शनि / केतु युति 2019 - अतीत के कर्मों की सफाई का समय
By: Future Point | 09-Apr-2019
Views : 26930
मार्च माह 2019 में केतु अपनी राशि परिवर्तित कर धनु राशि में शनि के साथ युति संबंध बनाने वाले है। मार्च माह में शनि 25 अंश और केतु लगभग 29 अंश के होंगे। दोनों ग्रह अंशों में एक दूसरे के निकटतम हैं अर्थात एक दूसरे के फलों को प्रभावित करेंगे। शनि ग्रह और केतु ग्रह की युति को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें दोनों ग्रहों को समझना होगा। शनि ग्रह आयु, न्याय, नौकरी, सेवा, अपमान, और निष्ठा के कारक ग्रह है। ये कारावास के भी कारक ग्रह है। राजनीति में इन्हें आमजन का कारक ग्रह भी माना गया है एवं केतु को रहस्यमयी विषयों का कारक ग्रह माना गया है। यह मोक्ष कारक ग्रह भी है। धनु राशि में केतु उच्चस्थ होते हैं तो बुध की मिथुन राशि इनकी नीच राशि है।
केतु को मंगल के समान माना गया है, शनि इसके सबसे बड़े शत्रुओं में से एक है। हालांकि दोनों ही व्यक्ति ग्रहों को आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर करने वाला और मार्गदर्शन करने वाला माना गया है, दोनों ही ग्रहों की प्रवृत्ति है की ये दोनों ग्रह पापी व्यक्तियों को सजा, कष्ट देकर कठिन सबक देते है। शनि जहाँ व्यक्ति को सबसे अलग थलग कर देता है, वही केतु रिश्तों का त्याग कर वैराग्य देता है। केतु हमें अतीत को फिर से देखने के लिए मजबूर करता है। जैसा की सर्वविदित है की शनि अपनी साढ़ेसाती, शनि ढैय्या अथवा अपने गोचर के समय व्यक्ति को अपने किए गए कर्मों की जिम्मेदारी लेने और सात्विक मार्ग का चयन कर, सही कार्य करने के लिए मजबूर कर देता है।
शनि ग्रह और केतु दोनों ग्रहों का एक सिद्धांत जो एकसमान है वह है- “जो बोया है वही काटना पडेगा” अर्थात अपने पाप कर्मों की सजा स्वयं ही भुगतनी होगी। “अपनी गंदगी स्वयं ही साफ करनी होगी”। यह उक्ति उन लोगों के लिए एक सन्देश है जो वर्त्तमान में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट झेल रहे है। जो जीवन परिस्थितियों से हताश और निराश हो चुके है। जिन्हें अतीत ने चोट पहुंचाई है, पूर्व जन्म के बुरे कर्मों का फल जो इस जन्म में कष्टों के रूप में प्राप्त कर चुका रहे है। शनि केतु युति का यह समय कर्मों की सफाई या कर्ज चुकाना अथवा कठिन समय से सीख लेने वाला भी कहा जा सकता है.
अतीत को पकड़कर ना रखें -
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमारे जीवन का कोई घाव हमारी मानसिक शान्ति को बार बार भंग करता है। ऐसे अतीत से बाहर आने के लिए आवश्यक है की पुरानी सारी बातों को भूल जाया जाए और अतीत को पकड़ कर ना रखा जाएँ। पुराने ऋणों का भुगतान करने के लिए इस जन्म में आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। शनि हमें सांसारिक जिम्मेदारियों से जोड़े रखता है, हमें कष्ट देकर हमारी सहनशक्ति को बेहतर करता है। शनि और केतु दोनों व्यक्ति को अतीत के दुःख-दर्दों से बचने के लिए आश्रम की और भागने की प्रवृति देते हैं। जो लोग देश की जगह विदेश में रहने के इच्छुक है। यह गोचर ऐसे लोगों के लिए अनुकूल साबित हो सकता है।
अवचेतन मन की चुनौतियों का ज्ञान
केतु ग्रह का स्वभाव है की वह दुनिया का सामना करने से बचना चाहता है। सफलता प्राप्ति के लिए वह कठिन परिश्रम करने से बचना चाहता है। इसके लिए गृहस्थ जीवन का त्याग कर सन्यास जीवन ग्रहण करता है। पूरे समय ध्यान और साधना में समय व्यतीत करता है और दुनिया की जिम्मेदारियों से नहीं निपटता है। शनि और केतु का एक साथ होना बड़ी संख्या में जातकों को पारिवारिक जीवन से हटाकर सन्यास, आश्रम जीवन की ओर लेकर जा सकता है। दोनों की युति क्योंकि बृहस्पति ग्रह के धनु राशि में हो रही है। गुरु ग्रह को देवताओं का गुरु का स्थान दिया गया है। धर्म गुरु की राशि में दो वैराग्य और त्याग से सम्बंधित ग्रहों का होना, अवचेतन मन की चुनौतियों का ज्ञान देता है। जीवन का वास्तविक उद्देश्य जानने की इच्छा इस समय में प्रबल हो सकती है।
Read Also: गुरु, शनि एवं राहु / केतु - गोचर फल 2019
आध्यात्मिक विकास
ह गोचर जातक का आध्यात्मिक विकास करेगा. जीवन के वास्तविक उद्देश्य की खोज के लिए घर से दूर लेकर जाता है, ऐसे में व्यक्ति घर छोड़कर एक नयी आध्यात्मिक शुरुआत करता है। धनु राशि के जिस जातक को अभी तक यदि अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो पायी है तो अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के लिए यह अनुकूल समय है। शनि और केतु दोनों का गोचर इस ऊर्जा को जागृत करने का कार्य करेगा।
दुनियादारी से मोहभंग
यह समय दुनियादारी से मोहभंग को बढ़ावा देने वाला हो सका है। गोचर की इस अवधि में आप प्रत्येक विषय की गहराई में जाकर समझने जानने की कोशिश करेंगे। फिर वो चाहे पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक या फिर तकनीकी विषय हो, आप सूक्ष्मता से समझना चाहेंगे। भौतिक दुनिया के बदलते स्वरूप को पहचानने में अपनी ऊर्जा लगाएंगे। दुःख के सागर को पार करने के बाद गई आत्यात्मिक चेतना की प्राप्ति की जा सकती है।
Read Also: क्या कुंडली मिलान से सच मे कुछ फायदे होते हैं? जाने
भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन
2019 में केतु ग्रह शनि ग्रह के सबसे अधिक निकट होगा। ये दोनों ग्रह हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के जीवन में संतुलन करना सिखाएंगे। इसमें सहयोगी की भूमिका बृहस्पति ग्रह करेंगे। क्योंकि दोनों धनु राशि में हैं। और गुरु कुछ समय के लिए इनके साथ और लम्बे तक तक धनु राशि से बारहवीं राशि में रहेंगे। वर्षमध्य में वक्री और मार्गी गति बदलने के कारण ये इस युति को केवल अपनी राशि की विशेषताओं के द्वारा ही प्रभावित कर आएंगे।
धनु राशि वालों में शनि / केतु की ऊर्जा इस समय में कभी-कभी निराशावाद और सुस्ती पैदा कर सकती है और यह कठिन परिश्रम करने के लिए मजबूर करती है और आगे बढ़ने के लिए अवसादग्रस्तता की प्रवृत्ति के प्रति सावधान भी करेगी।
प्रभावित राशियां
शनि-केतु गोचर युति अवधि में विशेष रूप से धनु राशि के जातक प्रभावित होंगे। शनि की तीसरी दृष्टि कुम्भ, सातवीं दृष्टि मिथुन राशि पर और दशम दृष्टि कन्या राशि पर रहेगी। केतु ग्रह की पांचवी दृष्टि मेष राशि पर, नवीं दृष्टि सिंह राशि पर रहेगी। अत: इस अवधि में प्रभावित होने वाली राशि निम्न रहेंगी।
- मेष राशि, मिथुन राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, धनु राशि और कुम्भ राशि।
दीक्षा प्राप्ति सहज
इन छह राशियों के जातकों को इस गोचर अवधि में जिम्मेदारों से भागने की जगह पारिवारिक जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाने का प्रयास करना होगा। वैराग्य और संन्यास के ओर उन्मुख होने की जगह अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। इससे पूर्व जो जातक वैराग्य और संन्यास जीवन में प्रवेश कर चुके है, उन जातकों के लिए यह आत्यात्म और मोक्ष की प्राप्ति का महत्वपूर्ण चरण साबित होगी। आत्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग दीक्षा से होकर जाता है। अत: दीक्षा प्राप्ति सहज रहेगी। इसके विपरीत जो लोग इस समय अत्यधिक पीड़ित हों, उन्हें उदासी, स्वार्थ और कट्टरवादिता के मार्ग का त्याग कर स्वयं को सकारात्मक बनाए रखना होगा। जीवन के पुराने तरीकों पर न चलकर नयी तकनीकों का स्वागत करने की आदत डालनी होगी।
Also Read: Why should one go for Shani Shanti Puja?
वैराग्य और संन्यास के ओर उन्मुख
इन छह राशियों के जातकों को इस गोचर अवधि में जिम्मेदारों से भागने की जगह पारिवारिक जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाने का प्रयास करना होगा। वैराग्य और संन्यास की ओर उन्मुख होने की जगह अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। इससे पूर्व जो जातक वैराग्य और संन्यास जीवन में प्रवेश कर चुके है, उन जातकों के लिए यह आत्यात्म और मोक्ष की प्राप्ति का महत्वपूर्ण चरण साबित होगी। आत्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग दीक्षा से होकर जाता है। अत: दीक्षा प्राप्ति सहज रहेगी। इसके विपरीत जो लोग इस समय अत्यधिक पीड़ित हों, उन्हें उदासी, स्वार्थ और कट्टरवादिता के मार्ग का त्याग कर स्वयं को सकारात्मक बनाए रखना चाहिए। जीवन के पुराने तरीकों पर न चलकर नयी तकनीकों का स्वागत करने की आदत डालनी होगी।
अतीत को गले लगाएं और बदल डालें
अंत में सोशल मीडिया मार्केटिंग को स्वीकार करना और अपने वित्तीय व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए उन सभी तरीकों को जानना होगा। नई पीढ़ी और उनकी बुद्धिमत्ता को स्वीकार करें और दुनिया में हो रहे बदलावों के अनुकूल रहें। शनि / केतु की युति पुराने को जाने दोई और नए को गले लगाने की आवश्यकता है। इस समय केतु / शनि सकारात्मक रूप में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को बड़ी और उपयोगी योजनाओं पर कार्य करने के अवसर प्राप्त हो सकते है। इसलिए सूक्ष्म मशीनरी पर काम करने वाले इंजीनियर्स के लिए यह स्वर्णिम अवसर साबित हो सकता है। इसलिए, यह प्रभाव इस वर्ष तक रहेगा। इस समय बेहतर रहेगा की अतीत को गले लगाएं और बदल डालें।