के भाव में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह स्थित हो, तो यह भी ग्रहण दोष कहलाता है। ग्रहण दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में एक मुसीबत टलते ही दूसरी मुश्किल आ जाती है। नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक समस्या और खर्च जैसी परेशानी बनी रहती है।
ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा -
हिन्दू धर्म में ग्रहण के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इसमें सूर्य और चंद्र ग्रहण के लिए राहु और केतु को जिम्मेदार माना जाता है। मान्यता है कि देवता और दानवों ने जब समुद्र मंथन किया था, उस समय समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए अमृत को दानवों ने देवताओं से छीन लिया था। असुरों को अमृत के सेवन से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक सुंदर नारी का रूप धारण किया। इस दौरान मोहिनी ने दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगी, लेकिन भगवान विष्णु की इस चाल को राहु नामक दैत्य समझ गया और वह देव रूप धारण कर देवताओं के बीच बैठ गया।
जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने उसका भांडा फोड़ दिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया। अमृत के प्रभाव से उसकी मृत्यु नहीं हुई इसलिए उसका सिर राहु व धड़ केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इस बैर के कारण से सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण के रूप में शापित करते हैं।
सूतक के दौरान क्या करें और क्या न करें -
ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। हालांकि यह नियम बच्चों, बीमार लोगों और बुजुर्गों पर लागू नहीं होता।
सूतक काल के दौरान आपको किसी भी तरह का नया काम शुरु नहीं करना चाहिए।
सूतक के दौरान कैची और चाकू का प्रयोग भी न करें।
सूतक के दौरान भगवान की मूर्तियों को हाथ से न छुएं।
बालों पर कंघी करना, दांतून करना भी सूतक के दौरान अशुभ माना जाता है।
सूतक के दौरान आपको भगवान का ध्यान करना चाहिए इससे नकारात्मकता का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
इस समय आप धार्मिक पुस्तकों का भी अध्ययन कर सकते हैं।
ग्रहण के दौरान गृभवती महिलाएं इन बातों का विशेष ध्यान रखें, ग्रहण 2021 के अनुसार गृभवती महिलाओं को सूतक के दौरान चाकू और कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गृभवती महिलाओं को ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सकते तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। अगर आप ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। इससे गृभपात की संभावना भी बढ़ जाती है इसलिए ग्रहण के दौरान सतर्क रहें।
ग्रहण के दौरान करें सूर्य के मंत्रों का जाप -
ग्रहण के दौरान कुछ मंत्रों को जपने की सलाह दी जाती है, इससे ग्रहण के बुरे प्रभाव जातकों पर नहीं पड़ते। यदि आप सूर्य ग्रहण दोष से प्रभावित हैं तो सूर्य को पानी अर्पित करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करें। नमक का प्रयोग खाने में न करें और कन्याओं को लाल कपड़ा दान करें। सूर्य ग्रहण के समय करें नीचे दिये गये मंत्र का जाप।
“तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥”
“विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥”
या
"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात"
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, और राहु और केतु को शांत करने के लिये भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करें।
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