शनि जयंती पर्व विशेष – महत्व एवं पूजा विधि ।
By: Future Point | 25-May-2019
Views : 8470
शनि देव जी को हमारे कर्मो का और न्याय का देवता माना जाता है, हमारे अच्छे या बुरे कर्मो का न्याय देने के पीछे शनि देव का हाथ होता है, शनि देव का रंग श्याम होता है, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि देव उत्तम अवस्था में हैं तो उस व्यक्ति को बहुत ही कम समय में सफलता प्राप्त होती है इसलिए हर सम्भव प्रयास करके भी शनि देव जी को प्रसन्न रखना चाहिए।
शनि जयंती का महत्व –
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को भगवान शनि देव का जन्म हुआ था इसलिए ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से शनि देव जी की पूजा अर्चना की जाती है, विशेषकर शनि की साढ़े साती, शनि की ढैय्या आदि शनि दूषित पीड़ित जातकों के लिए इस दिन का महत्व अधिक माना जाता है, शनि राशि चक्र के दसवीं और ग्यारहवी राशि मकर और कुम्भ राशि के अधिपति हैं, शनि देव को कर्म फल दाता माना जाता है, हिन्दू धर्म के अनुसार शनि देवता भी हैं और नव ग्रहों में प्रमुख ग्रह भी हैं, शास्त्रों के अनुसार शनि देव जी को सूर्य देव जी का पुत्र माना जाता है।
शनि जयंती तिथि व मुहूर्त 2020
इस वर्ष 2020 में शनि जयंती का पर्व 3 जून सोमवार के दिन मनाया जायेगा.
अमावस्या तिथि आरम्भ – 21 मई 2020 को 21 बजकर 35 मिनट से ।
अमावस्या तिथि समाप्त – 22 मई 2020 को 23 बजकर 07 मिनट पर ।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए ये अवश्य करना चाहिए –
- अपनी कुंडली में शनि देव को प्रसन्न रखने के लिए व्यक्ति को हमेशा सत्य बोलना चाहिए और सदैव अनुशासन में रहना चाहिए।
- व्यक्ति को कमजोर व निर्बल लोगों की खूब सेवा करनी चाहिए।
- व्यक्ति को अपने बड़े – बुजुर्गों को पूरा मान- सम्मान देना चाहिए और उनकी खूब सेवा करनी चाहिए।
- फलदार और लंबी अवधि तक चलने वाले पेड़- पौधों को लगाने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।
- भगवान् शिव जी या भगवान् कृष्ण जी एवं हनुमान जी की नियम पूर्वक उपासना करने से भी शनि देव जी अवश्य प्रसन्न होते हैं।
शनि देव को प्रिय हैं ये चीजें –
- शनि देव को काला कपड़ा बहुत प्रिय हैं
- शनि देव को सरसों का तेल बहुत प्रिय है इसलिए प्रत्येक शनिवार के दिन शनि देव को सरसो का तेल अवश्य चढ़ाना चाहिए।
- काली उड़द भी शनि देव को बहुत प्रिय है।
शनि जयंती के दिन विशेष तौर पर इन बातों का पालन अवश्य करें -
- शनि देव की जयंती के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर सरसों के तेल की मालिश कर स्नान करना चाहिये।
- शनि जयंती के दिन शनि देव जी के साथ-साथ हनुमान जी के दर्शन भी अवश्य करने चाहिये।
- शनि जयंती या शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।
- शनि जयंती के दिन यात्रा को भी स्थगित कर देना चाहिये।
- शनि जयंती के दिन किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बने खाद्य पदार्थों का सेवन करवाना चाहिये।
- शनि जयंती के दिन गाय व कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिये।
- बुजूर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिये।
- शनि महाराज व सूर्य- मंगल से शत्रुता पूर्ण संबंध होने के कारण शनि जयंती के दिन सूर्य देव व मंगल की पूजा नही करनी चाहिए।
- शनि देव की प्रतिमा या तस्वीर को देखते समय उनकी आंखो में नहीं देखना चाहिये।
शनि देव जी की पूजा की विधि -
- शनि देव जी की पूजा भी अन्य देवी-देवताओं के जैसे ही होती है, इनकी पूजा करने के लिए कुछ अलग नही करना होता है।
- शनि जयंती के दिन उपवास भी रखा जाता है अतः व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठने के बाद दैनिक क्रिया कलापों को करके स्नान किया जाता है जिसके बाद लकड़ी के एक पाट पर साफ-सुथरे काले रंग के कपड़े या नए काले रंग के कपड़े को बिछाकर शनिदेव की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए।
- अगर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर आपको पास न हो तो एक सुपारी के दोनों ओर शुद्ध घी व तेल का दीपक और धूप जलाना चाहिए।
- उसके बाद उस स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवाना चाहिए।
- सिंदूर, कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल आदि के साथ-साथ नीले या काले फूल शनिदेव को चढ़ाना चाहिए।
- इमरती व तेल से बने पदार्थों को व श्री फल के साथ-साथ अन्य फल भी आप शनिदेव को चढ़ा सकते हैं।
- पूजा करने के बाद शनि मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए और फिर शनि चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।
- शनि देव जी का मन्त्र इस प्रकार है ॐ प्रां प्रीं प्रौ स. शनये नमः ॥
- माला पूर्ण करके शनि देवता को समर्पण करें। पश्चात आरती करके उनको साष्टांग प्रणाम करें।